बनास जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ (बनास डेयरी) ने शहद पर भी काम करना शुरू कर दिया है. उत्तर गुजरात के पालनपुर के पास बदरपुरा स्थित बनास डेयरी परिसर में गुजरात की पहली शहद परीक्षण प्रयोगशाला की शुरुआत की गई. बनास डेयरी के अलावा दूसरे संस्थान भी इसका फायदा उठा सकते हैं. इसे शुरू करने वाली डेयरी अपने खुद के उत्पादों जैसे बनास हनी और अमूल हनी की टेस्टिंग तो करेगी ही. साथ ही अन्य सहकारी समितियों के लिए भी यह अत्याधुनिक प्रयोगशाला के तौर पर काम करेगी.
बनास डेयरी के प्रबंध निदेशक संग्राम चौधरी ने कहा, केंद्र सरकार ने लैब के लिए हमें फंड दिया है. पहले हम सैंपल जर्मनी भेजते थे. बाद में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी), आनंद में एक केंद्रीकृत प्रयोगशाला स्थापित की गई. लेकिन वहां भी लागत बहुत अधिक हुआ करती थी. अब घरेलू परीक्षण सुविधा के साथ, हम उचित लागत पर परीक्षण करने में सक्षम होंगे. साथ ही, परीक्षणों में लगने वाला समय 15-20 दिन से घटकर लगभग छह दिन हो जाएगा. हालांकि निजी तौर पर शहद का कारोबार करने वालों को इस प्रयोगशाला की सुविधा नहीं मिलेगी. सिर्फ सहकारी समितियों को फायदा मिलेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पहल की सराहना की. रविवार को एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने लिखा, “जब नवाचार की बात आती है, तो बनास डेयरी हमेशा सबसे आगे रही है. मीठी क्रांति में भारत के कदमों को मजबूत करने की दिशा में इस महत्वपूर्ण कदम को देखकर अच्छा लगा. हनी लैब इस क्षेत्र के लिए बहुत फायदेमंद होगी.
बनास डेयरी के अध्यक्ष शंकर चौधरी द्वारा साझा की गई प्रयोगशाला के बारे में एक प्रस्तुति में कहा गया है कि डेयरी 2016 से किसानों और डेयरी उत्पादकों को मधुमक्खी पालन के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है. अक्टूबर 2016 में डेयरी ने 2020 और 2023 के बीच 1,60,533 किलोग्राम का शहद उत्पादन हासिल किया है, जिसमें 5,000 से अधिक किसान शामिल हैं. बनास डेयरी के बनास हनी को दिसंबर 2016 में लॉन्च किया गया था, जबकि अमूल हनी को सितंबर 2021 में लॉन्च किया गया था.
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बनास का शहद मॉडल गांवों में 4-5 व्यक्तियों की एक टीम के माध्यम से संचालित होता है, जिसे मधुमक्खी सहकारी समिति (मधुमक्खी मंडलियां) कहा जाता है. ये मंडलियां मनपसंद जगहों पर मधुमक्खी का डिब्बा लगाती हैं और डेयरी यूनियन के अधिकारियों की मौजूदगी में शहद निकालती हैं. इसके बाद शहद को डेयरी के प्रोसेसिंग सेंटर में लाया जाता है, जहां इसे सामान्य तापमान पर छानकर परीक्षण के बाद पैक किया जाता है. केंद्र सरकार ग्रामीण स्तर पर शहद उत्पादन को प्रोत्साहित करने और किसानों की संख्या बढ़ाने के लिए मधुमक्खी पालन पर विशेष जोर दे रही है.
देश में एक राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) की स्थापना की गई है. जिसके तहत राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) की एक विशेष योजना शुरू की गई. योजना के तहत 16 मिनी शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी गई. इसमें बिहार में एक, कर्नाटक में तीन, मध्य प्रदेश में एक, महाराष्ट्र में एक, राजस्थान में एक जम्मू और कश्मीर में लैब स्थापित करने की मंजूरी है. इसी तरह उत्तर प्रदेश में दो, पश्चिम बंगाल में दो, हिमाचल प्रदेश में एक जबकि दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक के लिए तीन क्षेत्रीय बड़ी शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं को मंजूरी मिली है.