देश के किसान बागवानी के महत्व को अच्छी तरह समझने लगे हैं और यही वजह है कि अब बढ़िया कमाई के लिए सब्जी-फलों की बागवानी पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं. केरल के किसानों में तो बागवानी का चलन काफी लंबे समय से चला आ रहा है. यही वजह है कि यहां से कई प्रकार के फलों और मसाले देश-विदेश भेजे जाते हैं. लेकिन राज्य के मलप्पुरम से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसमें किसान को बागवानी में धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा. अब उपभोक्ता अदालत ने किसान के हक में फैसला सुनाया है.
किसान को नर्सरी से खरीदे गए केले के पौधों को लेकर उम्मीद थी कि बताए गए समय पर उसे फल मिलने लगेंगे. लेकिन, किसान की भरपूर केले की फसल की उम्मीदें खत्म हो गईं- यह सूखे या बीमारी की वजह से नहीं हुआ, बल्कि एक वादे के पूरा न होने की वजह से हुआ. अब, एक स्थानीय उपभोक्ता अदालत ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए एक नर्सरी को 1 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है, क्योंकि उसने जो केले के पौधे सप्लाई किए थे, वे उम्मीद के मुताबिक फल नहीं दे पाए.
दरअसल, जिले के करिंपनथोट्टियिल, वंडूर के एक किसान ने खेती के लिए जमीन लीज पर ली थी, इस पर उसने केले की खेती का प्लान बनाया. इसके लिए चुंगथारा कृषि नर्सरी से 3,425 रुपये का भुगतान करके 'नेंद्रन' किस्म सहित 150 केले के पौधे खरीदे. किसान ने कहा कि उसे बताया गया था कि पौधे 10 महीने के अंदर फल देने लगेंगे, ताकि ओणम के मौसम में उसे बेचा जा सके. लेकिन, पौधे समय पर फल नहीं दे पाए. इससे भी बुरी बात यह है कि 'नेंद्रन' किस्म के बजाय उसे 'स्वर्णमुखी' नामक एक अलग किस्म का पौधा मिला. उसे जो दूसरे पौधे मिले, वे भी उसके ऑर्डर के मुताबिक नहीं थे.
इसके बाद किसान ने उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कर 1.64 लाख रुपये का मुआवजा मांगा. इसपर स्थानीय कृषि अधिकारी और अधिवक्ता आयुक्त ने खेत का दौरा किया और किसान के दावों का समर्थन करने वाली रिपोर्ट प्रस्तुत की. इन रिपोर्टों के आधार पर, मलप्पुरम जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने नर्सरी को मुआवजे के रूप में 1 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया.
इसके अलावा, उन्हें पौधों की लागत के लिए 3,425 रुपए, उर्वरकों पर खर्च किए गए 11,175 रुपए और कानूनी लागत के लिए 10,000 रुपए वापस करने होंगे. अध्यक्ष के मोहनदास और सदस्यों प्रीति शिवरामन और सी वी मुहम्मद इस्माइल के नेतृत्व में आयोग ने यह भी कहा कि अगर एक महीने के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो 9 प्रतिशत ब्याज जोड़ा जाएगा. चुंगथारा कृषि नर्सरी और गार्डन सर्विस के खिलाफ यह आदेश जारी किया गया. (पीटीआई)