Janamashtmi 2023: क्या होता है 56 भोग? क्यों लगाया जाता है कान्हा जी को ये भोग, पढ़ें पूरी कहानी

Janamashtmi 2023: क्या होता है 56 भोग? क्यों लगाया जाता है कान्हा जी को ये भोग, पढ़ें पूरी कहानी

Janamashtmi 2023: भगवान कृष्ण का जन्म हर साल भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को बड़ी धूम-धाम से मनाई जाती है. जन्माष्टमी पर कान्हा की विधि-विधान से पूजा के साथ आखिर उन्हें 56 भोग क्यों लगाया जाता है, इसका महत्व जानने के लिए जरूर पढ़ें ये पूरी कहानी.

क्या होता है 56 भोग? क्यों लगाया जाता है कान्हा जी को ये भोगक्या होता है 56 भोग? क्यों लगाया जाता है कान्हा जी को ये भोग
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Sep 07, 2023,
  • Updated Sep 07, 2023, 7:24 AM IST

कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं का मुख्य त्योहार है. इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 7 सितंबर को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है. वहीं रात में कान्हा के जन्म के बाद पूजा में 56 भोग का प्रसाद लगाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि छप्पन भोग से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. आइए जानते हैं क्या होता है 56 भोग? क्यों लगाया जाता है कान्हा जी को ये भोग.

हिंदू मान्यता के अनुसार एक दिन में आठ प्रहर होते हैं और भगवान श्रीकृष्ण एक दिन आठ बार भोजन करते थे. चूंकि भगवान कृष्ण ने देवताओं के राजा इंद्र को सबक सिखाने के लिए सात दिनों तक लगातार गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली में उठाए रखा, इसलिए वे भोजन नहीं कर पाए. ऐसे में उन्हें सात दिनों के हिसाब से कुल 56 तरह के भोग बनाकर खिलाया गया.

56 भोग की ये है कहानी

हिंदू मान्यताओं के अनुसार एक बार ब्रज मंडल में वहां के लोग इंद्र देवता की विशेष पूजा की तैयारी करने में जुटे हुए थे तो कान्हा ने उनसे इसके पीछे का कारण पूछा. तब लोगों ने बताया कि इंद्र देवता की पूजा के लिए इतनी बड़ी पूजा का आयोजन इसलिए किया जा रहा है ताकि वे प्रसन्न होकर अच्छी वर्षा करें और खूब अच्छी फसलों का पैदावार हो. इस पर कान्हा ने कहा कि हमें फल-सब्जियां और पशुओं को चारा तो हमें गोवर्धन पर्वत से मिलती है फिर हम उनकी क्यों पूजा करें. इसके बाद उन्होने लोगों को इंद्र की बजाय गोवर्धन की पूजा करने को कहा.

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जब यह बात इंद्र को पता लगा तो उन्होंने ब्रजमंडल पर सात दिनों तक लगातार बारिश की. जिससे बचाने के लिए कान्हा ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर सात दिनों तक बगैर कुछ खाए पिय उठाए रखा. मान्यता है आठवें दिन जब इंद्र का घमंड टूट गया तो लोगों ने भगवान श्रीकृष्ण को 56 प्रकार के भोग लगाकर खाने को दिए. तभी से कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग का प्रसाद लगाया जाता है.

क्या होता है 56 में पकवान

भगवान कृष्ण को लगने वाले 56 में कई प्रकार के भोजन हैं, जिसमें भात, सूप, चटनी, कढ़ी, दही, शाक की कढ़ी, सिखरन, शरबत, बालका, इक्षु, बटक, मठरी, फेनी, पूड़ी, खजला, घेवर, मालपुआ, चोला, जलेबी, मेसू, रसगुल्ला, पगी हुई महारायता, थूली, लौंगपुरी, खुरमा, दलिया, परिखा, सौंफ युक्त बिलसारू, लड्डू, साग, अधौना अचार, मोठ, खीर, दही, मक्खन, मलाई, रबड़ी, पापड़, गाय का घी, सीरा, लस्सी, सुवत, मोहन, सुपारी, इलायची, फल, तांबूल, मोहन भोग, लवण, कषाय, मधुर, तिक्त, कटु और अम्ल शामिल हैं.

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