
भारत से चीनी का निर्यात फिलहाल अव्यावहारिक माना जा रहा है क्योंकि घरेलू चीनी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों की तुलना में काफी ज्यादाा हैं. हालांकि, उद्योग को दिसंबर के मध्य से मार्च के बीच कुछ अवसर दिखाई दे रहे हैं, जब भारतीय चीनी को बाहर भेजा जा सकता है. केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी के अनुसार, केंद्र ने चालू 2025-26 सीजन के लिए 15 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने का फैसला किया है. ज्यादा रकबे और पैदावार के कारण 2025-26 सीजन में अतिरिक्त उत्पादन की उम्मीद करते हुए, उद्योग 20 लाख टन निर्यात की अनुमति देने की मांग कर रहा है.
अखबार बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसरार सरकार की तरफ से निर्यात की अनुमति देने के इरादे का स्वागत करते हुए, भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (इस्मा) के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि वर्तमान में निर्यात करना व्यवहार्य नहीं है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कीमतें घरेलू कीमतों से कम हैं. उन्होंने कहा, ' जल्द मंजूरी मिलने से हमें कच्ची चीनी के उत्पादन और अनुबंधों की योजना बनाने में निश्चित रूप से मदद मिलेगी.' इस्मा को उम्मीद है कि साल 2025-26 सीजन (अक्टूबर से शुरू) में शुद्ध चीनी उत्पादन में 18.5 फीसदी का इजाफा होकर 30.95 मिलियन टन तक पहुंच सकता है. इसमें 3.4 मिलियन टन गन्ने का उपयोग एथेनॉल उत्पादन के लिए किया जाएगा.
त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज के वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर तरुण साहनी ने कहा कि अभी ग्लोबली चीनी की कीमतें घरेलू दामों से काफी कम हैं, इसलिए फिलहाल बड़े पैमाने पर निर्यात की संभावना नहीं दिख रही. लेकिन जब दोनों कीमतों में संतुलन बनेगा, तब निर्यात बढ़ेगा. उन्होंने यह भी बताया कि घरेलू बाजार में चीनी की अधिकता की एक वजह यह भी है कि कम मात्रा का स्टॉक एथनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम के लिए उपयोग हो रहा है.
केंद्र सरकार ने अभी औपचारिक रूप से निर्यात कोटा घोषित नहीं किया है लेकिन खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने संकेत दिया है कि जनवरी 2025 से एक्स-मिल कीमतों में गिरावट के बावजूद निर्यात की अनुमति दी जाएगी. सरकार ने गुड़ पर 50 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी हटाने की घोषणा भी की है, जिससे मिलों की नकदी स्थिति बेहतर होने और घरेलू बाजार में संतुलन आने की उम्मीद है. आईसीआरए के वाइस प्रेसिडेंट अंकित जैन के अनुसार, निर्यात की मात्रा अंतरराष्ट्रीय दामों पर निर्भर करेगी, जो फिलहाल ब्राजील में रिकॉर्ड उत्पादन के चलते नीचे जा रहे हैं.
कोल्हापुर के चीनी ब्रोकर अभिजीत घोरपड़े ने बताया कि फिलहाल मंत्रालय की ओर से निर्यात से जुड़ी औपचारिक अधिसूचना का इंतजार है. उन्होंने कहा, 'वर्तमान में घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें निर्यात कीमतों से काफी बेहतर हैं. फिलहाल कोई भी निर्यात खरीदार 3,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर खरीदने को तैयार नहीं है, जबकि घरेलू फैक्ट्रियों में कीमत 3,700–3,750 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रही है.' उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी पेराई का काम शुरू हो चुका है, और जनवरी के मध्य तक उत्पादन की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.
ब्राजील, भारत और थाईलैंड जैसे प्रमुख उत्पादक देशों में उत्पादन बढ़ने की उम्मीद से ग्लोबल मार्केट में चीनी की कीमतों पर दबाव बना हुआ है. ICE फ्यूचर्स मार्केट में चीनी की कीमतें लगभग 14.35 सेंट प्रति पाउंड के स्तर पर बनी हुई हैं, जो पिछले महीनों की तुलना में कम है. विशेषज्ञों की मानें तो फिलहाल घरेलू बाजार में ऊंचे दामों के चलते निर्यात व्यवहारिक नहीं है, लेकिन अगर दिसंबर से मार्च के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार सुधरता है तो भारत सीमित मात्रा में निर्यात शुरू कर सकता है. सरकार की तरफ से दी गई अग्रिम मंजूरी उद्योग भावना को मजबूत करने में मदद करेगी.
इस बीच, सरकार के इस फैसले के बाद सोमवार को प्रमुख शुगर कंपनियों के शेयरों में तेजी देखी गई. त्रिवेणी इंजीनियरिंग, बलराम चीनी और श्री रेनुका शुगर के शेयरों में क्रमशः 1.2 फीसदी से 6.5 फीसदी तक की बढ़त दर्ज हुई. बलरामपुर चीनी के शेयर 461.35 रुपये और त्रिवेणी इंजीनियरिंग के 364.80 रुपये पर बंद हुए, जबकि श्री रेनुका शुगर के शेयर 2.77 फीसदी चढ़कर 28.61 रुपये पर पहुंच गए. इस्मा ने कहा कि यह कदम घरेलू बाजार में स्टॉक प्रेशर को कम करने और उद्योग संचालन को सहज बनाने में मदद करेगा. पिछले सीजन (2024-25) में सरकार ने 1 मिलियन टन चीनी निर्यात की अनुमति दी थी, जिसमें से लगभग 0.8 मिलियन टन का निर्यात हुआ था.
यह भी पढ़ें-