बीज उपचार से फसल उत्पादन में मिलता है फायदा, लेकिन इन टिप्स का ध्यान रखें किसान

बीज उपचार से फसल उत्पादन में मिलता है फायदा, लेकिन इन टिप्स का ध्यान रखें किसान

बीजोपचार एक सस्ती तथा सरल तकनीक है और इसे अपनाने से किसान बीज एवं मिट्टी जनित रोगों से अपनी फसल को खराब होने से बचा सकते हैं. लेकिन, बीजोपचार करते वक्त कुछ सावधानियां भी रखने की जरूरत है. वरना नुकसान हो सकता है.

जानिए बीज उपचार के बारे में
सर‍िता शर्मा
  • Noida,
  • May 09, 2024,
  • Updated May 09, 2024, 5:41 PM IST

आजकल कृषि वैज्ञानिक हर फसल की बुवाई से पहले बीज उपचार की सलाह देते हैं. बीज की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए बीजोपचार करना अति महत्वपूर्ण है, जैसे बच्चे को सही समय पर टीका नहीं लगने पर जीवन भर बहुत से रोगों का खतरा बना रहता है. इसी प्रकार अगर पौधे का टीकाकरण, जो कि यहां पर बीजोपचार है, न किया जाए, तो बहुत से रोगों के आक्रमण होने का खतरा बना रहता है.बीजोपचार एक सस्ती तथा सरल तकनीक है और इसे अपनाने से किसान बीज एवं मिट्टी जनित रोगों से अपनी फसल को खराब होने से बचा सकते हैं. लेकिन, बीजोपचार करते वक्त कुछ सावधानियां भी रखने की जरूरत है. वरना नुकसान हो सकता है.

इस तकनीक में बीज को बुवाई से पहले फफूंदनाशी या जीवाणुनाशी या परजीवियों का उपयोग करके उपचारित करते हैं. सही बीजोपचार प्रणाली को किसान अपनाएं, तो अपनी फसल को 35-40 दिनों तक सुरक्षा प्रदान करने में सफल हो सकते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि फसल इस लायक हो जाती है कि उसकी अपनी आंतरिक क्षमता का विकास इन 35-40 दिनों में हो जाता है.

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बीज उपचार करते रखें सावधानियां

बीज उपचारित करने के लिए निर्धारित मात्रा का ही प्रयोग करें.

बीजोपचार करने के बाद बीज को छायादार स्थान पर ही सुखाएं.

रसायनों एवं जीवाणु के कल्चर के प्रयोग से पहले उनकी एक्स्पायरी तिथि अवश्य देख लें.

उपचार के उपरांत डब्बों तथा थैलों/ पॉलीबैग को मृदा के अंदर दबा दें तथा साबुन से अच्छी तरह से हाथ धो लें.

रसायनों को बच्चों तथा पशुओं की पहुंच से दूर रखें.

रसायनों के प्रयोग के समय न तो कुछ खाएं और न ही धूम्रपान करें.

रसायन को उसके मूल डब्बे में ही रखें तथा उसका लेबल खराब न होने दें.

किसानों को कितना मिलता है मुनाफा

बीजोपचार एक सस्ती तथा सरल विधि है. किसान बड़ी आसानी से इस विधि को अपना सकते हैं. रासायनिक पदार्थों का प्रयोग इस विधि में कम से कम होता है. बीजोपचार करने के बाद खड़ी फसल में सुरक्षा के अन्य उपायों की कम आवश्यकता पड़ती है. फसल उत्पादन में इस विधि द्वारा किसान को 15-20 प्रतिशत तक अतिरिक्त मुनाफा मिलता है.

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