Israel-Iran War: इजरायल-ईरान युद्ध के फेर में फंसा भारत का बासमती चावल, खाद्य तेलों पर भी असर

Israel-Iran War: इजरायल-ईरान युद्ध के फेर में फंसा भारत का बासमती चावल, खाद्य तेलों पर भी असर

Israel-Iran War Impact: ईरान-इजरायल युद्ध का असर भारत पर भी दिखने लगा है. खाद्य तेलों की कीमतें 7-8% तक बढ़ गई हैं, पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल महंगे हुए हैं. बासमती चावल का निर्यात रुकने से दामों में गिरावट की आशंका है. लाल सागर और होर्मुज जलमार्ग पर तनाव से समुद्री व्यापार प्रभावित हो सकता है.

 भारतीय बासमती का तीसरा सबसे बड़ा ग्राहक है ईरान भारतीय बासमती का तीसरा सबसे बड़ा ग्राहक है ईरान
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 17, 2025,
  • Updated Jun 17, 2025, 10:21 PM IST

इजरायल और ईरान के बीच शुरू हुए युद्ध का भारत पर भी असर पड़ रहा है. इस तनाव का सीधा असर भारत में कई वस्तुओं की कीमतों पर पड़ने लगा है. साथ ही इसकी वजह से बासमती चावल का एक्सपोर्ट प्रभाव‍ित होने का अनुमान है. कन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री और अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि खासकर कच्चे तेलों की दामों में इजाफा होने से खाद्य तेलों की कीमतें 7 से लेकर 8 % तक बढ़ गई हैं. ईरान, भारतीय बासमती का तीसरा सबसे बड़ा ग्राहक है. अब युद्ध के हालात में इसे प्रभाव‍ित होने की आशंका प्रबल हो गई है, ज‍िससे एक्सपोर्टरों की च‍िंता बढ़ गई है. इसका सीधा असर क‍िसानों की आय पर पड़ सकता है. 

ठक्कर के मुताबिक, युद्ध शुरू होने से पहले भारत में पाम तेल की कीमत 1110 रुपये प्रति 10 किलो थी, जो आज 70 रुपये बढ़कर 1180 रुपये प्रति 10 किलो हो गई है. वहीं, सोयाबीन तेल के दाम 1130 रुपये प्रति 10 किलो से बढ़कर आज 1200 रुपये प्रति 10 किलो हो गए है. इसके अलावा सूरजमुखी तेल के दाम 1300 रुपये प्रति 10 किलो से बढ़कर आज 1350 प्रति 10 किलो हो गए हैं. आयाति‍त तेलों की कीमतें बढ़ने से देसी तेलों पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. मूंगफली तेल और सरसों तेल के दामों में काफी इजाफा हुआ है.

एक्सपोर्ट पर असर पड़ना तय

उन्‍होंने कहा कि इस युद्ध का सीधा असर बासमती चावल के निर्यात पर भी पड़ेगा. भारत हर साल बड़े पैमाने पर ईरान को बासमती चावल निर्यात करता है. जंग बढ़ने से बासमती चावल का निर्यात फंस गया है. पिछले साल भारत ने ईरान को लगभग 6,734 करोड़ रुपये का चावल निर्यात किया था, जो कुल चावल निर्यात का लगभग 25% था. निर्यात रुकने से भारत में बासमती चावल के दामों में 10-15% तक की गिरावट देखने को मिल सकती है. इसी तरह भारत से चाय का निर्यात भी प्रभावित होने की आशंका है.

समुद्री माल ढुलाई में भी बढ़ोतरी

ठक्कर ने कहा कि खाड़ी देशों से आने-जाने वाले उड़ान मार्गों पर भी हवाई क्षेत्रों में जारी प्रतिबंध के कारण भारी भीड़ देखी जा रही है. ईरान-इजरायल युद्ध का असर सिर्फ हवाई यात्रा तक सीमित नहीं है. समुद्री माल ढुलाई दरों में भी 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है. इसके साथ ही बीमा शुल्क में भी बढ़ोतरी का जोखिम बना हुआ है. निर्यातकों का मानना है कि इस युद्ध के कारण यूरोप और रूस जैसे देशों को भारत का निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो सकता है.

निर्यात पर फोकस 

व्यापारी नेता ठक्कर ने कहा कि सरकार इस पूरे असर का आकलन कर रही है और निर्यातकों को इसके प्रभाव से बचाने के लिए बातचीत भी कर रही है. सरकार का मुख्य फोकस उन देशों जैसे यूएई, सऊदी अरब, कतर, कुवैत, ओमान और इजरायल को होने वाले निर्यात को सुरक्षित करने पर है. यह युद्ध लंबे समय तक खिंचता है तो ईरान और यूएई के बीच स्थित होर्मुज जलमार्ग और लाल सागर जैसे महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्गों के जरिए वाणिज्यिक जहाजों की आवाजाही पर गंभीर असर पड़ेगा.

यूक्रेन संकट के बाद मालवाहक जहाज धीरे-धीरे लाल सागर के मार्गों पर लौट आए थे जिससे भारत और एशिया के अन्य हिस्सों से अमेरिका और यूरोप जाने में 15-20 दिन की बचत हो रही थी, लेकिन अब इस जंग की वजह से मालवाहक जहाज फिर से लाल सागर मार्ग का उपयोग करने से बचेंगे, जिससे यात्रा का समय और लागत दोनों बढ़ेंगे. भारत का यूरोप के साथ 80% व्यापार लाल सागर के जरिए होता है और लाल सागर और होर्मुज जलडमरूमध्य के जरिए भारत कुल 34% निर्यात करता है.

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