Ethanol Blending: भारत का बायोएनर्जी में कमाल, 5 साल पहले पूरा किया 20 फीसदी इथेनॉल का लक्ष्य  

Ethanol Blending: भारत का बायोएनर्जी में कमाल, 5 साल पहले पूरा किया 20 फीसदी इथेनॉल का लक्ष्य  

भारत ने बायोएनर्जी के क्षेत्र में कमाल कर दिखाया है. देश ने 20 फीसदी इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य 2025 में ही हासिल कर लिया है, जो अपने मूल 2030 के लक्ष्य से 5 साल पहले है. यह उपलब्धि ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने, कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने और कार्बन उत्सर्जन घटाने में अहम है. इस सफलता से विदेशी मुद्रा की बचत हुई है.

इथेनॉल का दामइथेनॉल का दाम
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Jul 28, 2025,
  • Updated Jul 28, 2025, 5:29 PM IST

भारत ने अपने स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में एक अहम मुकाम हासिल कर लिया है, जिसने साल 2030 की मूल समय-सीमा से पांच साल पहले, 2025 में पेट्रोल के साथ 20 फीसदी इथेनॉल सम्मिश्रण के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है. 2014 में केवल 1.5 फीसदी इथेनॉल सम्मिश्रण होता था जो इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम जैसी सरकारी नीतियों के वजह से यह सफलता हासिल किया है. इथेनॉल सम्मिश्रण का ईंधन का उद्देश्य कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करना है. साथ ही और कार्बन उत्सर्जन को कम करके ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना है. इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने इस सफलता का श्रेय लगातार नीतिगत पहलों और सरकार और चीनी उद्योग के बीच मजबूत सहयोग को बताया है.

विदेशी मुद्रा की बचत और किसानों को लाभ 

इथेनॉल-मिश्रित ईंधन की वजह से देश को आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ हो रहा है. भारत ने आयातित कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता कम करके लगभग 1.36 लाख करोड़ रुपये विदेशी मुद्रा की बचत की है. डिस्टिलरीज़ को 1.96 लाख करोड़ रुपये का वितरण किया गया है, जिससे घरेलू जैव ईंधन उद्योग के विकास को बढ़ावा मिला है. इसके अतिरिक्त, किसानों को 1.18 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई है और कृषि अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिला है. ईधन सम्मिश्रण कार्यक्रम से 698 लाख टन CO2 उत्सर्जन में कमी आई है.

इथेनॉल उत्पादन में आशा से अधिक से वृद्धि हुई है, जो 2014 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर जून 2025 तक 661.1 करोड़ लीटर हो गया है. इस गति को बनाए रखने और 2025 के सम्मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने के लिए, लगभग 1,700 करोड़ लीटर की इथेनॉल उत्पादन क्षमता की जरूरत है, यह मानते हुए कि संयंत्र 80 फीसदी दक्षता पर काम करते हैं. यह 11 वर्षों में उत्पादन में लगभग तेरह गुना वृद्धि को दर्शाता है.

साल 2030 तक 30 फीसदी का लक्ष्य

सरकार विभिन्न पहलों के माध्यम से इस विकास में सक्रिय रूप से सहायता कर रही है. सरकार इथेनॉल-से चलने वाहनों को विकसित करने के लिए ऑटोमोबाइल उद्योग के साथ काम कर रही है. इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ESY) 2024-25 के लिए इथेनॉल उत्पादन के लिए चीनी डायवर्जन पर लगी सीमा हटा दी गई है, और डिस्टिलरीज़ को पर्याप्त फीडस्टॉक सुनिश्चित करने के लिए चावल की नीलामी में भाग लेने की अनुमति है.

तेल विपणन कंपनियों (OMCs) ने हरित ईंधन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इथेनॉल खरीद मूल्य बढ़ाए हैं. उन्होंने नए निवेश को प्रोत्साहित करने और क्षमता बढ़ाने के लिए इथेनॉल संयंत्रों (DEPs) के साथ दीर्घकालिक ऑफटेक समझौते (LTOAs) पर भी हस्ताक्षर किए हैं. महाराष्ट्र सरकार ने राज्यव्यापी मल्टी-फीड डिस्टिलरीज़ की स्थापना की अनुमति देने वाली एक नीति को मंजूरी दी है, जो राष्ट्रीय जैव ऊर्जा नीति के अनुरूप है और 2030 तक 30 फीसदी इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है. 

भारत में इथेनॉल विस्तार और आगामी चुनौतियां 

देश भर में, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में या योजनाबद्ध तरीक़े सो कई नई इथेनॉल संयंत्र परियोजनाएं और विस्तार कार्य चल रहे हैं. इसमें मौजूदा अनाज-आधारित और अन्य इथेनॉल संयंत्रों का विस्तार और नए संयंत्रों की स्थापना शामिल है. इन प्रगति के बावजूद, कार्यक्रम के खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव, विशेष रूप से चीनी की उपलब्धता और कीमतों के बारे में चिंताएं बनी हुई हैं.

गन्ने के उत्पादन में गिरावट और इथेनॉल के लिए चीनी के डायवर्जन के कारण चीनी की कीमतें बढ़ी हैं, जिससे सरकार अनाज-आधारित इथेनॉल उत्पादन को एक अस्थायी समाधान के रूप में तलाशने के लिए प्रेरित हुई है. आगे देखते हुए, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य अगस्त 2025 के अंत तक 27 फीसदी इथेनॉल सम्मिश्रण के मानक को अंतिम रूप देना है, जिससे भारत के महत्वाकांक्षी इथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्यों को और आगे बढ़ाया जा सके.

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