अगले महीने शुरू कर दें बीटी कपास की खेती, इन देसी खादों का जरूर करें इस्तेमाल

अगले महीने शुरू कर दें बीटी कपास की खेती, इन देसी खादों का जरूर करें इस्तेमाल

बीटी कपास एक आनुवंशिक रूप से संशोधित कपास की फसल है जिसमें बैसिलस थुरिंजिएन्सिस बैक्टीरिया के एक या दो जीन को जेनेटिक इंजीनियरिंग तकनीक के माध्यम से फसल के बीजों में डाला जाता है, जो पौधे के अंदर क्रिस्टल प्रोटीन का उत्पादन करते हैं, जो विषाक्त पदार्थ पैदा करते हैं और कीटों को नष्ट कर देते हैं.

बीटी कपास की बुआई का सही समय
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Apr 30, 2024,
  • Updated Apr 30, 2024, 11:58 AM IST

बीटी कपास (BT Cotton) एक प्रकार का संश्लेषित कपास है जो कि जीनेटिक इंजीनियरिंग द्वारा प्राप्त किया जाता है. इसमें एक या अधिक जीनेटिक विशेषताएं होती हैं, जो कि कीटों और कीट-जन्य रोगों के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करती हैं. इसके अलावा, बीटी कपास में विशेष जीनेटिक परिवर्तनों के कारण पेड़ों को पोषक तत्वों को अधिकतम मात्रा में अवशोषित करने की क्षमता भी होती है. यह उत्तम उत्पादन और कीटों के प्रति प्रतिरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करता है. ऐसे में आइए जानते हैं बीटी कपास की खेती करने का सही समय और खादों की जरूरत के बारे में.

कब करें कपास की बुवाई

यदि सिंचाई की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध हो तो कपास की फसल मई महीने में ही लगाई जा सकती है. यदि सिंचाई की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है, तो पर्याप्त मानसूनी वर्षा होते ही कपास की फसल लगाई जा सकती है. कपास की फसल अच्छी भूरी मिट्टी तैयार करके लगानी चाहिए. सामान्यतः उन्नत जातियों के 2.5 से 3.0 कि.ग्रा. बीज (डी-फिलामेंटेड) संकर और बीटी किस्मों के 1.0 कि.ग्रा. बीज (रेशे रहित) प्रति हेक्टेयर बुआई के लिए उपयुक्त होते हैं. उन्नत किस्मों में चैफुली 45-60*45-60 सेमी. संकर और बीटी किस्मों में पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे के बीच की दूरी 90 से 120 सेमी होती है. और 60 से 90 सेमी तक रखे जाते हैं.

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कपास की सघन खेती

कपास की सघन खेती में पंक्तियां 45 सेमी की दूरी पर और पौधे 15 सेमी की दूरी पर लगाए जाते हैं. इस प्रकार एक हेक्टेयर में 1,48,000 पौधे लगाए जाते हैं. बीज दर 6 से 8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखी जाती है. इससे उपज 25 से 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. इसके लिए उपयुक्त किस्में इस प्रकार हैं:- एनएच 651 (2003), सूरज (2002), पीकेवी 081 (1989), एलआरके 51 (1992), एनएचएच 48 बीटी (2013), जवाहर ताप्ती, जेके 4, जेके 5 आदि.

खरपतवार नियंत्रण

पहली निराई-गुड़ाई अंकुरण के 15 से 20 दिन के अन्दर कोल्पा या डोरे से कर देनी चाहिए. खरपतवारनाशी में पाइरेटोब्रेक सोडियम (750 ग्राम/हेक्टेयर) या फ्लुओक्लोरिन/पेंडामेथालिन 1 किग्रा शामिल है. सक्रिय घटक का उपयोग बुआई से पहले किया जा सकता है.

करें इन खादों का इस्तेमाल

  • यदि उपलब्ध हो, तो 7 से 10 टन/हेक्टेयर अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट डालें. कम से कम 20 से 25 गाड़ियां गोबर की खाद देनी होगी.
  • बुआई के समय एक हेक्टेयर के लिए आवश्यक बीज में 500 ग्राम एज़ोस्पिरिलम और 500 ग्राम पीएसबी मिलायें. 
  • बीज को पानी से भी उपचारित किया जा सकता है, जिससे 20 किलो नाइट्रोजन और 10 किलो फास्फोरस की बचत होगी.
  • बुआई के बाद स्तम्भ विधि से उर्वरक देना चाहिए. इस विधि में पौधे की परिधि के चारों ओर 15 सेमी गहरे गड्ढे बनाकर उनमें प्रति पौधे के हिसाब से दिया जाने वाला उर्वरक डालकर मिट्टी से बंद कर दिया जाता है.

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