पहलगाम आतंकी हमले के कारण भारत-पाकिस्तान में तनाव बढ़ा हुआ है. भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर बड़े एक्शन लिए, लेकिन इस बीच कई देशों ने पाकिस्तान का समर्थन किया. इनमें तुर्किए और अजरबैजान जैसे देश शामिल हैं. अब भारत में इन देशों से आने वाले कई सामान और खाद्य वस्तुओं के बहष्किार की मांग उठ रही है. वहीं, एक व्यापार संगठन ने व्यापारियों से तुर्किए की यात्रा का बहिष्कार कर उसे आर्थिक चोट पहुंचाने की अपील की है.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पुणे में व्यापारियों ने तुर्किए के सेबों का बहिष्कार करके निर्णायक कार्रवाई की है, जिसके कारण स्थानीय बाजारों से सेब गायब हो गए हैं. नागरिक भी आंदोलन में शामिल हो गए हैं, तुर्किए के आयात के बजाय अन्य स्रोतों से सेब खरीदना पसंद कर रहे हैं. बहिष्कार से शहर के फल बाजार पर काफी असर पड़ने की उम्मीद है, क्योंकि तुर्किए के सेब आमतौर पर 1,000 से 1,200 करोड़ रुपये के मौसमी कारोबार में योगदान करते हैं.
व्यापारियों का कहना है कि यह कदम केवल वित्तीय निर्णय नहीं है, बल्कि सशस्त्र बलों और सरकार के साथ एकजुटता का प्रदर्शन है. पुणे में कृषि उपज बाजार समिति (APMC) बाजार में सेब व्यापारी सुयोग झेंडे ने हाल के दिनों में तुर्किए के सेबों की मांग में भारी गिरावट की पुष्टि की. उन्होंने मंगलवार को कहा कि हमने तुर्किए से सेब खरीदना बंद करने का फैसला किया है और इसके बजाय हिमाचल, उत्तराखंड, ईरान और अन्य क्षेत्रों से सेब खरीदने का विकल्प चुना है. यह निर्णय हमारे देशभक्ति के कर्तव्य और राष्ट्र के प्रति समर्थन के अनुरूप है.
वहीं, देशभर के व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( CAIT) ने चीन, तुर्किए और अजरबैजान द्वारा पाकिस्तान का खुला समर्थन करने पर देशभर के व्यापारियों और लोगों से आह्वान किया है कि वो तुर्किए और अजरबैजान की यात्राओं का पूर्ण बहिष्कार करें और इन्हें भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान का समर्थन करने पर करारा जवाब दें.
वहीं, चीन को लेकर कैट पिछले कई सालों से उसके उत्पादों के बहिष्कार का अभियान चला ही रहा है. लेकिन, अब संगठन तुर्किए और अजरबैजान की यात्राओं के बहिष्कार को लेकर CAIT ट्रैवल एंड टूर ऑपरेटर्स संगठनों सहित विभिन्न अन्य संबंधित वर्गों से बातचीत कर इस अभियान को तेज करेगा.
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री और चांदनी चौक से बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने आज अपील करते हुए कहा कि अगर भारतीय लोग तुर्किए और अज़रबैजान की यात्रा का बहिष्कार करते हैं, तो इसका इन देशों की अर्थव्यवस्था और खासकर पर्यटन क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, तुर्किए में कुल विदेशी आगमन 62.2 मिलियन पर्यटक का था, जिसमें अकेले भारत से ही लगभग 3 लाख पर्यटक थे. वर्ष 2023 की तुलना में भारतीय पर्यटकों की 20.7% की वृद्धि थी. तुर्किए का कुल पर्यटन राजस्व: 61.1 बिलियन डॉलर था.
एक भारतीय पर्यटक का औसत खर्च: 972 डॉलर होता है और इस दृष्टि से भारतीय पर्यटकों का कुल अनुमानित भारतीय खर्च: 291.6 मिलियन डॉलर के लगभग होता है. खंडेलवाल ने कहा की यदि भारतीय पर्यटक तुर्की की यात्रा का बहिष्कार करते हैं, तो तुर्की को लगभग $291.6 मिलियन का प्रत्यक्ष नुकसान होगा. इसके अतिरिक्त, भारतीय पर्यटकों द्वारा आयोजित विवाह, कॉर्पोरेट कार्यक्रम और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों के रद्द होने से अप्रत्यक्ष रूप से और भी आर्थिक नुकसान हो सकता है.
वहीं, अज़रबैजान में भारतीय पर्यटकों का जिक्र करते हुए खंडेलवाल ने कहा कि यहां वर्ष 2024 में कुल विदेशी आगमन लगभग 2.6 मिलियन पर्यटक था, जिसमें भारतीय पर्यटकों की संख्या लगभग 2.5 लाख थी और प्रति भारतीय पर्यटक औसत खर्च: 2,170 AZN था जो लगभग 1,276 डॉलर होता है.
इस लिहाज से भारतीय पर्यटकों का खर्च 308.6 मिलियन डॉलर के लगभग अजरबैजान में होता है. भारतीय पर्यटकों के बहिष्कार से अज़रबैजान को लगभग 308.6 मिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष नुकसान होगा. चूंकि भारतीय पर्यटक मुख्यतः छुट्टियों, मनोरंजन, विवाह, और साहसिक गतिविधियों के लिए अज़रबैजान जाते हैं, ऐसे में इन क्षेत्रों में भी यहां बड़े पैमाने पर आर्थिक मंदी हो सकती है.
खंडेलवाल ने कहा कि इस आर्थिक नुकसान से भारत तुर्किए और अजरबैजान पर उनकी नीतियों पर पुनर्विचार करने का दबाव बढ़ सकता है. खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत बेहद मजबूत है और कोई भी भारत को कमजोर समझने की भूल न करे. भारतीय नागरिकों द्वारा तुर्किए और अज़रबैजान की यात्रा का बहिष्कार इन देशों की अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है. उन्होंने कहा कि भारतीय व्यापारी अपने राष्ट्र की सुरक्षा, अखंडता के लिए कुछ भी करने को तैयार है, केवल सरकार के दिशा निर्देशों का ही इंतजार है.