दालों का रिकॉर्ड इंपोर्ट और MSP पर 25 फीसदी खरीद का नियम! आत्‍मनिर्भरता के लिए सिस्‍टम तो बदलना होगा

दालों का रिकॉर्ड इंपोर्ट और MSP पर 25 फीसदी खरीद का नियम! आत्‍मनिर्भरता के लिए सिस्‍टम तो बदलना होगा

दालों के मामले में आत्‍मनिर्भरता के प्रयासों के बीच रिकॉर्ड इंपोर्ट की ये कहानी कई सवाल छोड़ती हैं. सीधे तौर पर कहा जाए तो दालों के मामले में आत्‍मनिर्भर बनने की ये कहानी किसानों को आत्‍मनिर्भर बनाए बिना अधूरी है, लेकिन MSP पर सिर्फ 25 फीसदी दालों की खरीदारी, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट जैसी नीतियां दाल किसानों को आत्‍मनिर्भर बनाने में बड़ा रोड़ा है.

दालों के मामले में भारत कैसा बनेगा आत्‍मनिर्भरदालों के मामले में भारत कैसा बनेगा आत्‍मनिर्भर
मनोज भट्ट
  • Noida ,
  • Apr 19, 2024,
  • Updated Apr 19, 2024, 12:23 PM IST

'प्रोटीन' की खुराक भारत को भारी पड़ रही है. मसलन, दालों के मोर्चे पर भारत की चुनाैतियां बढ़ी हुई हैं. दालों के मामले में आत्‍मनिर्भर बनने के प्रयासों के बीच भारत दाल के मोर्चे पर कई चुनाैतियों का सामना कर रहा है. इस वजह से एक तरफ आम आदमी को दालों की अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ भारत सरकार अपनी घरेलू जरूरतों काे पूरा करने के लिए इंपोर्ट पर निर्भर है.

कहानी ये है कि दाल इंपोर्ट की इस निर्भरता ने नया रिकॉर्ड कायम किया है. मसलन, दालों की घरेलू जरूरतों काे पूरा करने के लिए 2023-24 में दालों का इंपोर्ट 45 लाख टन तक पहुंच गया है, जो एक साल पहले 24.5 लाख टन था, जबकि अभी ब्राजील और अर्जेंटीना से दालों का इंपोर्ट होना है.

दालों के मामले में आत्‍मनिर्भरता के प्रयासों के बीच रिकॉर्ड इंपोर्ट की ये कहानी कई सवाल छोड़ती हैं. सीधे तौर पर कहा जाए तो दालों के मामले में आत्‍मनिर्भर बनने की ये कहानी किसानों को आत्‍मनिर्भर बनाए बिना अधूरी है, लेकिन MSP पर सिर्फ 25 फीसदी दालों की खरीदारी, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट जैसी नीतियां दाल किसानों को आत्‍मनिर्भर बनाने में बड़ा रोड़ा है और ये ही से भारत का दालों में आत्‍मनिर्भर बनने के रास्‍ते पर ब्रेक लगता हुआ दिखाई देता है. ऐसे में नीतियों को बदलने की आवश्‍यकता दिखाई पड़ती हैं. आइए इसी कड़ी में समझने की कोशिश करते हैं कि पूरा मामला क्‍या है.

पहले दालों के उत्‍पादन की कहानी

भारत दुनिया में दाल उत्‍पादन में अग्रणी है. मसलन, दुनिया की 25 फीसदी दाल भारत में पैदा होती है, लेकिन दुनिया के देशों में पैदा होने वाली कुल 27 फीसदी दाल का भारत उपभोग करता है. यहीं से शुरू होती है भारत की दाल में बेहाली की कहानी. अगर उत्‍पादन के नजरिए से इसे समझने की कोशिश करें तो भारत में दालों की खपत अनुमानित 300 लाख टन सालाना है, जबकि इस वर्ष यानी 234 लाख टन दाल के उत्‍पादन का अनुमान है, जो 2022-23 में 261 लाख टन था.

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इसी तरह 2021-22 में 273 लाख टन था तो 2020-21 में 254.63 लाख टन का उत्‍पादन हुआ था. मांग के अनुरूप दाल उत्‍पादन ना होने की वजह से भारत को विदेशों से दाल इंपोर्ट करनी पड़ती है. 

कमी के बावजूद किसान इस वजह से नहीं करते दालों की खेती

भारत सरकार दालों के मामले में आत्‍मनिर्भर बनना चाहती है. इसके लिए प्रयास जारी हैं, लेकिन किसानों के बीच दालों यानी दलहनी फसलों की खेती को लेकर क्रेज नहीं दिखाई देता है. इसके पीछे कई कारण नजर आते हैं, जिसमें जलवायु परिवर्तन की चुनाैतियाें से मौसम में बदलाव बड़ी चुनाैती है, लेकिन फसलों का वाजिब दाम ना मिलना भी बड़ी समस्‍या है. इस वजह से किसान दलहनी फसलों की खेती से दूरी बनाते हैं. 

MSP पर सिर्फ 25 फीसदी दालों की खरीदारी 

भारत को दालों के मामले में आत्‍मनिर्भर बनने के लिए किसानों को आर्थिक मोर्चे पर मजबूत बनाना जरूरी दिखाई पड़ता है. इसके लिए सरकार ने काम भी किया है. मसलन, PM Aasha जैसी योजना शुरू की हैं, जो दलहनी, तिलहनी फसलों  की MSP पर खरीद की सुनिश्‍चिता तय करती है, लेकिन इस योजना की शर्ते MSP के मोर्चे में किसान मजबूती की सबसे बड़ी बाधा नजर आती है.

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असल में PM Aasha की गाइडलाइंस में कुल उत्‍पादन का 25 फीसदी खरीद की व्‍यवस्‍था की गई है. ऐसे में एजेंसियां 25 फीसदी खरीदने के बाद खरीद बंद कर देती हैं और 75 फीसदी उपज MSP के दायरे से बाहर हाे जाती है. नतीजतन आवक अधिक रहने पर किसानों  को उनकी फसल का वाजिब नहीं मिल पाता है. 

फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से दाल इंपोर्ट

भारत को दालों के मामले में आत्‍मनिर्भर बनाने में एक दूसरी बड़ी चुनाैती फ्री ट्रेड एग्रीमेंट  के तहत दाल इंपोर्ट है. असल में भारत फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में शामिल हैं. इस एग्रीमेंट के तहत दो देशों के बीच व्‍यापार को कई तरह की छुट दी जाती है. इसी कड़ी में भारत दुनिया के कई देशों से ड्यूटी फ्री दाल इंपोर्ट करता है. नतीजतन, कम कीमत में दाल इंपोर्ट हो जाती है. इस वजह से किसानों को देश में उनकी उपज के वाजिब दाम नहीं मिल पाते हैं. ऐसे में किसानों के बीच दालों की खेती की स्‍वीकार्यता कम दिखाई देती है. 

सरकार की इस पहल से है उम्‍मीद 

दालों के मामले में भारत को आत्‍मनिर्भर बनाने के सरकार के प्रयास पुरानी नीतियों को तोड़ते हुए दिखाई देते हैं, जिसमें किसान आंदोलन के दौरान आंदोलनकारी किसानों को 5 साल तक तीन दालों की खरीद की गारंटी का प्रस्‍ताव वाली पहल नई उम्‍मीद दिखती है. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार इस प्रस्‍ताव पर गंंभीर है, जिसे लागू किया जा सकता है. मसलन, अगर ये प्रस्‍ताव लागू होता है तो इससे किसानों की उनकी दाल उपज की खरीद की गारंटी मिल जाएगी और दालाें के मामले में भारत के आत्‍मनिर्भर बनने का रास्‍ता आसान हो सकेगा.

 

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