देश में मशरूम की मांग काफी तेजी से बढ़ रही है. इसी कड़ी में कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में मशरूम (Mushroom Cultivation) को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत 16 दिसंबर से होने जा रही है. जहां पर जाकर कोई भी मशरूम की खेती करना सीख सकता है. मशरूम केंद्र के नोडल अधिकारी डॉक्टर एसके विश्वास ने बताया कि छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 16 दिसंबर से 21 दिसंबर 2024 तक आयोजित किया जा रहा है. डॉ विश्वास ने बताया कि कोई भी व्यक्ति (कृषक, छात्र एवं शहरी लोग) जो मशरूम की खेती या व्यवसाय करना चाहते हैं. तो यह उनके लिए उत्तम अवसर है.
उन्होंने बताया कि यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर लोग ओएस्टर, बटन या मिल्की मशरूम की खेती शुरू कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि 6 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में विस्तार से प्रशिक्षणार्थियों को तकनीकी सलाह उपलब्ध कराई जाएगी. साथ ही प्रशिक्षण के दौरान मशरूम उगाने के विभिन्न प्रकार के प्रयोग (प्रैक्टिकल) भी कराए जाएंगे.
डॉ विश्वास ने बताया कि प्रशिक्षण में प्रतिभाग करने के लिए रुपया 1000/- पंजीकरण शुल्क के साथ अपनी आईडी (आधार की कॉपी) एवं एक स्वयं की पास पोर्ट साइज फोटो देनी होगी. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में अगर कोई किसान बाहर से आता है, तो उसे रुकने की व्यवस्था होगी. लेकिन उसके लिए प्रशिक्षणार्थी को अलग से शुल्क देना होगा.
विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉक्टर खलील खान ने बताया कि सफलतापूर्वक प्रशिक्षण के बाद सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि मशरूम पर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले कोई भी युवक/युवतियां अधिक जानकारी के लिए 9452522504,9140717052 मोबाइल नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.
ओएस्टर और बटन मशरूम की खेती ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी के साथ आगे बढ़ रही है. यह खेती किसानों को कम लागत में ज्यादा आमदनी का एक महत्वपूर्ण साधन प्रदान कर रही है, खासकर उन इलाकों में जहां परंपरागत खेती करने में मुश्किलें आती हैं.
मशरूम की खेती के बारे में कृषि एक्सपर्ट डॉक्टर एसके विश्वास ने बताया कि ओएस्टर मशरूम की खेती कम लागत में की जा सकती है और इसे घर या छोटे स्तर पर भी शुरू किया जा सकता है. इसमें अधिक जमीन की आवश्यकता नहीं होती और यह केवल नमी और छाया वाली जगह पर आसानी से उगाई जा सकती है. वहीं, बटन मशरूम की खेती के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि थोड़ी तकनीकी और देखभाल की मांग करती है, लेकिन इसका बाजार में दाम अधिक होता है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा होता है.