जैविक तरीके से करें लौकी की खेती, अधिक पैदावार के लिए डालें कंपोस्ट खाद

जैविक तरीके से करें लौकी की खेती, अधिक पैदावार के लिए डालें कंपोस्ट खाद

लौकी की खेती के लिए थोड़ी गर्म ठंडी जलवायु की जरूरत होती है. लौकी अधिक पाले को सहन करने में बिलकुल असमर्थ होती है. इसके लिए 18 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान होना चाहिए. इन बातों का ध्यान रखें तो लौकी से बंपर उत्पादन ले सकते हैं.

लौकी की खेती
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Apr 26, 2024,
  • Updated Apr 26, 2024, 7:03 PM IST

लौकी एक कद्दू वर्गीय फसल है, जिसकी खेती साल भर में तीन बार की जा सकती है. लौकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद और पोषक तत्वों से भरपूर होती है. इसमें 90 फीसदी से अधिक पानी होता है, जो इसे हाइड्रेटिंग भोजन का विकल्प बनाता है. वहीं लौकी का इस्तेमाल सब्जी बनाने के अलावा मिठाई, रायता, आचार, कोफ्ता, खीर आदि बनाने में किया जाता है. इसकी खेती जायद, खरीफ और रबी तीनों सीजन में की जाती है. लौकी की उपयोगिता को समझते हुए, किसानों को चाहिए कि वो इसकी जैविक तकनीक से खेती करें.

इससे उनकी फसल उत्पादन लागत भी कम होगी और रासायनिक उत्पादों से भी बचा जा सकेगा. वहीं जैविक खेती पर्यावरण की दृष्टि से भी लाभकारी है. इससे भूमि के जलस्तर में वृद्धि होती है. ऐसे आइए जानते हैं कि किसानों को लौकी की जैविक खेती करने से कितना लाभ हो सकता है.

जैविक खेती के लिए खाद

किसान जैविक खेती द्वारा लौकी की फसल में अधिक उत्पादन के लिए रसायनों की जगह कम्पोस्ट खाद या गोबर से बने खाद का उपयोग करें. अगर किसान एक हेक्टेयर भूमि में इस खाद का उपयोग करना चाहते हैं तो उसके लिए उनको लगभग 25 से 30 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 50 किलो नीम की खली और 30 किलो अरंडी की खली का मिश्रण वाले खाद का उपयोग करना चाहिए. इस खाद के प्रयोग से किसानों को अधिक मात्रा में फसल का उत्पादन मिलता है.

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खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

लौकी की खेती के लिए थोड़ी गर्म ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है. लौकी अधिक पाले को सहन करने में बिलकुल असमर्थ होती है. इसके लिए 18 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान होना चाहिए. इसको गर्म और तर दोनों मौसम में उगाया जाता है. ज्यादातर लौकी की बुवाई गर्मी और वर्षा ऋतु में की जाती है.

कैसे करें खेत की तैयारी

किसान अपने खाद के बनाए हुए मिश्रण को खेत में बुवाई से पहले समान मात्रा में बिखेर दें. उसके बाद दोबारा अच्छी तरह से अपने खेत की जुताई करके खेत को तैयार कर दें. उसके बाद लौकी के बीज की बुवाई करें. ऐसे जैविक तरीके से खेती करने से किसानों को अधिक लाभ होता है.

इन चीजों का करें छिड़काव

फसल के तैयार होने के 20 से 25 दिन के बाद किसान अपनी फसलों पर नीम का काढ़ा और गोमूत्र को मिलाकर उसके तैयार किए गए मिश्रण को हर 10 से पंद्रह दिन पर छिड़काव करें. इस तरीके से खेती करके किसान अच्छा उत्पादन और बेहतर कमाई कर सकते हैं.

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