आम की खेती लगभग पूरे देश में की जाती है. यह इंसानों का बहुत पसंदीदा फल माना जाता है, इसमें मिठास के साथ खट्टापन भी मिला हुआ होता है. विभिन्न प्रजातियों के अनुसार फल में कम या ज्यादा मिठास पाई जाती है. कच्चे आम का उपयोग चटनी, अचार और कई प्रकार के पेय पदार्थों के रूप में किया जाता है. इससे जेली, जैम, सिरप आदि बनाये जाते हैं. यह विटामिन ए और विटामिन बी का अच्छा स्रोत है.
आम की खेती उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण दोनों जलवायु में की जाती है. आम की खेती समुद्र तल से 600 मीटर की ऊंचाई तक सफल होती है. इसके लिए 23.5 से 32.6 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान सर्वोत्तम है. आम की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है. परंतु इसे रेतीली, पथरीली, क्षारीय तथा जल भराव वाली भूमियों में उगाना लाभकारी नहीं होता तथा अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है.
आम की बागवानी करने के कई कारण हैं, इसमें पानी की भी कम आवश्यकता होती है. आम की खेती के और भी व्यापक लाभ हैं. हिन्दू धर्म में आम के सभी भाग जैसे लकड़ियां, पत्ते आदि पूजन सामग्री के रूप में उपयोग किये जाते हैं. इसके अलावा इससे स्वादिष्ट फल तो मिलते ही हैं, इसकी लकड़ी भी काफी ऊंची कीमत पर बिकती है. इतना ही नहीं, अगर आम का बगीचा लगाया जाता है तो अगले 10 साल तक उसी बगीचे में अन्य फसलें भी उगाई जा सकती हैं, जब तक कि वे फलने-फूलने न लगें. शुरुआती 8 से 10 साल तक अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है. इसके बाद आपको आम के बगीचे से ही अच्छी खासी आमदनी हो जाएगी. इसके लिए आपको खास खयाल रखना होगा. ऐसे में अगर आप आम की खेती कर रहे हैं और मंजर में टिकोले नहीं तो आप तुरंत इन खादों का इस्तेमाल कर नुकसान होने से बच सकते हैं.
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