
देश के तीन राज्य भी अब डिजिटल कृषि मिशन यानी एग्रीस्टैक का हिस्सा बन गए हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार अब पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य भी अब सरकार की उस खास योजना का हिस्सा में शामिल हो गए हैं जिसका उद्देश्य किसानों को उनके भूमि रिकॉर्ड से जुड़ी यूनिक आईडी प्रदान करना है. एग्रीस्टैक केंद्र सरकार के उस मुहिम का हिस्सा है जिसके तहत खेती के हर रिकॉर्ड के लिए डिजिटल इनफ्रास्ट्रक्चर में लेकर आना है ताकि एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार हो सके जो सारी सेवाओं को किसानों को एक ही जगह मुहैया कराने में सक्षम हो.
अखबार फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट केअनुसार एक अधिकारी ने बताया है कि पंजाब जल्द ही किसानों को आईडी देना शुरू करेगा. फिलहाल अभी 'प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट' प्रक्रिया चल रही है. वहीं हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड ने भी इस पर काम शुरू कर दिया है. कुल मिलाकर, 16 राज्यों ने अब तक 7.4 करोड़ से ज्यादा ऐसी आईडी प्रदान की हैं, जिन्हें किसान पहचान पत्र भी कहा जाता है. अधिकारियों की मानें तो वित्त वर्ष 2026 के अंत तक 9 करोड़ ऐसी आईडी किसानों को देने का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा.
अभी जो स्थिति हैं उसके तहत 11.2 करोड़ लाभार्थी डायरेक्टर कैश ट्रांसफर प्रोग्राम यानी किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत आते हैं. किसानों की डिजिटल रजिस्ट्री बनाने का यह कदम सरकार के डिजिटल कृषि मिशन का हिस्सा है, जिससे किसानों को कई योजनाओं का लाभ मिल सकेगा. वित्त वर्ष 27 में, कृषि मंत्रालय 11 करोड़ किसान आईडी प्रदान करने की योजना बना रहा है. इसका मकसद पॉलिसी मेकर्स के लिए किसानों की जनसांख्यिकी प्रोफाइल, भूमि जोत और फसल पैटर्न की समझ को आसान बनाना है.
इस सुविधा से राज्यों को खास योजनाएं तैयार करने में भी मदद मिल सकेगी. उत्तर प्रदेश (1.56 करोड़), महाराष्ट्र (1.24 करोड़), मध्य प्रदेश (9.3 करोड़), राजस्थान (7.9 करोड़), गुजरात (5.7 करोड़), आंध्र प्रदेश (4.5 करोड़), तेलंगाना (3.2 करोड़) और तमिलनाडु (3.1 करोड़) किसान आईडी जारी करने में सबसे आगे हैं. अनुमानों के अनुसार, देश में 14 करोड़ किसान हैं और इनमें से लगभग 35 से 40 फीसदी के पास जमीन नहीं हैं. ये किसान पट्टे पर खेती करते हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि किसानों की यूनिक आईडी विशिष्ट आईडी की मदद से ऋण और फसल बीमा को मंजूरी देना आसान हो सकेगा. जबकि पीएम किसान योजना के तहत डायरेक्ट कैश ट्रांसफर को इन आईडी से जोड़े जाने की संभावना है. उन्होंने बताया कि ज्यादातर राज्यों ने लैंड रिकॉर्ड्स का डिजिटाइजेशन कर दिया है. साल 2025-26 में एग्री-स्टैक के तहत, सरकार ने कानूनी उत्तराधिकारी प्रणालियों सहित किसान रजिस्ट्री को और डेवलप करने के लिए 4,000 करोड़ रुपये और डिजिटल फसल सर्वे के लिए 2,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. एग्रीस्टैक के तहत -जियो रेफेरेंस गांवों के मैप्स, बोई गई फसल की रजिस्ट्री और किसानों की रजिस्ट्री आईडी का डेटाबेस बनाया जा रहा है. वर्तमान में, पश्चिम बंगाल और कुछ केंद्र शासित राज्यों को छोड़कर, 29 राज्यों ने एग्री स्टैक के लिए MoU पर साइन कर दिया है.
यह भी पढ़ें-