भारतीय खाद्य निगम (FCI) इस साल 14 नवंबर से शुरू हो रहे दिल्ली व्यापार मेले (Delhi Trade Fair) में पहली बार उपभोक्ताओं को सीधे अच्छी क्वालिटी वाला चावल, जिसमें उबला हुआ चावल (Parboiled Rice) भी शामिल है, बेचने जा रहा है. यह पहल एफसीआई की ओर से भविष्य में खुदरा बिक्री योजना के लिए उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया (feedback) जुटाने की कोशिश मानी जा रही है.
एफसीआई ने केंद्रीय भंडार (Central Pool) से चावल की थोक बिक्री (bulk sale) की योजना को भी आगे बढ़ाया है. इसके तहत न्यूनतम 10,000 टन चावल की खरीद के लिए व्यापारियों को अपने नजदीकी डिपो से बोली लगाने की अनुमति होगी, और परिवहन लागत एफसीआई वहन करेगा.
एफसीआई ने 17 अक्टूबर को पहली बार 4.60 लाख टन चावल की थोक बिक्री के लिए टेंडर जारी किया है, जिसकी आरक्षित कीमत (रिजर्व प्राइस) 2800 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है. इस ई-नीलामी की बोली 22 अक्टूबर से शुरू हुई.
इस मॉडल के तहत कोई भी रजिस्टर्ड बोलीदाता 10,000 टन से 50,000 टन तक की मात्रा के लिए बोली लगा सकता है. चावल की आपूर्ति "रेक लोड" के आधार पर होगी, जिसमें एक रेक लोड = 2,650 टन चावल होता है.
एफसीआई के अनुसार, यह चावल केवल घरेलू बिक्री के लिए होगा और निर्यात (export) की अनुमति नहीं होगी.
अधिकारियों ने 'बिजनेसलाइन' को बताया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक को पहले दौर के तहत 50,000 टन की अनुमति दी गई है, जबकि पूर्वोत्तर क्षेत्र, केरल, दिल्ली और राजस्थान के मामले में यह मात्रा कम है.
पहले चरण में जिन राज्यों को 50,000 टन तक का कोटा दिया गया है, उनमें शामिल हैं:
वहीं उत्तर-पूर्व, केरल, दिल्ली और राजस्थान को थोड़ा कम कोटा दिया गया है.
एफसीआई के पास 1 अक्टूबर 2025 तक 449.57 लाख टन चावल का भंडार मौजूद है, जो कि निर्धारित बफर स्टॉक 102.5 लाख टन से चार गुना अधिक है. इसमें 139.22 लाख टन धान के रूप में है.
सरकार इस अतिरिक्त स्टॉक को कम करने के लिए नए तरीके अपना रही है. हाल ही में World Food India Exhibition में 100 टन चावल बेचा गया था. उसी तरह, दिल्ली ट्रेड फेयर में भी अगर राज्य-विशेष चावल (जैसे तेलंगाना का उबला चावल 30-35 रुपये प्रति किलो) उपलब्ध कराया जाए, तो अच्छी मांग बन सकती है.
एक सूत्र ने बताया कि दिल्ली में अलग-अलग राज्यों के लोगों की संख्या बढ़ रही है जो अपने राज्य का चावल खाना पसंद करते हैं, और इस वर्ग की जरूरतों को पूरा करने के लिए एफसीआई चावल को मंजूरी मिल सकती है. उन्होंने आगे कहा कि उदाहरण के लिए, अगर तेलंगाना का उबला चावल दिल्ली में 30-35 रुपये प्रति किलो की दर से उपलब्ध कराया जाए, तो अच्छी मांग हो सकती है.