मिथिला की शाही लीची ने इस बार न सिर्फ स्वाद से बल्कि अपनी तेज़ रफ्तार से भी देशभर के बाजारों में जगह बनाई है. दरभंगा एयरपोर्ट से 2025 के सीज़न में 250 टन लीची का हवाई परिवहन किया गया जो कि पिछले साल के 120 टन के मुकाबले 108 प्रतिशत अधिक है. इस रिकॉर्ड तोड़ ढुलाई ने किसानों की आमदनी में जबरदस्त बढ़ोतरी कर क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को नया पंख दिया है.
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) ने इस उपलब्धि को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर साझा करते हुए लिखा `अब मिथिला की लीची देश के कोने-कोने तक ताजगी के साथ पहुंच रही है.` AAI के अनुसार तेज़ और प्रभावी एयर कार्गो सेवाओं से लीची को समय पर बाजारों में पहुंचाना संभव हुआ, जिससे उत्पाद की गुणवत्ता बनी रही और दाम भी बेहतर मिले.
हालांकि इस सफलता के बीच रेलवे ट्रांसपोर्ट की खामियां भी उजागर हुईं. बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा सिंह ने बताया कि रेलवे द्वारा भेजी गई लीची गर्मी की वजह से खराब हो गई जिससे किसानों को नुकसान हुआ. उन्होंने सुझाव दिया कि अगले सीज़न में हीट-कोटेड पार्सल वैन या थर्मोकोल इंसुलेशन का उपयोग जरूरी है, ताकि लीची जैसे नाजुक फलों की ताजगी बनी रह सके.
दरभंगा एयरपोर्ट इस बार लीची की ढुलाई का सेंट्रल हब बनकर उभरा है. पटना एयरपोर्ट से भी ढुलाई अच्छी रही लेकिन दरभंगा से तीव्र गति और उच्च मात्रा में लदान होने से मिथिला के किसानों और व्यापारियों को बेहतर बाजार और बेहतर मूल्य मिला.
मौसम की मार और उत्पादन में गिरावट के बावजूद यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि अगर लॉजिस्टिक सपोर्ट मजबूत हो तो किसान भी आगे बढ़ते हैं. अब मिथिला की लीची केवल अपनी खुशबू और स्वाद के लिए ही नहीं, बल्कि तेज़ और भरोसेमंद आपूर्ति व्यवस्था के लिए भी जानी जा रही है.
बिहार की लीची न केवल अलग-अलग शहरों तक पहुंची है बल्कि विदेश में भी उसकी धमक बनी है. अब बिहार की लीची की मांग कई देशों से आ रही है. लीची की मिठास ने कई देशों का ध्यान खींचा है. इससे आने वाले समय में बिहार के लीची किसानों की कमाई बढ़ेगी. किसान अब अधिक से अधिक लीची की खेती की ओर अग्रसर होंगे. इसमें बिहार सरकार भी किसानों की पूरी मदद कर रही है. किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाी जा रही हैं.