निजी सेक्टर में अच्छी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर शशि हरियाणा में फरीदाबाद के गांव पावटा में बीते कुछ वर्षों से वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम कर रही हैं. शशि ने करीब 15 वर्षों तक विभिन्न NGO के लिए काम किया है और अब वह धरातल पर अपने पुराने अनुभव के साथ किकाबोनी फार्म का संचालन कर रही हैं, जिसमें वह केंचुआ खाद बनाने और जैविक खेती करने का काम कर रही हैं.
वर्मी कंपोस्ट के बिजनेस को लेकर सोशल मीडिया पर काफी वीडियो देखने को मिलती है, जिसमें ये दावा किया जाता है कि चंद महीनों में ही आप इस काम से लाखों रुपये कमा सकते हैं और एक सफल व्यक्ति बन सकते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे परे कुछ और ही है.
किसान तक से बात करते हुए शशि ने अपना अनुभव साझा करते हुए हमें बताया कि वर्मी कंपोस्ट यूनिट को शुरू करने से लेकर इस बिजनेस को सही मुकाम तक ले जानें और मुनाफा कमाने में में कितना समय लगता है. शशि ने अपने फार्म पर 25 बेड से शुरूआत की थी और आज उनकी यूनिट पर 250 बेड पर केंचुआ खाद बनाई जा रही है.
शशि ने बताया कि उन्हें इस काम में किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इंटरनेट की दुनिया में जो लोग इस काम से लाखों का मुनाफा कमाने की बात करते हैं तो उसकी सच्चाई क्या है.
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वर्मी कंपोस्ट के काम में केंचुए का बड़ा योगदान होता है और बदलते मौसम में इसपर सीधा प्रभाव पड़ता है, गर्मियों में भी काफी केंचुए मर जाते हैं तो वहीं सर्दी में ये अच्छा कार्य करते हैं और इनकी संख्या भी बढ़ती है और इससे वर्मी कंपोस्ट के उत्पादन में सीधा फर्क पड़ता है.
किसान तक से बातचीत में शशि बताती हैं कि देश में बढ़ रहे वर्मी कंपोस्ट के चलन के बीच भी लोगों में इस काम को लेकर जानकारी का अभाव देखने को मिलता है और यह भी एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. असल में जब धरातल पर इस कार्य को करते हैं तभी आपको केंचुए और इस कार्य से जुड़े नए अनुभव मिलते हैं.
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शशि ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट बनाने में आने वाला खर्च मौसम पर भी निर्भर करता है. तो वहीं केंचुआ खाद करीब 2 से 4 रुपये प्रति किलोग्राम तक बनकर तैयार हो जाती और यह रिटेल बाजार में 4 रुपये से लेकर 10 रुपये तक बिक जाती है. यह कीमत बाजार की मांग और खाद की गुणवत्ता पर भी निर्भर करती है.
शशि बताती हैं कि अगर आप वर्मी कंपोस्ट की यूनिट पर काम करते हैं तो इस कार्य को शुरू करने और इसको सफल बनाने के लिए समय की आवश्यकता होती है. परस्पर मजदूरों द्वारा बेड पर पानी लगाया जाए, केंचुए की संख्या बढ़ती रहे, गोबर भी सही जगह से लिया जाए. इन सबको ध्यान में रखते हुए जब आपकी फाइनल खाद तैयार हो तो उसकी मार्केटिंग और बाजार की समझ के अनुसार अपने कार्य को आगे बढ़ाएं.