National Cashew Day: जानिए इतना महंगा क्यों होता है काजू, ये हैं 6 बड़ी वजहें 

National Cashew Day: जानिए इतना महंगा क्यों होता है काजू, ये हैं 6 बड़ी वजहें 

काजू दुनिया के सबसे मेहनत-तलब ड्राई फ्रूट्स में से एक माना जाता है. इसका छिलका बेहद कठोर और जहरीला होता है जिसे हाथ से प्रोसेस किया जाता है. काजू के असली दाने तक पहुंचने में कई स्टेप शामिल होते हैं जैसे सुखाना, भूनना, छिलका हटाना, पॉलिशिंग और पैकिंग. इस पूरी प्रक्रिया में ज्यादा समय और बेहतर स्किल की जरूरत होती है. 

 National Cashew Day National Cashew Day
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 22, 2025,
  • Updated Nov 22, 2025, 10:32 AM IST

National Cashew Day के मौके पर काजू की बढ़ती कीमतों पर चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है. मिठाइयों से लेकर स्नैक्स तक, काजू भारतीय रसोई में खास जगह रखता है, लेकिन इसकी ऊंची कीमतें हमेशा सवाल खड़े करती हैं. लेकिन क्‍या कभी आपने यह जानने की कोशिश की है कि आखिर यह मेवा इतना महंगा क्‍यों होता है. काजू को पेड़ से लेकर प्‍लेट तक आने में जिन प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, वही दरअसल उसे इतना महंगा बना देती हैं. इसके बावजूद काजू अपनी स्वादिष्टता और हेल्थ बेनेफिट्स की वजह से हर घर का पसंदीदा बना हुआ है. जानिए काजू के इतना महंगा होने की कुछ खास 6 वजहों के बारे में. 

1: काजू की खेती बेहद चुनौतीपूर्ण

काजू का पेड़ फल देने में कई साल लेता है. मौसम में थोड़ी-सी भी गड़बड़ी उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित कर देती है. काजू के फल में सिर्फ एक ही बीज होता है और खाने योग्य दाना कुल फल का लगभग 20 से 25 प्रतिशत ही होता है. यानी बहुत बड़ी मात्रा में फलों से बहुत कम काजू निकलता है. वहीं इसका पेड़ उष्णकटिबंधीय जलवायु में ही अच्छी पैदावार देता है. इसे नमी, गर्मी और समय पर वर्षा की जरूरत होती है. थोड़े से मौसम बदलाव से भी इसकी फसल प्रभावित हो जाती है. कठोर मौसम और जलवायु परिवर्तन काजू उत्पादन को लगातार चुनौती दे रहे हैं, जिससे इसकी कीमतों पर असर पड़ता है.

2: एक काजू की कीमत तुम क्‍या जानो! 

काजू दुनिया के सबसे मेहनत-तलब ड्राई फ्रूट्स में से एक माना जाता है. इसका छिलका बेहद कठोर और जहरीला होता है जिसे हाथ से प्रोसेस किया जाता है. काजू के असली दाने तक पहुंचने में कई स्टेप शामिल होते हैं जैसे सुखाना, भूनना, छिलका हटाना, पॉलिशिंग और पैकिंग. इस पूरी प्रक्रिया में ज्यादा समय और बेहतर स्किल की जरूरत होती है. 

3:छिलके में मौजूद जहरीला तेल

काजू के कठोर छिलके में CNSL नाम का कास्टिक ऑयल होता है जो त्वचा जलाने तक की क्षमता रखता है. इस जहरीले पदार्थ को सुरक्षित तरीके से निकालना और उसके बाद दाने को प्रोसेस करना तकनीकी रूप से काफी कठिन और महंगा काम है. यही वजह है कि प्रोसेसिंग पर अधिक खर्च होता है. वहीं प्रोसेसिंग में मशीनों के मुकाबले मैनुअल लेबर ज्यादा उपयोग होता है. ट्रेन्‍ड और स्किल्‍ड मजदूरों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. श्रम लागत बढ़ने से काजू की अंतिम कीमत भी बढ़ती है.

4: डिमांड ज्यादा, उत्पादन कम

भारत दुनिया के सबसे बड़े काजू उपभोक्ताओं में से एक है. त्योहारों, मिठाइयों, होटलों और स्नैक्स में इसकी भारी मांग रहती है. लेकिन घरेलू उत्पादन उतनी तेजी से नहीं बढ़ रहा है जितनी मांग बढ़ रही है. यही मांग–आपूर्ति का अंतर कीमतों को ऊपर ले जाता है. ज्‍यादा मांग और सीमित सप्लाई की वजह से काजू की कीमतें अक्सर ऊंची बनी रहती हैं. साथ ही एक्सपोर्ट-ग्रेड काजू विदेशों में भी बड़ी मात्रा में भेजा जाता है जिससे घरेलू बाजार में मूल्य और बढ़ जाता है. 

5:ग्रेडिंग और क्वालिटी भी अलग-अलग 

कच्चे काजू जब प्रोसेस होकर खाने योग्य बनते हैं तो उनका वजन 40 से 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है. यानी जितनी मात्रा में कच्चा काजू खरीदा जाता है उसका आधा भी दाना नहीं निकलता। यह भी कीमत बढ़ने का प्रमुख कारण है. काजू W180, W210, W240, W320 जैसे विभिन्न ग्रेड में उपलब्ध होता है. बड़े, सफेद और बिना टूटा हुआ काजू सबसे महंगा माना जाता है. ग्रेडिंग की इस प्रणाली के कारण भी कीमतों में अंतर देखने को मिलता है. 

6: स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट की लागत

काजू नमी और तापमान के प्रति बेहद संवेदनशील है. इसे ठंडे और सूखे माहौल में ही स्टोर किया जाता है. एयरटाइट पैकेजिंग, कोल्ड स्टोरेज और सुरक्षित ट्रांसपोर्टेशन पर भी अच्छी-खासी लागत आती है जो इसकी अंतिम कीमत को प्रभावित करती है. भारत कई देशों से कच्चा काजू आयात करता है, जिनमें अफ्रीकी देशों का बड़ा हिस्सा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव, शिपिंग लागत, कंटेनर चार्ज और लॉजिस्टिक्स में बढ़ोतरी सीधे काजू की कीमतों पर असर डालती है.

यह भी पढ़ें- 


 

MORE NEWS

Read more!