Multilayer farming: भारत के सभी राज्यों में बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. लोग आजीविका के अलावा शौक के तौर पर भी खेती करते रहे हैं. ऐसे में लोगों द्वारा कृषि क्षेत्र में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं ताकि समय के साथ कृषि क्षेत्र में बदलाव लाया जा सके. जहां पहले किसान केवल आजीविका के लिए खेती करते थे, वहीं अब वे इसे व्यावसायिक तौर पर करने लगे हैं. परिणामस्वरूप, न केवल मुनाफा बढ़ा है, बल्कि वह एक सफल किसान के रूप में भी उभरे हैं और दूसरों को प्रेरित किया है. ऐसे में मल्टीलेयर फार्मिंग (Multilayer farming) उन सभी किसान भाई/बहनों के लिए है जो कृषि क्षेत्र में बदलाव देखना चाहते हैं. आइये जानते हैं क्या है मल्टीलेयर फार्मिंग.
बढ़ती आबादी के कारण जिस तरह से खेती योग्य जमीन कम होती जा रही है, उसे देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर समय रहते इसका समाधान नहीं निकाला गया तो आने वाले समय में चुनौतियां बढ़ सकती हैं. ऐसे में मल्टीलेयर फार्मिंग इस समस्या का समाधान हो सकती है.
मल्टीलेयर फार्मिंग (multilayer farming) जिसे बहुपरत खेती के नाम से भी जाना जाता है. जैसा कि नाम से पता चलता है, इसमें एक ही स्थान पर एक साथ कई प्रकार की फसलों की खेती की जा सकती है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक खेती जमीन का उपयोग देखकर की जाती है. इस विधि में उन फसलों का चयन किया जाता है जिन्हें जमीन के अंदर आसानी से उगाया जा सकता है. जहां कुछ फसलें बेलों पर उगाई जाती हैं, वहीं कुछ फसलें जमीन पर एक निश्चित दूरी पर या फसल के बीच में एक साथ उगाई जाती हैं. इस विधि का उपयोग करके किसान एक ही भूमि में एक साथ कई फसलें उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. अन्यथा अधिकतर किसान भाई एक सीजन में एक या दो फसलें ही उगा पाते हैं, जिससे उन्हें मुनाफा कम और नुकसान ज्यादा उठाना पड़ता है. लेकिन अब हम इस विधि के माध्यम से किसान सफल खेती कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें: Business Idea: मधुमक्खी पालन कर कमा सकते हैं अच्छा मुनाफा, जानें क्या है तरीका
मल्टीलेयर खेती में फसलों का सही चयन बहुत महत्वपूर्ण है. अगर पहली परत में बड़े पौधे लगा दिए जाएं तो बाकी परतें बेकार हो जाएंगी. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक पहली परत में हल्दी और अदरक को छोटे पौधों के रूप में बोया जा सकता है. दूसरी परत में भी कम गहराई एवं कम ऊंचाई वाली सब्जियों की फसल का चयन करें. तीसरी परत में बड़े पेड़, पपीता या कोई अन्य फलदार पौधा लगाया जा सकता है. चौथी परत में कोई भी बेल वाली फसल लगाई जा सकती है.
मल्टीलेयर खेती का एक लाभ कम पानी की आवश्यकता है. दरअसल, सभी फल एक ही जमीन में बोए जाते हैं. ऐसे में एक फल को सींचने से दूसरे फल को भी पानी मिल जाता है. इस प्रकार लगभग 60-70 प्रतिशत कम पानी की आवश्यकता होती है.
बहुपरतीय खेती को बहुफसली या बहुस्तरीय खेती या बहुपरतीय खेती भी कहा जाता है. यह पानी, उर्वरक और मिट्टी के सकल उपयोग और प्रति इकाई अधिकतम उपज प्राप्त करने पर आधारित एक एकीकृत कृषि प्रणाली है. इसमें एक फसल के लिए आवश्यक उर्वरक एवं सिंचाई से एक ही खेत से एक वर्ष में 4-5 फसलों की उपज प्राप्त की जा सकती है. यही कारण है कि बहुस्तरीय खेती प्रति इकाई भूमि पर उच्च उत्पादकता और कम लागत पर उच्च आर्थिक लाभ प्रदान करती है.