
हरियाणा में 1 नवंबर से पेपरलेस लैंड रजिस्ट्रेशन की शुरुआत होने जा रही है. इस नए कदम के बाद राज्य में अब सभी तहसीलों में कागजी दस्तावेजों की जरूरत खत्म हो जाएगी. अब सभी संपत्ति के डॉक्यूमेंट्स सिर्फ डिजिटल सिग्नेचर यानी इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर से मान्य होंगे. इससे डॉक्यूमेंट्स के साथ छेड़छाड़, जालसाजी या फाइलों के खोने जैसे जोखिम पूरी तरह खत्म हो जाएंगे.
अखबार ट्रिब्यून के मुताबिक राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग की वित्त आयुक्त सुमिता मिश्रा ने गुरुवार यानी 30 अक्टूबर को सभी डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर्स के साथ एक हाईलेवल वीडियो कॉन्फ्रेंस की. इसमें राज्य में चल रहे डिजिटल सुधारों की प्रगति की समीक्षा की गई. मीटिंग के बाद ही राज्य में पिछले 58 सालों से जारी पारंपरिक लैंड रजिस्ट्रेशन सिस्टम को एक मॉर्डन और हाइटेक सिस्टम की तरफ ले जाने का फैसला हुआ. इसका उद्देश्य कार्यक्षमता, पारदर्शिता और नागरिकों की सुविधा को बढ़ाना है. जल्द ही सभी तहसील कार्यालयों में QR कोड बेस्ड फीडबैक सिस्टम लागू होगा. इसके माध्यम से नागरिक अपने सर्विस एक्सपीरियंस को तुरंत रेट कर सकेंगे और साथ ही किसी भी समस्या की रियल-टाइम में जानकारी दे सकेंगे.
वहीं जनता की सहूलियातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है कि तीन नवंबर से पहले खरीदे गए स्टांप नए डिजिटल सिस्टम के तहत 15 नवंबर तक मान्य रहेंगे. अगर जरूरत पड़ी तो फिर गवाहों को भी डिजिटल रूप से बदला जा सकेगा. सुमिता मिश्रा ने सभी तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों और पंजीकरण कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि वो शुक्रवार तक राजस्व विभाग के पोर्टल पर अपने यूजर अकाउंट्स बनाने का काम पूरा कर लें. इससे हर जिले का ऑनलाइन सिस्टम में सही तरीके से ट्रांजिशन हो सके.
सभी अटके हुए संपत्ति नामांतरण यानी म्यूटेशन मामलों को निपटाने के लिए विभाग ने इस हफ्ते के अंत तक की डेडलाइन तय की है. डिपार्टमेंट में 10 दिन की नॉमिनेशन वैरीफिकेशन प्रॉसेस का रिव्यू कर रहा है और 25 नवंबर से एक 'ऑटो-म्यूटेशन सिस्टम' शुरू करने जा रहा है. इसके तहत मालिकाना हक दर्ज हो जाएगा. इससे देरी और विवाद दोनों की संभावना खत्म होगी. भ्रष्टाचार खत्म करने की दिशा में एक बड़े सुधार के तहत अब फीस की मैनुअल वसूली पर पूरी तरह बैन लगा दिया गया है. अब सभी भुगतान केवल ई-गवर्नेंस पेमेंट गेटवे के माध्यम से ही किए जाएंगे, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी.
विभाग ने डीड राइटर्स (दस्तावेज लेखकों) को भी साफ निर्देश दिए हैं कि वे अब मैनुअल ड्राफ्टिंग बंद करें. उनका कहना है कि क्योंकि अब सिर्फ सरकारी पोर्टल के माध्यम से तैयार की गई रजिस्ट्री (डीड) ही कानूनी तौर पर मान्य होगी. ऑनलाइन तैयार किए गए दस्तावेज स्वतः जमीन के रिकॉर्ड्स से मिलान किए जाएंगे और संबंधित अधिकारियों के डिजिटल सिग्नेचर से प्रमाणित होंगे.
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