भारत में मौसम के आधार पर अलग-अलग फसलों की खेती की जाती है. उसी प्रकार हर महीने मौसम को देखते हुए अलग-अलग कृषि कार्य भी किया जाता है ताकि फसलों की सही देखभाल की जा सके. इससे फसल की सही वृद्धि होती है और उपज की गुणवत्ता में भी सुधार होता है. ऐसे में जरूरी है कि किसानों को मौसम के आधार पर किए जाने वाले कृषि कार्यों की सही जानकारी हो. ऐसे में आइए जानते हैं जून के महीने में किए जाने वाले कृषि कार्यों के बारे में.
यदि किसान भाई मई के अंतिम सप्ताह में धान की नर्सरी नहीं लगा पाएं हैं तो जून के पहले सप्ताह तक यह कार्य पूरा कर लें. वहीं सुगंधित प्रजातियों की नर्सरी जून के तीसरे सप्ताह तक लगा लें. धान की मध्यम और देर से पकने वाली किस्मों को अच्छा माना गया है. इसमें स्वर्ण, पंत-10, सरजू-52, नरेन्द्र-359, जबकि टा.-3, पूसा बासमती-1, हरियाणा बासमती सुगंधित एवं पंत संकर धान-1 तथा नरेन्द्र संकर धान-2 प्रमुख उन्नत संकर किस्में हैं.
धान की बारीक किस्मों के लिए प्रति हेक्टेयर बीज दर 30 किलोग्राम, मध्यम धान के लिए 35 किलोग्राम, मोटे धान के लिए 40 किलोग्राम और बंजर भूमि के लिए 60 किलोग्राम, जबकि संकर किस्मों के लिए 20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है.
यदि नर्सरी में खैरा रोग दिखाई दे तो 20 ग्राम यूरिया, 5 ग्राम जिंक सल्फेट प्रति लीटर पानी में घोलकर 10 वर्ग मीटर क्षेत्र में छिड़काव करना चाहिए.
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यदि आप मक्का की बुआई करना चाहते हैं तो इसकी बुआई 25 जून तक कर लेनी चाहिए. यदि सिंचाई की सुविधा हो तो इसकी बुआई 15 जून तक भी की जा सकती है.
मक्का की उन्नत किस्मों में शक्तिमान-1, एच.क्यू.पी.एम.-1, तरुण, नवीन, कंचन, श्वेता और जौनपुरी की सफेद और मेरठ की पीली स्थानीय किस्में अच्छी मानी जाती हैं.
पशुओं के लिए हरे चारे की कमी ना हो इसलिए आप इस महीने में ज्वार, लोबिया और चरी जैसे चारे वाली फसलों की बुवाई कर सकते हैं. वर्षा न होने की स्थिति में खाद देकर बुआई की जा सकती है.
जून के महीने में आप बैंगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की रोपाई कर सकते हैं. इसके अलावा लौकी, खीरा, चिकनी तोरी, सावन तोरी, करेला और टिंडा की बुवाई भी इसी माह की जा सकती है. भिंडी की उन्नत किस्मों में परभणी क्रांति, आजाद भिंडी, अर्का अनामिका, वर्षा, उपहार, वी.आर.ओ.-5, वी.आर.ओ.-6 और आईआईवीआर-10 अच्छी मानी जाती है.