काबुल का अफीम अब पूर्व की ओर ट्रांसफर हो गया है. दरअसल, अफगानिस्तान में अफीम की खेती पर तालिबान कि ओर से 2022 में लगाए गए प्रतिबंध ने पाकिस्तान ने अफीम की खेती को बढ़ावा दिया है. इसी के साथ पड़ोसी देश पाकिस्तान अब दुनिया का नया अफीम केंद्र बनकर उससे आगे निकल गया है. ब्रिटेन के 'द टेलीग्राफ' के मुताबिक बलूचिस्तान प्रांत में अफीम के विशाल खेत दिखाई दिए हैं, जो इस्लामिक स्टेट जैसे कई सशस्त्र आतंकवादी समूहों का गढ़ है. यह नई दिल्ली के लिए चिंता का विषय हो सकता है, न केवल इसलिए कि इससे प्राप्त हेरोइन भारत पहुंच सकती है, बल्कि इसलिए भी कि इससे मिलने वाले धन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है.
'इंडिया टुडे' पर प्रकाशित एक खबर के अनुसार, द टेलीग्राफ ने कहा है कि यह बदलाव लाखों लोगों को आतंकवादियों और उग्रवादियों के हाथों में पहुंचा सकता है. साथ ही इस क्षेत्र को और अस्थिर कर सकता है है. पाकिस्तान में अफीम की बेलगाम खेती अफगानिस्तान के ऐतिहासिक उच्च स्तर को पार कर गई है, जहां कभी दुनिया की 80 फीसदी से ज़्यादा अफीम पैदा होती थी. अफ़ग़ान किसानों की विशेषज्ञता, रेगिस्तानी सिंचाई और बटाईदार के रूप में उनकी भूमिका के कारण ही पाकिस्तान, जिसे 2001 में "अफीम मुक्त" घोषित किया गया था, दुनिया का प्रमुख अफीम केंद्र बनता जा रहा है.
अमेरिकी राजनयिक और विदेश नीति विशेषज्ञ जालमे खलीलजाद ने "पाकिस्तान से बुरी खबर" कहे जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यदि यह सच है, तो इसमें कई जोखिम हैं. आतंकवाद और हिंसक समूहों को वित्त पोषण, अर्थव्यवस्था और राजनीति का बढ़ता अपराधीकरण और लोगों में नशे वाली चीजों की लत में वृद्धि है.
अफगानिस्तान सुलह (2018-2021) के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि रहे खलीलजाद ने कहा कि यह पड़ोसियों और उससे आगे के लिए भी खतरा है. क्या पाकिस्तान के पास इस खतरे से निपटने की कोई योजना है?.
बता दें कि पोस्ता का उपयोग सिर्फ अफीम के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि हेरोइन जैसे कई नशे वाली चीजों के लिए भी किया जाता है, जो दुनिया भर में कहर बरपा रहा है. अफीम के पौधे का फूल अफीम का स्रोत है. अमेरिकी आर्थिक और सामाजिक न्याय विभाग (DEA) के अनुसार, यह मॉर्फिन, कोडीन, हेरोइन और ऑक्सीकोडोन जैसी अन्य घातक दवाओं का स्रोत भी है.
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान के साथ मिलकर कुख्यात गोल्डन क्रिसेंट क्षेत्र बनाता है , जो अफीम उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र है. यह क्षेत्र लंबे समय से नशे वाले पदार्थों के व्यापार का केंद्र रहा है.
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में अफीम की खेती में जबरदस्त उछाल आया है. 'द टेलीग्राफ' के अनुसार, सिर्फ़ दो छोटे-छोटे इलाकों में 8,100 हेक्टेयर जमीन की पहचान के साथ, पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान के दो-तिहाई हिस्से में फैले 8,000 हेक्टेयर से आगे निकल गया है. यह रिपोर्ट रूसी विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा के उस बयान के कुछ ही महीने बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि "तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में अफीम की खेती 14 गुना कम हो गई है.
अफगानिस्तान के अफीम व्यापार के विशेषज्ञ डेविड मैन्सफील्ड ने ब्रिटिश अखबार को बताया कि वर्ष 2025 में अफगानिस्तान की अफीम की फसल पाकिस्तान से कहीं अधिक होने की संभावना है. अफीम के खेत, जिनमें से कुछ पांच हेक्टेयर से भी अधिक क्षेत्रफल के हैं, शहरी क्षेत्रों के निकट भी संचालित होते हैं, जो पाकिस्तान में "अनियंत्रित खेती" का संकेत देते हैं.
सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के वीडियोज़ में अफीम की खेती और उसके बीजों के प्रसंस्करण की प्रक्रिया का खुलासा हो रहा है.. बीजों की कटाई के बाद, मज़दूर अफीम के बीजों को काटकर दूधिया तरल पदार्थ निकालते, उसमें मिलावट करते और फिर उसे सुखाकर निर्यात के लिए अफीम के टुकड़े बनाते दिखाई दे रहे हैं.
एक अज्ञात अफगान किसान ने द टेलीग्राफ को बताया कि स्थानीय बलूचों की हिस्सेदारी के बिना अफीम की खेती करना बहुत कठिन है. वे पाकिस्तानी मिलिशिया को जानते हैं. उन्होंने सुरक्षा बलों और सशस्त्र समूहों की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रकाश डाला, जो परिवहन और निर्यात में कटौती की मांग करते हैं.
विदेश नीति विशेषज्ञ जालमे खलीलजाद द्वारा बलूचिस्तान, जो पहले से ही अराजक क्षेत्र है और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और इस्लामिक स्टेट का गढ़ है. वो पड़ोसी देशों के लिए खतरे को बढ़ाता है, पाकिस्तान ने भारत में, खासकर पंजाब सीमा के ज़रिए , ड्रग्स की आपूर्ति की है और यहां तक कि नशीले पदार्थों की आपूर्ति के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया है. इसके पीछे दोहरा मकसद है. उसे भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पैसा मिलता है और नागरिकों को नशे की लत लगाकर धीरे-धीरे उसे नुकसान भी पहुंचाता है. शाहिद कपूर और दिलजीत दोसांझ अभिनीत फिल्म "उड़ता पंजाब" में पाकिस्तान के पार से पंजाब में ड्रग्स की समस्या को दर्शाया गया था.
हाल ही में क्वेटा में इस्लामिक स्टेट द्वारा किया गया आत्मघाती हमला, जिसमें 15 लोग मारे गए, इस क्षेत्र की अस्थिरता को रेखांकित करता है. एशिया पैसिफिक फाउंडेशन के माइकल कुगेलमैन ने चेतावनी दी कि बलूचिस्तान बारूद का ढेर है... आतंकवाद के बीच नशीली दवाओं का व्यापार अस्थिरता पैदा कर सकता है.
ऐसा माना जाता है कि आईएसआई और पाकिस्तानी सेना की निगरानी में किए जाने वाले अफीम के व्यापार से होने वाला लाभ, तस्करी के मार्गों को नियंत्रित करने वाले सशस्त्र समूहों को समृद्ध बनाता है, जबकि किसान फ्रंटियर कोर जैसी सेनाओं को भुगतान करते हैं, जो लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी हुई हैं.
बलूचिस्तान में अफीम की तेजी के कारण भी कीमतें कम हो रही हैं, जो 2023 के अंत में 1,050 डॉलर प्रति किलोग्राम से घटकर अब 370 डॉलर हो गई हैं, जिसका आंशिक कारण पाकिस्तान का उत्पादन है.
मैन्सफील्ड ने 'द टेलीग्राफ' को बताया कि यदि यह विस्तार बलूचिस्तान में जड़ें जमा लेता है, तो इसका परिणाम दक्षिण-पश्चिम एशिया में अफीम उद्योग के पुनर्गठन के रूप में सामने आ सकता है, जिसका प्रभाव यूरोप के बाजारों पर भी पड़ेगा.
अफ़ग़ानिस्तान कभी दुनिया की 80 फीसदी अफ़ीम और यूरोप की 95 फीसदी हेरोइन की आपूर्ति करता था, लेकिन तालिबान के 2022 के प्रतिबंध के बाद से उत्पादन में भारी गिरावट आई है. लेकिन अब मेहनत और विशेषज्ञता पाकिस्तान में ट्रांसफर हो गई है, जिससे पाकिस्तान ने दुनिया की अफ़ीम राजधानी का खिताब स्वेच्छा से स्वीकार कर लिया है.