बिहार में गन्ना तीन मोर्चों पर फेल, शुगर इंडस्ट्री भी संकट में—उत्पादन, रेट और बकाया ने बिगाड़ी तस्वीर

बिहार में गन्ना तीन मोर्चों पर फेल, शुगर इंडस्ट्री भी संकट में—उत्पादन, रेट और बकाया ने बिगाड़ी तस्वीर

कभी 130 शुगर मिलों वाला बिहार आज उत्पादन, गन्ने के दाम और मिलों के बकाया तीनों मोर्चों पर पिछड़ा. यूपी, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों से विशाल अंतर.

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रवि कांत सिंह
  • New Delhi ,
  • Dec 05, 2025,
  • Updated Dec 05, 2025, 5:55 PM IST

बिहार में गन्ना खेती और शुगर इंडस्ट्री की हालत लगातार खराब होती जा रही है. एक समय था जब राज्य में 130 तक शुगर फैक्ट्रियां चलती थीं और देश का करीब 40% गन्ना उत्पादन बिहार से आता था. आज स्थिति यह है कि गन्ना उत्पादन, किसानों को मिलने वाला रेट और चीनी मिलों का लंबा बकाया—इन तीनों मोर्चों पर राज्य बुरी तरह पिछड़ चुका है. नतीजा, गन्ना और शुगर सेक्टर दोनों ही गहरी परेशानी में हैं.

1. गन्ना उत्पादन में बड़ी गिरावट

बिहार में गन्ना उत्पादन औसतन 56 टन प्रति हेक्टेयर है, जबकि राष्ट्रीय औसत 80 टन प्रति हेक्टेयर है. पड़ोसी उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 82–83 टन, पंजाब में 80 टन और हरियाणा में करीब 82 टन प्रति हेक्टेयर है. इन आंकड़ों से साफ है कि बिहार का गन्ना उत्पादन न केवल राष्ट्रीय स्तर से कम है, बल्कि अपने पड़ोसी राज्यों से भी काफी पीछे है.

2. गन्ने के रेट में बिहार पीछे

गन्ना किसानों की आय का सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर है SAP (स्टेट एडवाइज्ड प्राइस) है. बिहार में फिलहाल गन्ने का रेट 355 रुपये प्रति क्विंटल है, वह भी सिर्फ बेस्ट वैरायटी के लिए. वही लोअर वैरायटी का रेट 320 रुपये प्रति क्विंटल है. वहीं तुलना करें तो:

  • उत्तर प्रदेश: 400 रुपये/क्विंटल
  • पंजाब: 416 रुपये/क्विंटल (देश में सबसे अधिक)
  • हरियाणा: 415 रुपये/क्विंटल

बिहार में लगभग 50–60 रुपये का अंतर किसानों की आय को सीधे प्रभावित करता है. बिहार के किसान सोच में पड़ जाते हैं कि फलां राज्य में अधिक भाव मिल रहा है, लेकिन उन्हें नहीं. इस वजह से भी वे गन्ने की खेती से पलट रहे हैं.

3. किसानों का बकाया—सबसे बड़ी मार

बिहार में गन्ना किसानों को भुगतान मिलने में 1–2 साल की देरी सामान्य हो चुकी है. किसान गन्ना मिलों को आज बेचते हैं और भुगतान के लिए सालों इंतजार करते हैं. यही कारण है कि कई किसान गन्ना छोड़कर अन्य फसलों की ओर मुड़ रहे हैं. दूसरी ओर,

  • यूपी में ताजा सीजन का 90% भुगतान हो चुका है.
  • पंजाब में लगभग 87% भुगतान पिछले साल ही मिल गया था.
  • हरियाणा में भी सरकारी हस्तक्षेप से भुगतान में सुधार हुआ है.

कुल तस्वीर—गन्ना और शुगर सेक्टर में गहरा संकट

तीनों मोर्चों—उत्पादन, रेट और बकाया—पर गिरावट ने बिहार को गन्ना उत्पादक राज्यों की सूची में सबसे पीछे धकेल दिया है. नतीजा ये है कि शुगर इंडस्ट्री भी कमजोर हो चुकी है और कई मिलें पूरी तरह बंद या बीमार हालत में हैं. विशेषज्ञों के अनुसार यदि नीति और प्राइसिंग में सुधार नहीं किए गए, तो आने वाले वर्षों में बिहार का गन्ना सेक्टर और भी कमजोर हो सकता है.

किसानों में उम्मीद की लहर

अभी हाल में बिहार सरकार ने फैसला लिया कि बहुत जल्द प्रदेश की 9 पुरानी मिलों को शुरू किया जाएगा. इसके साथ ही बिहार में कुल 25 मिलें शुरू होने की उम्मीद है. इससे किसानों में आशा जगी है कि उन्हें समय पर पैसे मिलेंगे और उनकी खेती बच जाएगी. दूसरी ओर, शुगर मिलों में भरोसा जगा है कि अब उनका शटर डाउन नहीं बल्कि हमेशा के लिए खुलने वाला है.

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