मध्य प्रदेश में पिछले 2 साल में किसानों की आत्महत्या 20 गुना तक घटी है. कई जिले ऐसे हैं जहां खुदकुशी की घटनाएं शून्य पर पहुंच गई हैं. इन घटनाओं पर रोक के लिए मध्य प्रदेश के कृषि सुधारों को कारण बताया जा रहा है जिनमें कर्जमाफी, बिजली और फसल बीमा शामिल है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में 263 किसानों की जानें गईं जबकि 2024 में ये घटनाएं 13 तक सिमट गईं.
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2022 में जहां 263 किसानों ने खुद की जान ले ली, वहीं 2023 में यह संख्या घटकर 150 पर आ गई. 2024 में खुदकुशी के मामलों में 20 गुना की गिरावट दर्ज की गई और यह 13 पर पहुंच गई. सबसे अधिक असर बुंदलेखंड में देखा गया है. इसके अलावा रीवा, सीधी, सिंगरौली, सागर में किसानों की आत्महत्या की घटना शून्य पर आ गई. वहीं छिंदवाड़ा में 39 से घटकर शून्य, उमरिया में 40 से 4 और बड़वानी में 57 से घटकर 4 रह गई. 'दैनिक भास्कर' की एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने किसानों से जुड़े 6 पॉइंट्स को पहचाना और उस पर काम किया. उसका नतीजा हुआ कि खुदकुशी के मामले में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. राज्य सरकार खेती का रकबा बढ़ाने और सिंचाई सुविधाएं बेहतर करने पर ध्यान दे रही है जिससे किसानों को फायदा मिला है. सिंचाई की सुविधा बढ़ने से किसान अब जायद के रूप में तीसरी फसल भी उगा रहे हैं जिससे उनकी कमाई बढ़ी है. किसानों को कर्जमाफी, बिजली और फसल बीमा का लाभ मिल रहा है जिससे उनकी स्थिति में सुधार हुआ है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि दो साल पहले बड़वानी और अलीराजपुर ऐसे जिले में शुमार थे जहां सबसे अधिक किसानों की आत्महत्या होती थी. बड़वानी में यह आंकड़ा 57 था जो 2024 में घटकर चार पर आ गया. वहीं अलीराजपुर में घटना का आंकड़ा 58 था जो घटकर शून्य पर आ गया है. उज्जैन, रतलाम, सीहोर, विदिशा, छिंदवाड़ा, अशोक नगर, शिवपुरी, मुरैना, सागर, दमोह, कटनी, शहडोल, सीधी, सिंगरौली और रीवा ऐसे जिले हैं जहां किसी किसान ने खुदकुशी नहीं की है. हालांकि ग्वालियर ऐसे जिले के रूप में सामने आया है जहां 2022 में कोई मौत नहीं थी जबकि 2024 में ऐसी दो घटनाएं सामने आईं.
आत्महत्या के कारणों पर गौर करें तो इसमें पहले स्थान पर नशा है. 2022 से 2024 तक सबसे अधिक किसानों ने नशे के प्रभाव में किया है. इसके बाद बीमारी और मानसिक तनाव जैसे कारण हैं. पारिवारिक विवाद भी बड़ा कारण है जिसके प्रभाव में किसान खुदकुशी करते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इंदौर-उज्जैन संभाग में किसानों की खुदकुशी में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है.