इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन यानी ISMA ने देश में चीनी उत्पादन का नया आंकड़ा जारी किया है. इस्मा के मुताबिक, 10 मार्च तक 233 लाख टन से थोड़ा अधिक चीनी का उत्पादन हुआ है. इस्मा ने 2024-25 के चीनी सीजन में शुद्ध चीनी उत्पादन के लिए 31 जनवरी 2025 को अपना दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया था, जिसमें इथेनॉल उत्पादन के लिए 37.5 लाख टन चीनी को डायवर्ट करने के बाद लगभग 272.5 लाख टन का अनुमान लगाया गया था. इसके बाद इस्मा ने कहा, 10 मार्च 2025 तक, चीनी उत्पादन 233.09 लाख टन तक पहुंच गया, और फिलहाल देश भर में 228 मिलें चालू हैं.
इस्मा के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में बेहतर प्लांट गन्ना रिकवरी और उपज के कारण पेराई सत्र अप्रैल तक बढ़ सकता है. हालांकि, पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश में कुछ मिलें मार्च 2025 के अंत तक बंद होने की संभावना है. महाराष्ट्र और कर्नाटक में, खेती के रकबे में कम गन्ना उपज के कारण गन्ने की उपलब्धता कम हो गई है. जून या जुलाई 2025 में शुरू होने वाले विशेष सत्र के दौरान कर्नाटक में कुछ मिलों के फिर से चालू होने की उम्मीद है.
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इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए इस्मा ने इथेनॉल बनाने के लिए 35 लाख टन चीनी हटाने के बाद अपने शुद्ध चीनी उत्पादन अनुमान को संशोधित कर 264 लाख टन कर दिया है.
2024 में अच्छे दक्षिण-पश्चिम मॉनसून और जलाशयों में पानी की अच्छी उपलब्धता के कारण, 2025-26 सीजन के लिए महाराष्ट्र और कर्नाटक में इस साल की तुलना में गन्ना रोपाई में सुधार हुआ है. नतीजतन, 2025-26 पेराई सीजन अक्टूबर 2025 में समय पर शुरू होने वाला है, जिसमें सीजन के अंत तक लगभग 54 लाख टन का अनुमानित क्लोजिंग स्टॉक होगा, जो पर्याप्त से अधिक होने की उम्मीद है.
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश और अन्य उत्तर भारतीय राज्यों में गन्ने की अधिक उपज देने वाली वैरायटी, कम रोग लगने वाली वैरायटी (वैरिएटल प्रतिस्थापन गतिविधि) की बुवाई में बड़ा सुधार हुआ है. इससे इन क्षेत्रों में 2025-26 के चीनी सीजन में बेहतर पैदावार और रिकवरी भी होगी.
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ध्यान देने वाली बात यह है कि गन्ना भुगतान में तेजी आई है और 2024-25 के चीनी सत्र के लिए लगभग 80 परसेंट गन्ना भुगतान किया जा चुका है. यह जनवरी 2025 के मध्य से किए गए 69 फीसद भुगतान से ज़्यादा है. इसके अलावा, 2023-24 के चीनी सत्र के लिए भी अब तक 99.9 परसेंट गन्ना भुगतान किया जा चुका है.
अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ द्वारा मंगलवार को जारी दूसरे अनुमान के अनुसार, सितंबर में समाप्त होने वाले 2024-25 सत्र में भारत का चीनी उत्पादन 19 प्रतिशत घटकर 250.80 लाख टन रहने की उम्मीद है, जो पिछले सत्र में 310.90 मिलियन टन था.
नए अनुमान AISTA के 260 लाख टन के पहले अनुमान से 7.2 लाख टन कम है, जिसमें महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात में उत्पादन में कमी को शामिल किया गया है. भारत के सबसे बड़े चीनी उत्पादक महाराष्ट्र में पिछले सत्र के 110 लाख टन से घटकर 80 लाख टन उत्पादन होने की उम्मीद है. देश के दूसरे शीर्ष उत्पादक उत्तर प्रदेश में उत्पादन 90 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पहले अनुमान की तरह है, लेकिन पिछले सत्र में दर्ज 100.40 लाख टन से कम है.