केंद्र सरकार ने बुधवार को खरीफ मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए 14 फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी की है. इससे किसानों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है. उक्त फसलों में कुछ तिलहन फसलें भी शामिल है. ऐसे में भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (IVPA) ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. IVPA के अध्यक्ष सुधाकर देसाई ने कहा कि यह एक समय पर उठाया गया प्रगतिशील कदम है, जो तिलहन उत्पादन बढ़ाने और आयात पर भारत की निर्भरता कम करने में मददगार रहेगा.
सुधाकर देसाई ने खाद्य तेल आयात पर निभर्रता को करने के लक्ष्य में सफलता हासिल करने के क्रम में सरकार से सरसों से परे अन्य प्रमुख तिलहनों के लिए खरीद हस्तक्षेपों पर विचार करने का आग्रह किया है. संगठन ने कहा कि इन उपायों से कीमतों में स्थिरता आएगी और किसानों को समर्थन मिलेगा, जिससे तिलहन विस्तार को सपोर्ट मिलेगा.
इसके अलावा, आईवीपीए ने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) के तहत प्राइस डिफिशिएंसी पेमेंट स्कीम (PDPS) काे अमल में लाने की सिफारिश की है. पीडीपीएस को अच्छे से अमल में लाने से न केवल किसानों को लाभकारी मूल्य मिलने लगेंगे, बल्कि घरेलू तेल मिलों को तिलहन उपज की निरंतर आपूर्ति भी सुनिश्चित होगी. इससे घरेलू प्रोसेसिंग क्षमता में वृद्धि होगी, उपभोक्ताओं को खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ेगी और पशुधन और मुर्गीपालन क्षेत्रों को तेल खली की निरंतर सप्लाई सुनिश्चित होगी.
IVPA ने सुझाव देते हुए सरकार से डीडीजीएस से प्रतिस्पर्धा को लेकर तेल खली (डी-ऑइल केक) की कीमतों को स्थिर करने में मदद करने की मांग की है. सुधाकर देसाई ने कहा कि तिलहन की खेती को प्रोत्साहित करना और तिलहन में एमएसपी को बनाए रखने के लिए व्यापक समर्थन प्रदान करना खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता को बढ़ाने में मदद करेगा.
साथ ही आयात को कम करने और खाद्य तेल पारिस्थितिकी तंत्र में समग्र मूल्य स्थिरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ संबंधित क्षेत्रों जैसे कि एक्वा, पोल्ट्री और मवेशी चारा उद्योग को सही कीमतों पर फीडस्टॉक उपलब्ध कराने में योगदान देगा. सुधाकर देसाई ने कहा कि आईवीपीए भारत की तिलहन अर्थव्यवस्था के सतत विकास को आगे बढ़ाने और सभी के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में सरकार के साथ साझेदारी करने के लिए प्रतिबद्ध है.