फसल और बागवानी की बेहतर पैदावार के लिए किसान अब रासायनिक खादों के बजाय ऑर्गेनिक विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं. इसी कड़ी में इस्तेमाल की हुई चाय पत्ती एक बेहतरीन खाद साबित हो रही है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि चाय पत्ती में मौजूद पोषक तत्व पौधों की जड़ों को मज़बूत करते हैं और मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाते हैं. उनका कहना है कि चाय पत्ती को खाद के रूप में बढ़ावा देना किसानों के लिए लाभकारी है। यह न केवल सस्ती और सुलभ है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है.
इस्तेमाल की गई चाय पत्ती में नाइट्रोजन, पोटैशियम और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो पौधों की वृद्धि के लिए बेहद जरूरी हैं. यह मिट्टी की नमी बनाए रखने में मदद करती है और पौधों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है. यही कारण है कि बाग-बगीचे और खेतों में चाय पत्ती का खाद के रूप में प्रयोग लगातार लोकप्रिय हो रहा है. चाय पत्ती को खाद के रूप में उपयोग करना बेहद आसान है. चाय पत्ती को सुखाकर सीधे पौधों की जड़ों के पास डाला जा सकता है या इसे किचन वेस्ट के साथ मिलाकर कंपोस्ट तैयार किया जा सकता है. किसान भी इसे खेतों में मिलाकर मिट्टी की गुणवत्ता सुधार सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि चाय पत्ती जैसी प्राकृतिक खादों के इस्तेमाल से मिट्टी पर रासायनिक खाद का दबाव कम होता है. लंबे समय तक रसायन आधारित उर्वरकों का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वरता को घटाता है, जबकि चाय पत्ती जैसी ऑर्गेनिक खाद मिट्टी को पोषक तत्व लौटाती है. कई किसानों ने बताया कि चाय पत्ती के इस्तेमाल से उनकी फसलों का रंग, स्वाद और गुणवत्ता बेहतर हुई है. वहीं, रासायनिक खाद पर होने वाला खर्च भी कम हो रहा है. छोटे स्तर पर बागवानी करने वाले लोग भी इसे अपनी किचन गार्डनिंग में सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर रहे हैं.
चाय पत्ती से बनी खाद को आप घर के गमलों और छोटे बगीचों में प्रयोग कर सकते हैं. इससे पौधे तेजी से बढ़ेंगे और हरे-भरे रहेंगे. किसान इसे धान, गेहूं, सब्जियों और बागवानी वाली फसलों में मिला सकते हैं. चाय पत्ती से बनी खाद को आप गुलाब, गेंदा, गुड़हल जैसे पौधों पर प्रयोग करेंगे तो इसका असर तुरंत नजर आने लगता है.
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