सब्जियों की कीमतों में जारी उछाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. अभी कई सप्ताह तक कीमतों पर दबाव बना रहेगा. लौकी, भिंडी समेत रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली हरी पत्तेदार सब्जियों की कीमतों में सालाना आधार 25 फीसदी तक का उछाल आया है, जबकि पिछले महीने से तुलना करें तो दाम 15 फीसदी बढ़ गया है. अनुमान जताया गया है कि नई फसल और अभी बोई जा रही सब्जियों की आवक नहीं शुरू होगी तब तक कीमतें रसोई का बजट बिगाड़े रहेंगी.
मई और जून में भीषण गर्मी ने देश के अधिकांश हिस्सों में सब्जियों के उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित किया है. गर्मियों की सब्जियों जैसे लौकी, भिंडी और पत्तेदार सब्जियों की कीमतें पिछले साल की इसी अवधि से 20-25 फीसदी और पिछले महीने की तुलना में 10-15 फीसदी अधिक चल रही हैं. रिपोर्ट के अनुसार धनिया पत्ती की कीमत मई के मुकाबले जून में दोगुनी होकर 400 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है.
भारतीय घरों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली सब्जी आलू पिछले महीने की तुलना में 15 फीसदी महंगा हो गया है. आलू की अधिक खपत के चलते अच्छे उत्पादन के बावजूद दाम में इजाफा दर्ज किया जा रहा है. वहीं, टमाटर की कीमतें भी आसमान छू रही हैं. पिछले महीने 50-60 रुपये प्रति किलोग्राम टमाटर की कीमत 100 रुपये पर पहुंच गई है, जिससे उपभोक्ताओं को टमाटर की खपत कम करनी पड़ रही है.
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सब्जी उत्पादक संघ ने कहा कि अगस्त के मध्य तक कीमतें स्थिर रहेंगी, जब तक कि नई फसलें, जो अभी बोई जा रही हैं बाजार में आनी शुरू नहीं होंगी. हालांकि, जुलाई में अच्छी बारिश होती है तो जल्द ऊंची कीमतों से राहत मिल सकेगी. लेकिन, जरूरत के हिसाब से बारिश नहीं हुई तो सब्जी की कीमतों पर दबाव बना रहेगा.
दिल्ली की आजादपुर मंडी के व्यापारी राजिंदर शर्मा ने कहा कि हीटवेव ने गर्मियों की सब्जियों के उत्पादन को प्रभावित किया है. इसलिए भारतीय परिवारों की आलू पर निर्भरता बढ़ रही है. आलू का इस साल उत्पादन अच्छा रहा और दो मुख्य उत्पादक राज्यों, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज आलू से भरे हुए हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस साल आलू की कीमतें स्थिर रहेंगी.