स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के बीच इन दिनों माइक्रोग्रीन्स का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. माइक्रोग्रीन्स सब्जियों और जड़ी-बूटियों के अंकुरों से उत्पन्न पहली पत्तियां होती हैं, जो लगभग 2 से 3 इंच लंबी होती हैं. इसे आप रोजाना आसानी से खा सकते हैं. इसे आसानी से घर पर उगाया जा सकता है और यह सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है.
ये अंकुरित सब्जियों के छोटे, युवा रूप हैं. यह स्प्राउट्स की तरह होते हैं. उनकी कटाई तब की जाती है जब वे कुछ सप्ताह के हो जाते हैं और "लंबे पत्तों" का पहला सेट विकसित कर लेते हैं. स्प्राउट्स की तुलना में माइक्रोग्रीन्स को विकसित होने में थोड़ा अधिक समय लगता है. शलजम, मूली, ब्रोकोली, फूलगोभी, गाजर, चार्ड, सलाद, पालक, ऐमारैंथ, गोभी, चुकंदर, अजमोद और तुलसी सहित पौधों की कई किस्में हैं. इन्हें आसानी से माइक्रोग्रीन्स के रूप में उगाया जा सकता है.
माइक्रोग्रीन्स का उपयोग सलाद में भी किया जा सकता है. विटामिन ए, बीटा कैरोटीन, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के और एंटीऑक्सीडेंट की अधिक मात्रा होने के कारण इसे नियमित रूप से सलाद में खाया जा सकता है. ये स्वाद में भी बहुत स्वादिष्ट होते हैं. माइक्रोग्रीन्स का पोषण मानव शरीर के लिए बेहद जरूरी है. ये पौधे विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं.
माइक्रोग्रीन्स के नियमित सेवन से पेट संबंधी समस्याओं से भी राहत मिलती है, इसमें अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, जो आंतों को स्वस्थ रखते हैं. पालक और चुकंदर के माइक्रोग्रीन्स में प्रोटीन गुण होते हैं और इन्हें धूप और हवा वाले किसी भी जगह पर उगाया जा सकता है.