Agri Quiz: प्रदूषण को कम करता है यह मोटा अनाज, 60 दिनों में पक कर हो जाता है तैयार

Agri Quiz: प्रदूषण को कम करता है यह मोटा अनाज, 60 दिनों में पक कर हो जाता है तैयार

मोटे अनाज यानी मिलेट्स को अब भारत में श्री अन्न के नाम से भी जाना जाता है. मोटे अनाजों में बाजरा, ज्वार, रागी, कंगनी, कुटकी, कोदो, सवां और चीना शामिल हैं. आइए जानते हैं भारत के किस राज्य में सबसे अधिक चीना का उत्पादन होता है.

प्रदूषण को कम करता है यह मोटा अनाज, 60 दिनों में पक कर हो जाता है तैयारप्रदूषण को कम करता है यह मोटा अनाज, 60 दिनों में पक कर हो जाता है तैयार
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Oct 21, 2023,
  • Updated Oct 21, 2023, 2:17 PM IST

मोटे अनाज यानी मिलेट्स को अब भारत में श्री अन्न के नाम से भी जाना जाता है. मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मना रही है. मोटे अनाज में आठ अनाजों को जोड़ा गया है. इसमें बाजरा, ज्वार, रागी, कंगनी, कुटकी, कोदो, सवां और चीना शामिल हैं. क्या आप जानते हैं कि भारत में चीना का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन-सा है? यानी कहां से पूरे देश में सबसे अधिक पहुंचता है चीना. आइए जानते हैं भारत के किस राज्य में सबसे अधिक चीना का उत्पादन होता है.

यहां होती है सबसे अधिक उत्पान

चीना को अंग्रेजी में प्रोसो मिलेट्स के नाम से भी जाना जाता है. चीना एक ऐसा मोटा अनाज है, जो पूरी दुनिया में उगाया जाता है. भारत के साथ-साथ यूरोप, चीन और अमेरिका में इससे सूप, दलिया और नूडल्स बनाए जाते हैं. इसकी खेती से अधिक लाभ कमाया जा सकता है. वहीं भारत में चीना के सबसे बड़े उत्पादक राज्य की बात करें तो सबसे अधिक चेना का उत्पादन कर्नाटक में होता है. यानी चेना उत्पादन के मामले में ये राज्य सबसे आगे है. यहां के किसान हर साल इसकी बंपर खेती करते हैं.

जानें चीना की क्या है खासियत

देश में प्राचीन काल से ही चीना को खाया जा रहा है. कई राज्यों में ये पारंपरिक तौर पर डाइट में शामिल है. इसे बंजर जमीन, उष्ण स्थिति या बदलते वातावरण में भी आसानी से उगाया जा सकता है. इसे उगाने के लिए अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. न ही अधिक कीटनाशकों या उर्वरकों का खर्चा होता है.

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क्या हैं चीना के फायदे

यह अनाज मानव शरीर के लिए काफी गुणकारी है. लोग मोटे अनाज का सेवन अलग-अलग तरीके से करते हैं. कुछ लोग रोटी बनाकर तो कुछ लोग इसके नूडल्स, बिस्कुट और डोसा के अलावा भी कई प्रकार से खाते हैं. यह मोटा अनाज फैट और कोलेस्ट्रॉल फ्री होता है. साथ ही प्रोटीन, फाइबर, विटामिन-बी, आयरन और जिंक समेत कई विटामिन और खनिजों का मेन सोर्स है. 

चीना में अन्य अनाज वाली फसलों की तुलना में अधिक नाइट्रोजन उपयोग की क्षमता होती है. इसका उपयोग मिट्टी के प्रदूषण को रोकने के लिए भी किया जाता है. यह किस्म स्वाद में टूटे हुए चावल के समान होती है और इसमें उच्च स्तर का प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, खनिज और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स पाया जाता है. चीना ह्रदय रोग, कैंसर, गठिया रोग, सूजन का खतरा कम करता है और शरीर की इम्यूनिटी को बेहतर बनाता है.

पशुओं के चारे में उपयोग

चीना ऐसा मोटा अनाज है जो मात्र 60-100 दिनों में पक कर तैयार हो जाता है. इस फसल को सूखा क्षेत्र में भी आसानी से लगा सकते हैं. प्रोसो मिलेट यानी कि चीना सूक्ष्म पोषक तत्वों और आवश्यक अमीनो एसिड से भरपूर है. इसमें भरपूर पोषक तत्व पाए जाने के कारण पशुओं के चारे के रूप में भी इसे उगाया जाता है.

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