Wheat Varieties: दिसंबर में गेहूं की इन पछेती किस्मों की बुवाई कर किसान पाएं बंपर पैदावार

Wheat Varieties: दिसंबर में गेहूं की इन पछेती किस्मों की बुवाई कर किसान पाएं बंपर पैदावार

देरी से बुवाई की स्थिति में भी बहुत सारे किसान गेहूं के सामान्य किस्मों की ही बुवाई कर देते हैं. नतीजतन उत्पादकता में कम रह जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं गेहूं के कुछ पछेती किस्मों के बारे में, जिनकी खेती से पैदावार पर जरा भी प्रभाव नहीं पड़ेगा और मुनाफा भी बढ़िया होगा

गेहूं गेहूं
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Dec 10, 2022,
  • Updated Dec 10, 2022, 8:17 AM IST

आमतौर पर गेहूं की बुवाई के लिए 15 दिसंबर तक का समय उत्तम माना जाता है, लेकिन खेत तैयार या खाली नहीं होने की वजह से किसान 15 दिसंबर के बाद तक गेहूं की बुवाई करते हैं. वहीं बाद में भी बहुत सारे किसान गेहूं के सामान्य किस्मों की ही बुवाई कर देते हैं. नतीजतन उपज कम होती है, जबकि गेहूं की पछेती बुवाई करके अच्छी उपज लेने के लिए बाजार में उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध हैं. 

अगर आप एक किसान हैं, और अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं कर पाएं हैं, तो गेहूं की पछेती किस्मों की बुवाई कर सकते हैं. गेहूं की पछेती किस्में लगभग 120 से 140 दिन में तैयार हो जाती हैं, जबकि अगेती किस्में तैयार होने में लगभग 140 से 150 दिन का समय लेती हैं. वहीं, इनकी देरी से बुवाई करने के बाद भी उत्पादन पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है. ऐसे में आइए गेहूं की कुछ पछेती किस्मों के बारे में आपको बताते हैं जिनकी खेती करने से पैदावार पर जरा भी प्रभाव नहीं पड़ेगा और मुनाफा भी बढ़िया होगा-

गेहूं की पछेती बुवाई के लिए उन्नत किस्में

यूपी-2338: उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा में पछेती बुवाई के लिए गेहूं की उन्नत किस्म यूपी-2338 को अच्छा माना जाता है. इस किस्म को तैयार होने में लगभग 130 से 135 दिनों का समय लगता है. वहीं, औसत पैदावार 20 से 22 क्विंटल प्रति एकड़ रहती है.
 
एचडी –2888: गेहूं की यह किस्म बुवाई के लगभग 120 से 130 दिनों बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इस किस्म को असिंचित जगहों पर देरी से उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म से प्रति हेक्टेयर लगभग 30 से 40 क्विंवटल तक उत्पादन होता है. पौधों की लंबाई लगभग तीन फीट होती है.
 
नरेन्द्र गेहूं-1076: गेहूं की यह किस्म पछेती बुवाई के लिए सबसे बेहतरीन किस्म माना जाती है, क्योंकि ये किस्म रतुआ और झुलसा अवरोधी है. फसल 110 से 115 दिनों में काटने लायक हो जाती है. वहीं, इसके पौधे लगभग तीन फीट लंबे होते हैं और प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 40-45 क्विंटल तक होता है.

वी.एल.गेहूं 892 (VL Gehun 892): वी.एल.गेहूं 892 की खेती निचले एवं मध्यवर्ती क्षेत्रों में जहां सीमीत सिंचाई की सुविधा है, वहां पर होती है. मध्यम ऊंचाई वाली यह किस्म 140-145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसके अलावा, इसमें पीला एवं भूरा रतुआ रोग नहीं लगता है. वहीं, औसत उपज 30-35 क्विटल/हेक्टेयर रहती है.

हिम पालम गेहूं 3 (Him Palam Wheat 3): हिम पालम गेहूं 3, गेहूं की अधिक उपज देने वाली नई किस्म है. यह पीला एवं भूरा रतुआ रोग प्रतिरोधी है. हिमाचल प्रदेश के मध्य निचले पर्वतीय निचले क्षेत्रों  में बरानी परिस्थितियों में पछेती बुवाई के लिए इस किस्म को अच्छा माना जाता है. हिम पालम गेहूं का औसतन उत्पादन प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल तक होता है.

राज-3765: राज-3765, पछेती बुवाई के लिए अच्छी मानी जाती है. इसकी बुवाई दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक की जा सकती है. इसके दाने देखने में चमकदार होते हैं. ये किस्म 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.

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