EL Nino का असर बीते साल देश ने देखा. जून 2023 से एक्टिव हुए अल नीनो की वजह से मॉनसून में भी कई राज्य सूखे रहे. 100 सालों में अगस्त का महीना सबसे सूखा दर्ज किया गया. मसलन, अल नीनो की वजह से मॉनसून में हुई कम बारिश के चलते देश के 25 फीसदी भाग में सूखा, 40 फीसदी भाग में कम बारिश दर्ज की गई है, इस वजह से देश के कई राज्यों में नदियों और भूजल स्तर में गिरावट देखी गई. अब फिर से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के सक्रिय होने का समय आ रहा है. इसको लेकर भी IMD पूर्वानुमान जारी कर चुका है.
IMD की तरफ से जारी पूर्वानुमान के मुताबिक इस साल मॉनसून की आवक से पहले अल नीनो न्यूट्रल हो जाएगा. इसके साथ ही जुलाई से La Nina के एक्टिव होने की संभावना है. इस वजह से मॉनसून में सामान्य से अधिक बारिश देश के अधिकांश राज्यों में दर्ज की जा सकती है. आइए इसी कड़ी में समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्यों La Nina को मॉनसून में बेहतर बारिश की गांरटी माना जा रहा है.
ला नीना को अल नीनो को विरोधी भी कहा जाता है. स्पेनिश में अल नीनो का मतलब छोटा लड़का है तो वहीं ला नीना का मतलब छोटी लड़की है. अल नीनो को जहां सूखे या तापमान में बढ़ोतरी के लिए जाना चाहता है तो वहीं ला नीना को तापमान में गिरावट यानी ठंड में बढ़ोतरी के लिए जाना जाता है. असल में ट्रेड विंंड के अधिक तेज होने की वजह से ला नीना एक्टिव होता है. इन हवाएं के तेज होने से गर्म पानी पश्चिमी प्रशांत महासागर की ओर जमा हो जाता है तो वहीं ठंडा पानी मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर की ओर जमा हो जाता है. इस कारण प्रशांत महासागर का पानी सामान्य तापमान से कम हो जाता है,जो जेट स्ट्रीम को उत्तर की ओर धकेलता है. इससे दुनिया के कई देशों के मौसम में व्यापक बदलाव होता है. ला नीना अक्सर अल नीनो के बाद सक्रिय होता है.
ला नीना से भारत समेत एशिया के मौसम में भी बदलाव होता है. असल में प्रशांत महासागर के पानी के ठंड होने से यानी ला नीना के प्रभाव के भारत के संदर्भ की बात करें तो ला नीना पूरे भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में भारी मानसून पैदा करता है.
असल में ला नीना पश्चिमी प्रशांत, हिंद महासागर और सोमालिया के तट पर उच्च तापमान पैदा करता है. इसके कारण पूरे भारत में भारी माॅनसूनी वर्षा होती है. इसी तरह इससे पेरू और इक्वाडोर में सूखे जैसी स्थिति पैदा हो जाती है. तो वहीं दक्षिणपूर्वी अफ्रीका में ठंडी सर्दियां और दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका में ठंड बढ़ती है. इसके कारण ऑस्ट्रेलिया में भारी बाढ़ आती है.
ला नीना और मॉनसून का पुराना कनेक्शन रहा है. असल में प्रत्येक 2 से 7 साल के बीच अल नीनो और ला नीना की परिस्थतियां बनती हैं. ऐसे में इससे पहले भी अल नीनो और ला नीना मॉनसून को प्रभावित कर चुके हैं. भारतीय मौसम विभाग यानी IMD के आंकड़ों के साल 1953 से 2023 के बीच कुल 22 ला नीना साल दर्ज किए गए हैं, जिसमें से सिर्फ दो बार यानी साल 1974 और 2000 के मॉनसून सीजन में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है, जबकि बाकी सालों के मॉनसून में सामान्य से अधिक, अधिक बारिश दर्ज की गई है.
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