Cotton Production: भारत आने वाले कुछ सालों में वैश्विक कपास उत्पादन की दौड़ में सबसे आगे निकलने के लिए तैयार है. OECD-FAO की 'एग्रीकल्चरल आउटलुक 2025-2034' रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्ष 2034 तक चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश बन जाएगा. यह उपलब्धि उत्पादन क्षेत्र में नहीं, बल्कि उत्पादकता में सुधार के बल पर हासिल होगी. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कपास उत्पादन में 2 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का अनुमान है, जबकि वैश्विक औसत 1.3 फीसदी रहेगा.
वर्तमान (2024-25) सीजन में वैश्विक कपास उत्पादन 256.8 लाख टन रहने की संभावना है. वहीं, 2034 तक यह आंकड़ा बढ़कर 295 लाख टन तक पहुंच सकता है. इस बढ़त में भारत की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी, उसके बाद ब्राजील- 27 फीसदी और अमेरिका- 23 प्रतिशत का स्थान होगा. हालांकि, भारत अब तक उत्पादकता के मामले में पिछड़ा हुआ रहा है, लेकिन अब इसमें 1.7% वार्षिक सुधार का अनुमान है.
भारत की कपास उत्पादकता 0.8 टन प्रति हेक्टेयर के वैश्विक औसत से कम है, जबकि चीन और ब्राजील में यह इससे दोगुनी है. लेकिन, रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अब उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई वैज्ञानिक उपाय किए जा रहे हैं. जानें ये क्या हैं…
2034 तक एशिया, खासकर भारत, बांग्लादेश और वियतनाम, कच्चे कपास की प्रोसेसिंग का मुख्य केंद्र बने रहेंगे. रिपोर्ट के अनुसार, भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्रोसेसिंग हब बनेगा.
भारतीय टेक्सटाइल उद्योग की मांग के चलते देश में कपास की खपत में 1.3% वार्षिक वृद्धि का अनुमान है. इसके अलावा, भारत कपास-आधारित वस्त्र और यार्न के निर्यात में भी अहम भूमिका निभाएगा.
2034 तक वैश्विक कपास व्यापार 12.3 मिलियन टन तक पहुंच सकता है. चीन 3 मिलियन टन के साथ सबसे बड़ा आयातक रहेगा, जबकि बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों की आयात मांग भी तेजी से बढ़ेगी. हालांकि, रिपोर्ट यह भी संकेत देती है कि सिंथेटिक फाइबर से प्रतिस्पर्धा और उत्पादकता में वृद्धि के चलते कपास की वास्तविक कीमतों में मामूली गिरावट संभव है.