
भारत अब फिलीपींस, गाम्बिया, लाइबेरिया और घाना जैसे नए देशों में चावल निर्यात बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. यह जानकारी इंडियन राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन (IREF) के उपाध्यक्ष और श्री लाल महल ग्रुप के निदेशक देव गर्ग ने ‘भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस (BIRC) 2025’ से पहले आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी. गर्ग ने बताया कि इन चार देशों के कृषि मंत्री सम्मेलन में शामिल होंगे. उन्होंने भारत के चावल निर्यात क्षेत्र के लिए इसे “महत्वपूर्ण मील का पत्थर” बताया.
उन्होंने कहा कि भारत उन क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है जहां फिलहाल पाकिस्तान और आयरलैंड जैसे प्रतिस्पर्धियों का वर्चस्व है. गर्ग ने कहा, “भारत ने ऐसे 26 बाजार चिन्हित किए हैं, जहां दूसरे देशों का प्रभुत्व है. ये बाजार करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये का चावल आयात करते हैं. हमने जीआई, नॉन-बासमती और बासमती सहित कई ऐसी भारतीय किस्में चुनी हैं, जो इन आयातों की जगह ले सकती हैं.”
उन्होंने बताया कि सम्मेलन के दौरान 25,000 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन (MoUs) साइन किए जाने की उम्मीद है, जिनमें राज्य सरकारें, कृषि बोर्ड और विदेशी आयातक शामिल होंगे. इस पहल का फोकस भारत की भौगोलिक संकेतक (GI) युक्त चावल किस्मों और प्रीमियम नॉन-बासमती चावल को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना रहेगा.
सम्मेलन में पहली बार एआई-संचालित कलर सॉर्टर-कम-ग्रेडर मशीन का अनावरण किया जाएगा, जो चावल की ग्रेडिंग प्रक्रिया को बेहतर बनाएगी और नुकसान को कम करेगी. गर्ग ने कहा, “हमारा लक्ष्य सफेद चावल में 25% तक होने वाली गिरावट को घटाकर 10% तक लाना है, और यह नई तकनीक इसमें अहम भूमिका निभाएगी.”
कार्यक्रम में नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड 12 नई ऑर्गेनिक चावल की किस्में और एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च करेगा. डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) अपना ट्रेड सुविधा प्लेटफॉर्म प्रदर्शित करेगा, जबकि एक नया इन्क्यूबेशन और रिसर्च सेंटर भी शुरू होगा, जो कृषि नवाचार और रोजगार सृजन पर केंद्रित रहेगा. इसके अलावा, आईसीएआर और आईआरआरआई किसानों को टिकाऊ एवं बेहतर कृषि पद्धतियों का प्रशिक्षण देंगे.
गर्ग ने बताया कि तेलंगाना सरकार सम्मेलन में बड़ी भूमिका निभाएगी, जो इस वर्ष 277 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त चावल का निपटान करना चाहती है. अब तक 5,484 संस्थाएं- जिनमें स्टार्टअप्स, निर्यातक और आयातक शामिल हैं, सम्मेलन के लिए पंजीकरण कर चुकी हैं. इनमें से 500 से अधिक स्टार्टअप और लघु उद्योग हैं. बिहार भी इस आयोजन में भाग लेगा और 20 से अधिक किसान उत्पादक संगठन (FPOs) अपने उत्पादों के साथ हिस्सा लेंगे.