न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी (MSP) की गारंटी को लेकर पंजाब के किसानों ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इसमें अब हरियाणा के किसान भी जुड़ गए हैं. जबकि कड़वी सच्चाई यह है कि पंजाब और हरियाणा देश में दो ऐसे सूबे हैं जहां एमएसपी पर फसलों की सबसे ज्यादा खरीद होती है. दूसरे शब्दों में कहें तो एमएसपी के तौर पर केंद्र सरकार जितना पैसा खर्च करती है उसका ज्यादातर हिस्सा इन्हीं दो सूबों के किसानों को मिलता है. जिन राज्यों के किसानों को एमएसपी का न के बराबर लाभ मिलता है वो आंदोलन में नहीं हैं और जिन दो राज्यों को सबसे ज्यादा पैसा मिलता है उन्हीं के किसान सड़क पर उतरे हुए हैं. इन दोनों राज्यों के किसानों को तो एमएसपी मिलने की अघोषित 'गारंटी' कई वर्षों से है. हर साल इनका ज्यादातर गेहूं-धान सरकार खुद ही खरीद लेती है.
फिलहाल, किसान आंदोलन को हवा दे रही कांग्रेस ने अपने पिछले एक दशक के शासन काल में किसानों से उनकी फसलों की कितनी खरीद की है और कितना पैसा दिया है इसका नकाब भी उतारने का समय आ गया है. कांग्रेस के कथित किसान प्रेम का यह नकाब खरीद और एमएसपी के भुगतान के आंकड़ों से उतरेगा. मनमोहन सिंह बनाम मोदी सरकार की तुलना करें तो किसानों को वर्तमान सरकार के दौरान एमएसपी के तौर पर बहुत ज्यादा पैसा मिला है. खासतौर पर हरियाणा और पंजाब में. अब किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार पंजाब और हरियाणा के किसानों को यह एहसास दिलाने की कोशिश में जुटी हुई है कि वो उनकी कितनी बड़ी खैरख्वाह है.
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(मोदी सरकार के दौरान गेहूं-धान की खरीद और एमएसपी के आंकड़े एक फरवरी, 2024 तक के हैं. यानी 10 साल से कम के हैं)
खरीद के ये सरकारी आंकड़े हैं, जिसमें कोई भी फेरबदल नहीं कर सकता. इस कड़वी सच्चाई के बावजूद इन्हीं दो राज्यों के किसान आज केंद्र सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे हुए हैं. केंद्र सरकार ने पिछले किसान आंदोलन के बाद कृषि सुधार के लिए जो कमेटी बनाई थी उसने अब तक एमएसपी को लेकर अपनी रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी है.
कमेटी के सदस्य बिनोद आनंद का कहना है कि सदस्यों की ऐसी राय है कि एमएसपी का लाभ सिर्फ पंजाब और हरियाणा के ही किसानों को क्यों मिले? क्यों नहीं इसका लाभ बिहार. पूर्वी यूपी, पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत के भी राज्यों को मिले. किसान तो वहां भी हैं, तो फिर इन राज्यों के किसान एमएसपी से क्यों दूर हैं? इस बीमारी का जड़ से इलाज करने का काम जारी है ताकि एमएसपी की व्यवस्था प्रभावी और पारदर्शी बने. कृषि सुधार की कमेटी का जो नोटिफिकेशन है उसमें साफ लिखा है कि यह कमेटी एमएसपी को प्रभावी और पारदर्शी बनाने का काम करेगी. कानूनी गारंटी जैसा कोई शब्द इस्तेमाल नहीं किया गया है.
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