
भारत के इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम में पिछले 13 सालों में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है, आपूर्ति में लगभग 68 गुना वृद्धि हुई है और फीडस्टॉक में ऐतिहासिक बदलाव हुआ है. यानी 100 प्रतिशत शुगर-आधारित से 70 प्रतिशत से अधिक अनाज-आधारित हुआ, जिसने देश के जैव ईंधन पारिस्थितिकी तंत्र को नया आकार दिया है. इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ESY) 2012-13 से 2025-26 तक के ताजा आंकड़े इस विकास को दिखाते हैं. तेल विपणन कंपनियों (OMCs) को इथेनॉल की आपूर्ति, ESY 2012-13 में 15.40 करोड़ लीटर से बढ़कर ESY 2025-26 के लिए 1,048.10 करोड़ लीटर हो गई है—जो 68 गुना वृद्धि है. इस वृद्धि ने ESY 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2025) में ब्लेंडिंग प्रतिशत को मामूली 0.67 प्रतिशत से बढ़ाकर 19.17 प्रतिशत कर दिया है, जिससे भारत 2025 तक अपने 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग लक्ष्य के करीब पहुंच गया.
पहले 6 सालों (ESY 2012-13 से 2017-18) में, 100 प्रतिशत इथेनॉल गन्ने के उप-उत्पादों, मुख्यतः शीरे से प्राप्त हुआ. इसने ब्लेंडिंग कार्यक्रम को चीनी उत्पादन चक्रों और फसल के उतार-चढ़ाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बना दिया. मगर असल परिवर्तन ESY 2018-19 में शुरू हुआ, जब अनाज आधारित इथेनॉल ने 5.04 प्रतिशत हिस्सेदारी (~ 9.50 करोड़ लीटर) के साथ प्रवेश किया, जबकि चीनी ने 94.96 प्रतिशत (~ 179.03 करोड़ लीटर) बरकरार रखा. अंग्रेजी अखबार 'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट में समर्थ एसएसके लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर और भारतीय हरित ऊर्जा महासंघ के अंतर्गत शुगर बायोएनर्जी फोरम (एसबीएफ) के सह-अध्यक्ष ने इसके कुछ विशेष आंकड़े बताए हैं.
निर्णायक मोड़ ESY 2023-24 में आया, जब अनाज आधारित इथेनॉल ने पहली बार चीनी को पीछे छोड़ दिया.
ESY 2024–25 (अप्रैल-सितंबर 2025) तक:
ESY 2025-26 के लिए (आवंटित मात्रा):
आंकड़ों से साफ है कि अब ये ब्लेंडिंग प्रोग्राम अब अपने मूल स्वरूप से पूरी तरह उलट है, जहां एक समय चीनी का 100 प्रतिशत प्रभुत्व था.
अनाज आधारित इथेनॉल में परिवर्तन से कई राष्ट्रीय लक्ष्य पूरे होंगे. इससे कम उत्पादन वाले सालों में चीनी भंडार पर दबाव कम होगा. अनाज किसानों के लिए आय के नया स्रोत बन रहा है. एक अधिक लचीली और विविध आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण हो रहा है. सरकारी नीतियों—जिनमें अधिमान्य मूल्य निर्धारण, अनाज आधारित भट्टियों के लिए प्रोत्साहन और विस्तारित खरीद ढांचे शामिल हैं—ने इस बदलाव को प्रेरित किया है. भट्टियों की क्षमता में निवेश ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
ESY 2016-17 में एक उल्लेखनीय गिरावट देखी गई, जब आपूर्ति 111.40 करोड़ लीटर (3.51 प्रतिशत) से घटकर 66.51 करोड़ लीटर (2.07 प्रतिशत) रह गई, जो संभवतः गन्ने की कमी के कारण हुई. 2017-18 में इस कार्यक्रम ने 150.50 करोड़ लीटर (4.22 प्रतिशत) के साथ जोरदार वापसी की और तब से लगातार बढ़ रहा है.
ESY 2024-25 के पहले छह महीनों में 904.85 करोड़ लीटर की आपूर्ति की जा चुकी है और 2025-26 के लिए 1,048.10 करोड़ लीटर आवंटित किया गया है, जिससे भारत ने अपनी 20 प्रतिशत ब्लेंडिंग महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए आवश्यक मात्रा और फीडस्टॉक विविधता का निर्माण कर लिया है. हालांकि ESY 2025-26 के लिए पूर्ण-वर्ष ब्लेंडिंग डेटा अभी तक उपलब्ध नहीं है, लेकिन वर्तमान रुझान बताते हैं कि बुनियादी ढांचा, नीतिगत ढांचा और आपूर्ति आधार इस ऐतिहासिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संरेखित हैं.
यह इथेनॉल क्रांति ईंधन परिवर्तन से कहीं अधिक है - यह भारत के कृषि और ऊर्जा क्षेत्रों का एक रणनीतिक पुनर्विन्यास है, जो दुनिया के सबसे महत्वाकांक्षी जैव ईंधन कार्यक्रमों में से एक के माध्यम से ऊर्जा सुरक्षा, किसान आय और पर्यावरणीय लाभ प्रदान करता है.
ये भी पढ़ें-