मधुमक्खी से केवल शहद ही नहीं प्राप्त होता है बल्कि इसके डंक से एक ख़ास जहर प्राप्त होता है जिसकी कीमत सोने से भी महंगी है. मधुमक्खी का डंक अब किसानों को मालामाल कर रहा है. इस जहर की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2 करोड रुपए प्रति किलो तक है. देश में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में सबसे ज्यादा शहद पैदा किया जाता है. वही यहां के मधुमक्खी पालक किसानों के द्वारा अब डंक से निकलने वाले जहर को बेचकर मालामाल हो रहे हैं. मधुमक्खी पालन के माध्यम से किसानों के आर्थिक हालत में काफी सुधार आया है. इसलिए सरकार के द्वारा भी मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों को कई तरह की योजनाओं का लाभ दे रही है.
मधुमक्खी का डंक अगर इंसानों को लग जाए तो उसे दर्द और पीड़ा होती है लेकिन अब यही डंक किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में निमित्त सिंह का बड़ा नाम है. उन्होंने अब तक मधुमक्खी से शहद, पोलन, पर्पोलिस, वैक्स और रॉयल जेली प्राप्त करते थे लेकिन अब मधुमक्खी के डंक से भी अच्छा पैसा कमा रहे हैं. उन्होंने बताया कि शहद की यूनिट के साथ-साथ मधुमक्खी के डंक से निकलने वाले जहर जिसे बी वेनम कहा जाता है. उसे इकट्ठा करते हैं और बाजार में एक ग्राम बी वेनम की कीमत 10 से 15000 रुपए तक मिलती है.
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देश के भीतर इन दोनों 60 लाख से ज्यादा किसानों के द्वारा मधुमक्खी पालन किया जा रहा हैं. मधुमक्खी पालन से किसानों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया है. उत्तर प्रदेश के द्वारा देश के भीतर सबसे ज्यादा शहद का उत्पादन करता है. यहां अब किसानों के द्वारा मधुमक्खी के डंक से जहर निकाला जा रहा है जिसका उपयोग गठिया ,एड्स की दवा बनाने में होता है. मधुमक्खी पालन करने वाले किसान निमित्त सिंह ने बताया कि मधुमक्खी के डंक से एड्स, कैंसर, गठिया जैसी घातक बीमारी के लिए भी दवा तैयार होती है. इसी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक ग्राम बीवेनम की कीमत 10 से 15000 रुपए तक मिलती है जो कि सोने से भी ज्यादा कीमती है.
उत्तर प्रदेश में मधुमक्खी पालन का काम तेजी से फैल रहा है. सहारनपुर शहद उत्पादन में पहले पायदान पर है तो वहीं बाराबंकी और लखनऊ के किसानों के द्वारा भी तेजी से इस क्षेत्र में किसान जुड़ रहे हैं. बी वेनम को रुड़की, एम्स के अलावा कनाडा, स्पेन और अफगानिस्तान तक भेजा जाता है. इससे नर्वस सिस्टम समेत कई गंभीर बीमारियों की दवा बनाई जाती है. मधुमक्खी पालन करने वाले युवा किसान निमित्त सिंह ने बताया कि एक डिब्बे में करीब 25000 मधुमक्खियां होती हैं. साल भर लगभग 1700 डब्बो से एक किलो जहर मिल जाता है. शुद्धता के अनुसार इस जहर की कीमत 70 लाख से लेकर 2 करोड़ तक होती है.