DAP और SSP से भी अव्वल है यह खाद, गेहूं में यूरिया के साथ डालते ही दिख जाएगा चमत्कार

DAP और SSP से भी अव्वल है यह खाद, गेहूं में यूरिया के साथ डालते ही दिख जाएगा चमत्कार

ट्रिपल सुपर फॉस्फेट या टीएसपी के बारे में पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) ने किसानों को जानकारी दी है. पीएयू के वैज्ञानिक बताते हैं कि डीएपी के विकल्प के रूप में किसान एनपीके, एसएसपी यानी सिंगल सुपर फॉस्फेट और टीपीएस जैसी खादों का प्रयोग कर सकते हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो टीएसपी खाद कई मायनों में डीएपी से बेहतर है.

उर्वरकों की बिक्री में 27 फीसदी से अधिक का उछाल दर्ज किया गया है. उर्वरकों की बिक्री में 27 फीसदी से अधिक का उछाल दर्ज किया गया है.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 13, 2024,
  • Updated Nov 13, 2024, 2:49 PM IST

आजकल DAP खाद की बड़ी मारामारी है. किसानों से लेकर सरकार तक परेशान है. किसान जहां डीएपी खाद की बोरी के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं, वहीं सरकार सप्लाई दुरुस्त रखने के लिए माथापच्ची कर रही है. लाख दलील दी जाए कि डीएपी खाद की कोई कमी नहीं है, लेकिन यह बात सही नहीं है. अगर सरकार की बात सही होती तो किसानों को रात में ही लाइन में क्यों लगना पड़ता. अगर सरकार की बात बिल्कुल सही होती तो थाना और पुलिस की निगहबानी में खाद का वितरण क्यों होता. हालांकि इसका एक दूसरा पहलू भी है. वो ये कि जिस तेजी से मांग बढ़ी है, उस तेजी से सप्लाई दुरुस्त करना टेढ़ा काम है. ऐसे में वैज्ञानिक किसानों को डीएपी के वैकल्पिक खाद की जानकारी दे रहे हैं. ऐसी ही एक खाद है टीएसपी यानी कि ट्रिपल सुपर फॉस्फेट.

ट्रिपल सुपर फॉस्फेट या टीएसपी के बारे में पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) ने किसानों को जानकारी दी है. पीएयू के वैज्ञानिक बताते हैं कि डीएपी के विकल्प के रूप में किसान एनपीके, एसएसपी यानी सिंगल सुपर फॉस्फेट और टीपीएस जैसी खादों का प्रयोग कर सकते हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो टीएसपी खाद कई मायनों में डीएपी से बेहतर है. पहली बात ये कि इसकी सप्लाई अच्छी है, किसानों को इसे खरीदने के लिए मारामारी नहीं करनी होगी.

टीएसपी का बड़ा फायदा

टीएसपी का दूसरा बड़ा फायदा इसमें पाया जाने वाला P2O5 पोषक तत्व है. इसी पोषक तत्व की वजह से डीएपी की अधिक मांग देखी जाती है. लेकिन टीएसपी इस मामले में डीएपी से जरा भी पीछे नहीं है. डीएपी में जहां P2O5 46 परसेंट पाया जाता है, वहीं टीएसपी में भी इसकी उतनी ही मात्रा होती है. इसका मतलब हुआ कि गेहूं या अन्य खाद के लिए डीएपी में पोषत तत्वों की जितनी मात्रा होती है, उतनी मात्रा टीएसपी में भी पाई जाती है. 

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हालांकि डीएपी और टीएसपी में एक बड़ा फर्क नाइट्रोजन को लेकर है. डीएपी की एक बोरी में जहां 9 किलो तक अतिरिक्त नाइट्रोजन खाद मिल जाती है, वहीं टीएसपी में यह अतिरिक्त फायदा नहीं मिलता. इसलिए वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि टीएसपी के साथ यूरिया का छिड़काव करें तो फसलों पर उसका चमत्कारी प्रभाव दिख सकता है.

वैज्ञानिकों की मानें सलाह

इस बारे में पीएयू के सॉइस साइंस डिपार्टमेंट के हेड धनविंदर सिंह बताते हैं कि डीएपी में 46% फॉस्फोरस और 18% नाइट्रोजन होता है. दूसरे उर्वरक एनपीके (12:32:16) में 12% नाइट्रोजन, 32% फॉस्फोरस और 16% पोटैशियम होता है. वे किसानों को सुझाव देते हैं, "अगर डीएपी उपलब्ध नहीं है, तो गेहूं में डेढ़ बैग एनपीके (12:32:16) मिलाया जा सकता है. एनपीके (12:32:16) डीएपी का सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है." 

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पीएयू के वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि डीएपी का दूसरा विकल्प सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) है, जिसमें 16% फॉस्फोरस होता है. उन्होंने कहा कि सिंगल सुपर फॉस्फेट के तीन बैग डालने से गेहूं में फॉस्फोरस की कमी पूरी हो सकती है और फसल को 18 किलो सल्फर भी मिलता है. विशेषज्ञों ने कहा कि ट्रिपल सुपर फॉस्फेट (TSP), जिसमें 46% फॉस्फोरस होता है, को नए उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. टीएसपी अभी बाजार में आया है और किसान इसका इस्तेमाल गेहूं में कर सकते हैं. अन्य विकल्पों में डीएपी की जगह एनपीके (10:26:26) की 1.8 बोरियां गेहूं में मिलाई जा सकती हैं. पीएयू के विशेषज्ञों ने बताया कि अगर एसएसपी या टीएसपी का इस्तेमाल किया जाता है तो बुवाई के समय प्रति एकड़ 20 किलो यूरिया डालना चाहिए. इसका बहुत फायदा होगा. 


 

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