इंडिया टुडे ग्रुप के डिजिटल और यूट्यूब चैनल किसान तक का महासम्मेलन गुरुवार शाम नई दिल्ली में संपन्न हो गया. इस प्रोग्राम में खेती-किसानी, तकनीक, एग्री बिजनेस, पोल्ट्री, डेयरी, राजनीति और लखपति दीदी योजना से जुड़े विशेषज्ञ शामिल हुए. प्रोग्राम में मुख्य अतिथि के तौर पर भारत सरकार के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हुए. साथ ही उत्तराखंड सरकार के कृषि मंत्री गणेश जोशी भी शामिल हुए. इसके अलावा कृषि विश्वविद्यालयों के वीसी और एग्री टेक के विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी. तो आइए इस पूरे सेशन की 10 मुख्य बातों का यहां जान लेते हैं.
जीएम सीड्स के बारे में कृषि मंत्री ने कहा, इसे लेकर हमारे वैज्ञानिकों के मन में आशंकाएं हैं, किसान के मन में तो है ही क्योंकि ये बीज जब हम इस्तेमाल करते हैं तो इसे हर साल बदलना पड़ता है. किसान इन बीजों पर निर्भर हो जाते हैं. इसके कई तरह के दुष्परिणाम हैं. ऐसे कई साइंटिस्ट भी कहते हैं, देश में भी आशंकाएं हैं. इसलिए अभी हमने जीएम सीड की तरफ नहीं जाने का फैसला लिया है. तब तक कि जब तक सारी आशंकाओं का समाधान न हो जाए. कोई भी चीज जो लॉन्ग टर्म में हमारे किसान के लिए न हो, हम केवल कंपनियों पर बीज के लिए आधारित हो जाएं और कंपनियां मनमाने तरीके से दाम बढ़ाएं और उसके बाकी दुष्परिणाम भी हों, ये देखते हुए हम एकदम जीएम सीड्स की तरफ नहीं जा सकते. सोच विचार करके ऐसे फैसले होते हैं.
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हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत में किसानों की भूमिका के सवाल पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों को हम वोट बैंक के रूप में नहीं देखते हैं. उन्होंने कहा कि कृषि के लिए हमें तात्कालिक और दीर्घकालिक उपाय करने होंगे. किसान तो अन्नदाता है. अन्नदाता सुखी भव: ये हमारा मूल मंत्र है. किसान हमारे लिए वोट बैंक नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारी दीर्घकालिक योजनाओं में फसल विविधीकरण, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती, दलहन और तिलहन के लिए अलग मिशन बनाए गए हैं. बागवानी पर काम किया जा रहा है. खेती से जुड़ी आय बढ़ाने वाली अन्य गतिविधियों पर हम काम कर रहे हैं.
उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि ये लोग (विपक्ष) मोदी जी के सुधार कार्यों को रोकना चाहते हैं, तभी ऐसे काम करते हैं. इसलिए सोशल मीडिया के माध्यम से यह सच्चाई लोगों तक जानी चाहिए. हमने तीन कृषि कानूनों को रोका है, उसे फिर से लागू करेंगे और किसानों को फायदा देंगे. थोड़ा इंतजार कीजिए, कानूनों को वापस लिया है, स्थगित नहीं किया है. उसे लागू करेंगे, पीएम मोदी जी लागू करेंगे. यह दावे के साथ कहते हैं.
गणेश जोशी ने किसान आंदोलन पर कहा कि क्या केवल पंजाब में किसान हैं, क्या हरियाणा में केवल किसान है, या क्या यूपी के एक छोटे से इलाके में किसान हैं जहां से ये सब (आंदोलन) होता है. असल बात ये है कि किसानों का एक बड़ा वर्ग आज मोदी जी के साथ है, इसलिए हमारे साथी (विपक्ष) किसान आंदोलन को हवा देते हैं. मोदी जी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पहला काम ये किया कि 10 करोड़ किसानों के खाते में पीएम किसान की राशि भेजने के लिए फाइल पर हस्ताक्षर किया. उत्तराखंड का किसान और जवान दोनों मोदी जी के साथ है.
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के वीसी डॉ. केके सिंह ने कहा कि अब देश में ही कृषि की तकनीक और उपकरण बनाए जा रहे हैं. किसानों को पराली से निजात दिलाने के लिए तकनीक का उपयोग हो रहा है. इसमें मशीनों का उपयोग बढ़ रहा है. पराली प्रबंधन में मशीनों का अधिक उपयोग हो रहा है. देश में अभी 40 प्रतिशत मशीनीकरण है जिसे तेजी से बढ़ाया जा रहा है. इसमें कस्टम हायरिंग सेंटर अच्छा काम कर रहे हैं. मशीनों में लागत कम करना जरूरी है. इसी क्रम में उन्होंने बताया कि महिला किसानों के लिए खास तरह के ट्रैक्टर की मांग बहुत पहले से थी जिसमें सफलता हासिल हो गई है. इस ट्रैक्टर का डिजाइन और मॉडल तैयार कर लिया गया है. बस इसे इंडस्ट्री में जाना बाकी है.
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यारा इंटरनेशनल के एमडी संजीव कंवर ने बताया कि कृषि क्षेत्र से से विकास कर रहा है. अगले 10 सालों में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ने की वजह से यह और तेजी से विकसित होने वाला है. संजीव कंवर ने कहा कि हमारे एसेसमेंट में यह जानकर सबसे बड़ा झटका लगता है कि महिलाओं के पास नॉलेज की सुविधा नहीं है. उन्हें लोन और दूसरी तरह की फैसेलिटी में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. महिला कॉफी उत्पादकों के साथ महिला एफपीओ के साथ काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे पास 15 फीसदी महिला किसान हैं और महिला किसानों के साथ काम करने को लेकर काफी गंभीर हैं. महिलाओं का कृषि में योगदान बहुत ज्यादा है. अगले कुछ सालों में करोड़पति महिलाएं दिखेंगी.
इस सत्र में गाजियाबाद की रहने वाली मंजू रानी और किसान तक समिट की प्रथम पुरस्कार विजेता ने कहा कि वे मुख्य तौर पर मछलीपालन का काम करती हैं. इसमें उन्हें 'पीएम मत्स्य पालन योजना'का लाभ मिला है. उन्होंने केंद्र सरकार की योजना से सब्सिडी का लाभ उठाया है. मंजू रानी मछली पालन के साथ ही सिंघाड़े की भी खेती करती हैं. मंजू रानी ने बताया कि 'पीएम संपदा योजना' के तहत 10 लाख की सब्सिडी मिलती है जिसका 60 प्रतिशत महिलाओं को और 40 प्रतिशत पुरुषों को दिया जाता है, उस सब्सिडी योजना का लाभ उठा चुकी हूं. मंजू रानी ने कहा कि वे मछली पालन के अलावा तालाब के किनारे अमरूद की खेती करती हैं. एक पौधा 150-200 किलो फल दो साल में देता है और बाजार में 160 रुपये किलो तक बिकता है. इससे लखपति बनने का सुनहरा मौका है.
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पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष, रिकी थापर ने बताया कि 103 अंडे प्रति व्यक्ति सालाना खाता है जबकि चिकन 7.5 किलो है. आने वाले समय में हम अंडा उत्पादन में पहले नंबर पर जाएंगे. पोल्ट्री के सेक्टर के क्षेत्र में हम 7-8 परसेंट की वृद्धि कर रहे हैं जबकि कृषि क्षेत्र में यह वृद्धि 2-3 परसेंट है. आने वाले समय में सोयामील और मक्का मिलना मुश्किल हो जाएगा. इसमें चुनौती है कि इथेनॉल मक्के से बनने लगा है. पहले चावल से बनता था. मक्के से इथेनॉल बनने से पोल्ट्री फीड महंगे हो गए. अगर आने वाले समय में पोल्ट्री फीड को सस्ता नहीं किया गया तो अंडे और चिकन और महंगे होंगे. सरकार से आग्रह करते हैं कि वह पोल्ट्री किसानों के बारे में सोचे.
इस सत्र में प्रगतिशील किसान ताराचंद बेलजी ने 'केमिकल लोचा' पर बताया कि अगर खेत में जिंक नहीं है तो पौधे में ऊंचाई नहीं आएगी और पौधे पर वायरस भी हमला कर देगा. जब इस गेहूं को लोग खाएंगे तो उनकी भी हाइट कम रहती है. ताराचंद बेलजी ने कहा कि इस गेहूं को खाने वालों पर भी वायरस अटैक करते हैं. उन्होंने कहा कि आज की नई पीढ़ी की लंबाई कम होने लगी है और उनपे भी वायरस जल्दी हमला कर देता है. कोरोना महामारी में भी डॉक्टरों ने दवा के साथ जिंक दिया था और बच्चों को भी जिंकोविट देते हैं.
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कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए. इन किसानों के लिए 'खेती का नुस्खा' नाम की एक प्रतियोगिता आयोजित की गई. इसमें किसानों को अपने नुस्खे बताने थे जिससे खेती-किसानी में मदद मिल सकती है. इस नुस्खे के आधार पर 'किसान तक' ने 10 किसानों को सम्मानित किया. इन 10 किसानों में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पाने वाले किसानों को क्रमश: 10,000, 5000 और 2500 रुपये की राशि दी गई. साथ में गिफ्ट हैंपर और पौधा भी दिया गया. प्रथम पुरस्कार मंजू रानी, गाजियाबाद, द्वितीय अभिषेक पांडेय, रायबरेली और तृतीय आकाश, गाजियाबाद को दिया गया.