उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में फर्जीवाड़े का आरोप लगा है. यह आरोप महोबा के ही जय जवान जय किसान एसोसिएशन ने लगाया है. आरोप में कहा गया है कि केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है. इसे देखते हुए फर्जी बीमा कराने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और दोषियों को जेल भेजने की मांग की गई है. इस पूरे मामले में फसल बीमा कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. महोबा में इस मामले ने तूल पकड़ लिया है जिसमें कई किसान जुड़े हुए हैं. सभी किसान एकसुर में फर्जीवाड़ा करने वाली बीमा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
जय जवान जय किसान एसोसिएशन की ओर से जारी एक पत्र में कहा गया है कि तहसील कुलपहाड़ के जैतपुर ब्लॉक के गांव करजिरीद में फर्जीवाड़े की घटना सामने आई है. इस गांव में चकबंदी का काम चल रहा है जिसकी वजह से कृषि भूमि का डेटा ऑनलाइन वेरिफाई नहीं होता है. बीमा माफिया ने इसी बात का फायदा उठाते हुए व्यक्तिगत दावा और फसल कटाई प्रयोग के माध्यम से 35 लाख रुपये का क्लेम उठा लिया. गांव के ही 17 किसानों ने 2024 के खरीफ सीजन में फसल बीमा कराया था जिनके नाम से पैसे उठाकर भ्रष्टाचार किया गया है. इस गांव के कृषि योग्य क्षेत्रफल को जांच के दायरे में लेते हुए धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.
आरोप में कहा गया है, सिमरिया गांव में 2024 में 147 किसानों के नाम 383 हेक्टेयर में बीमा कराए जाने की सूचना दी गई जबकि गांव का कुल क्षेत्रफल 275 हेक्टेयर ही है. यहां भी बीमा माफिया ने चकबंदी की आड़ में अधिक क्षेत्रफल दिखाते हुए बीमा कराया और 119 लाख की राशि हड़प ली. जय जवान जय किसान एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा है, बीमा माफिया ने साल 2025 में 1524 हेक्टेयर का क्लेम लिया जो कि गांव के रकबे से 5 गुना अधिक है. सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा व्यक्तिगत दावा में किया गया है और इसमें 48 लाख रुपये का फर्जी क्लेम उठाया गया है. आरोप के मुताबिक, माफिया हर साल किसानों के नाम अधिक जमीन दिखाकर बीमा कराते हैं और क्लेम का पैसा उठा लेते हैं.
गांव इंदौरा में ही ऐसा ही मामला सामने आया है. यहां 2024 में 577 किसानों के नाम 1204 हेक्टेयर में बीमा करा लिया गया जबकि गांव का कुल क्षेत्रफल 250 हेक्टेयर है. इसके बाद व्यक्तिगत दावा के तहत 76 लाख रुपये और फसल कटाई प्रयोग के तहत 34 लाख रुपये, यानी कुल 110 लाख रुपये की राशि हड़प ली गई.
गांव लुहारी में 396 किसानों द्वारा 1138 हेक्टेयर का बीमा कराया गया जबकि गांव का कुल रकबा 800 हेक्टेयर है. इसमें बीमा माफिया ने 147 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा किया है. एसोसिएशन ने अपने आरोप में कहा है कि साल 2025 में बीमा माफिया ने फर्जीवाड़े के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 686 किसानों के जरिये 2880 हेक्टेयर में फसल बीमा दिखाया जबकि यह गांव के क्षेत्रफल से 3 गुना से अधिक है. गांव भटेवरकला में 78 लाख रुपये हड़पे जाने का आरोप लगा है. गांव मुरैनी में साल 2024 में 42 किसानों द्वारा 159.77 हेक्टेयर में बीमा कराया गया और इसमें 42 किसानों ने ही 49 लाख रुपये का क्लेम लिया है. इस तरह क्लेम का पैसा किसानों को कम माफिया को ज्यादा मिला है.
आरोप के मुताबिक, ग्राम खेवरइया ज्योरैया में 125 किसानों ने 40 लाख, सिजवाहा में 95 किसानों ने 24 और पलका में 145 किसानों ने 17 लाख व्यक्तिगत दावा के माध्यम से क्लेम लिया है. यहां व्यक्तिगत दावा में माफिया सबसे अधिक होंगे. एसोसिएशन ने मांग की है कि ऐसे अन्य सैकड़ों गांव हैं जिसमें जांच की जरूरत है. एसोसिएशन के अध्यक्ष गुलाब सिंह ने 'किसान तक' से बातचीत में बताया कि बीमा कंपनियां बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार कर रही हैं जबकि किसान को फसल नुकसान का सही सही मुआवजा भी नहीं मिल पाता. इसे देखते हुए कंपनी के खिलाफ जांच करते हुए सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. गुलाब सिंह ने बताया कि बीमा कंपनी इफको टोकियो के जिला प्रबंधक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, लेकिन अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है.