गाय-भैंस का बांझपन दूर कर ऐसे बढ़ेगा दूध उत्पादन, जानें पूरी डिटेल 

गाय-भैंस का बांझपन दूर कर ऐसे बढ़ेगा दूध उत्पादन, जानें पूरी डिटेल 

गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना में देशभर के 25 साइंटिस्ट इस पर चर्चा कर रहे हैं कि कैसे बांझपन के इलाज को सस्ता बनाया जाए. इलाज का असर दूध पर न पड़े. पशु का चारा कैसा हो समेत पशुओं से जुड़ी और भी चीजों पर ध्यान दिया जा रहा है. 

फाइल फोटो. फोटो क्रेडिट-किसान तकफाइल फोटो. फोटो क्रेडिट-किसान तक
नासि‍र हुसैन
  • May 02, 2023,
  • Updated May 02, 2023, 2:31 PM IST

पशु पालक अगर थोड़ा सा अलर्ट हो जाएं तो दूध उत्पादन को आसानी से बढ़ाया जा सकता है. वहीं चारे पर खर्च होने वाली लागत को भी बड़ी ही आसानी से कम किया जा सकता है. समय-समय पर एक्सपर्ट इसके लिए टिप्स भी देते रहते हैं. उनका मानना है कि दूध देने वाले पशुओं में बांझपन एक बड़ी समस्याइ है. देशभर के करीब 30 फीसद दुधारू पशुओं में बाझंपन की परेशानी है. लेकिन छोटी-छोटी बातों पर ध्या न देते हुए बांझपन की बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकताहै. 

गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना के पशु चिकित्सा स्त्री रोग और प्रसूति विभाग ने हाल ही में इस विषय पर एक कार्यक्रम भी आयोजित किया था. जिसमे देशभर के एक्सपर्ट जुटे थे. दुधारू पशुओं में बांझपन खत्म हो जाए. किसान को गाय-भैंस से बच्चे के साथ-साथ वक्त से दूध मिलने लगे, इससे संबंधित टॉपिक पर कई टिप्स  दिए गए थे. साथ ही बांझपन से जुड़ा इलाज और जागरुकता किस तरह और कैसे उसे किसान तक पहुंचाया जा सकता है इस बारे में भी बात की गई थी. 

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बांझपन की सबसे बड़ी दवा है वक्त से इलाज कराना

सेंटर ऑफ एडवांस फैकल्टी ट्रेनिंग (सीएएफटी) के निदेशक डॉ. मृगांक होनपरखे ने किसान तक को बताया कि एडवांस्ड इनसाइट्स ऑन थेरियोजेनोलॉजी टू अमेलियोरेट रिप्रोडक्टिव हेल्थ ऑफ डोमेस्टिक एनिमल्स" जैसे विषय पर हम कार्यक्रम भी चलाते हैं. कार्यक्रम के दौरान किसानों के ध्यान रखने वाली बातें उस भी चर्चा होती है. किसान को हम सबसे पहले यह बताते हैं कि अगर वो चाहते हैं कि उनके पशुओं में बांझपन की समस्यान न हो तो उन्हें सबसे पहला काम यह करना है कि वो बांझपन का इलाज कराने में देरी न करें. 

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क्योंकि बांझपन जितना पुराना होगा तो उसके इलाज में उतनी ही परेशानी आएगी. इसलिए सही समय पर पशुओं की जांच कराएं. अगर भैंस दो से ढाई साल में हीट पर नहीं आती है तो ज्यादा से ज्यादा दो से तीन महीने ही इंतजार करें, अगर फिर भी हीट में नहीं आती है तो फौरन अपने पशु की जांच कराएं. इसी तरह से गाय के साथ है. अगर गाय डेढ़ साल में हीट पर न आए तो उसे भी दो-तीन महीने इंजार के बाद डॉक्टर से सलाह लें. 

दोबारा गाभिन कराने में न करें देरी 

डॉ. मृगांक ने बताया कि एक बार बच्चा देने के बाद भी बांझपन की शिकायत आती है. इसलिए अगर गाय-भैंस एक बार बच्चा देती है तो दोबारा उसे गाभिन कराने में देरी न करें. आमतौर पर पहली ब्याहत के बाद दो महीने का अंतर रखा जाता है. लेकिन इस अंतर को ज्यादा रखें. अंतर जितना ज्यादा रखा जाएगा बांझपन की परेशानी बढ़ने की संभावना उतनी ही ज्यादा हो सकती है. 

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