महराष्ट्र गन्ने की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में शामिल है. लेकिन यहां के गन्ना किसानों और गन्ने के खेतों में काम करने वाले मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए कोई ठोस और मजबूत कानून नहीं है, इसलिए महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने गुरुवार को अधिकारियों से गन्ना किसानों और गन्ना काटने वाले मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए एक व्यापक कानून तैयार करने के लिए कहा है. फडणवीस सरकार में वित्त विभाग संभाल रहे पवार ने कहा कि इस तरह के कानून से किसानों, गन्ना काटने वालों और मजदूरों को पर्यवेक्षकों, ट्रांसपोर्टरों और मिल अधिकारियों द्वारा ठगे जाने से बचाया जा सकेगा.
पवार के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि फिलहाल गन्ना मिलें गन्ना काटने वाले मजदूर उपलब्ध कराने के लिए पर्यवेक्षकों से कॉन्ट्रैक्ट करती हैं, जिसके लिए करोड़ों रुपये का एडवांस भुगतान किया जाता है, लेकिन पर्यवेक्षक नियमों का पालन नहीं करते और मजदूरों को ठगा जाता है. प्रस्तावित कानून का उद्देश्य सभी के हितों की रक्षा करना है.
उप मुख्यमंत्री ने श्रम, समाज कल्याण, गृह, कानून और न्यायपालिका और सहकारिता विभागों से गन्ना किसानों, गन्ना काटने वालों, ट्रांसपोर्टरों, चीनी मिलों के संघों की राय-शुमारी से मसौदा कानून तैयार करने में समन्वय करने के लिए कहा है, ताकि इसे कैबिनेट के सामने रखा जा सके.
वहीं, महाराष्ट्र सरकार के नए आदेश के मुताबिक, अब राज्य सरकार की सभी फाइलें उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास जाएंगी और फिर उन्हें मंजूरी के लिए सीएम देवेंद्र फडणवीस के पास भेजा जाएगा. राज्य की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने 18 मार्च को इस संबंध में आदेश जारी किया. बताया गया कि इस कदम का उद्देश्य 2023 में मौजूद उस व्यवस्था को फिर से बहाल करना है, जिसमें फाइलों की जांच तत्कालीन दो उप मुख्यमंत्रियों - अजित पवार और फडणवीस द्वारा की जाती थी और फिर उन्हें तत्कालीन सीएम शिंदे के पास भेजा जाता था.
आदेश के अनुसार, "26 जुलाई, 2023 से फाइलें उपमुख्यमंत्री अजित पवार, जिनके पास वित्त विभाग है, से लेकर (तत्कालीन) उपमुख्यमंत्री फडणवीस, जिनके पास गृह, कानून और न्यायपालिका विभाग हैं, के पास भेजी जाती थीं और फिर मंजूरी के लिए तत्कालीन सीएम शिंदे के पास भेजी जाती थीं." यह व्यवस्था तब की गई थी जब पवार, जो उस समय राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता थे, 2 जुलाई, 2023 को कई एनसीपी विधायकों के साथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गए थे.
अब, पिछले साल राज्य चुनावों में महायुति- भाजपा, शिवसेना शिंदे गुट और पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी की जीत के बाद फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद, व्यवस्था बदल दी गई है. नए आदेश के अनुसार, शिंदे की मंजूरी के बाद फाइलें फडणवीस को भेजी जाएंगी. महायुति ने नवंबर 2024 में 288 सीटों वाले राज्य विधानसभा के चुनावों में भारी जीत दर्ज की थी और पिछले साल दिसंबर में फिर से सरकार बनाई. भाजपा को 132 सीटें मिलने के बाद फडणवीस मुख्यमंत्री बने, उसके बाद शिवसेना-57 और एनसीपी-41 सीटें मिलीं. (पीटीआई)
ये भी पढ़ें -