
भारत और न्यूजीलैंड के बीच सोमवार को फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी FTA पर रजामंदी हुई है. इस एग्रीमेंट के बाद 95 फीसदी प्रॉडक्ट्स पर टैरिफ कम हो जाएगा. समझौते के बाद न्यूजीलैंड ने भारत से ड्यूटी फ्री टेक्सटाइज, रेडीमेड गारमेंट्स, लेदर और मरीन प्रॉडक्ट्स के आयात को मंजूरी दे दी है. वहीं भारत ने वाइन, एवाकाडो और ब्लूबेरी के आयात पर ड्यूटी कम कर दी है. जबकि शहद, सेब और कीवी पर ड्यूटी फ्री इंपोर्ट का एक कोटा तय किया है. वहीं इस डील के बाद वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने साफ किया कि भारत न्यूजीलैंड के लिए भी अपने कृषि और डेयरी सेक्टर को नहीं खोलेगा. आपको बता दें कि अमेरिका के साथ जारी ट्रेड डील वार्ता में यहीं पर पेंच फंस रहा है.
भारत से होने वाले कृषि उत्पादों समेत दूसरे उत्पादों के निर्यात पर न्यूजीलैंड किसी भी तरह का शुल्क नहीं लगाएगा देगा. वहीं भारत की तरफ से न्यूजीलैंड से हो रहे ऊन, कोयला और लकड़ी के आयात पर कोई शुल्क नहीं होगा. वहीं वाइन, एवाकाडो और ब्लूबेरीज के आयात पर शुल्क को धीरे-धीरे कम किया जाएगा और फिर कोटा तय किया जाएगा. वहीं कीवी और सेब के आयात पर शुल्क कम रहेगा. इन चीजों पर आयात शुल्क करीब 50 फीसदी से ज्यादा कम होगा.
भारत ने न्यूजीलैंड के कुछ उत्पादों के फ्री ट्रेड कोट सेट किया है. वर्तमान में भारत न्यूजीलैंड से आयात होने वाले आमों और शहद पर 66 फीसदी का शुल्क लगाता है. लेकिन भारत ने न्यूनतम 20 डॉलर प्रति किलोग्राम के आयात मूल्य पर प्रति वर्ष 200 टन आम और शहद का ड्यूटी फ्री इंपोर्ट कोटा दिया है. कोटा खत्म होने के बाद, न्यूनतम आयात मूल्य 30 डॉलर होगा. इसी तरह, सेब के आयात पर 50 प्रतिशत शुल्क लगता है. लेकिन भारत ने प्रति वर्ष 32,500 टन सेब का ड्यूटी फ्री आयात कोटा दिया है.
अमेरिका की ही तरह न्यूजीलैंड की भी मांग की थी भारत अपने डेयरी सेक्टर को खोल दे लेकिन भारत की तरफ से इस बात को खारिज कर दिया गया. साथ ही मीट और मटन के अलावा दूसरे उत्पादों जैसे प्याज, दाल, मटर, मक्का, बादाम, चीनी, आर्टिफिशियल शहद, पशुधन और तेल को भी फ्री ट्रेड के दायरे से बाहर रखा गया है. पीयूष गोयल ने कहा कि भारत सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है. इसलिए, सरकार ने न्यूजीलैंड के साथ व्यापार समझौते से गेहूं, चावल, डेयरी प्रॉडक्ट्स, सोयाबीन और बाकी कृषि उत्पादों को बाहर रखा है. सरकार कृषि और डेयरी सेक्टर को नहीं खोलेगी.
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