देश के अलग-अलग हिस्सों से इस समय उर्वरक यानी यूरिया, डीएपी की कमी की खबरें आ रही हैं. मॉर्डन खेती में जलवायु परिवर्तनों जैसी मुश्किलों की वजह से ज्यादा पैदावार बनाए रखना एक चैलेंज है. वहीं पूरी दुनिया की खाद्य मांग को पूरा करने के खेती अब लिए रासायनिक उर्वरकों पर बहुत ज्यादा निर्भर करने लगी है. हाल ही में आई OECD-FAO कृषि आउटलुक 2025-2034 की एक एक्सरसाइज ने खतरे की घंटी बजा दी है. इसके तहत उर्वरक आपूर्ति श्रृंखलाओं में दो साल की रुकावट खाद्य कीमतों में 13 फीसदी तक का इजाफा कर सकती है.
रिसर्चर्स ने एग्लिंक-कोसिमो मॉडल का प्रयोग किया. उन्होंने नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), और पोटेशियम (K) यानी NPK उर्वरकों की ग्लोबल सप्लाई में एक के बाद एक आती रुकावटों को परखा. जो नतीजे आए वो हैरान करने वाले थे. इन नतीजों पर अगर यकीन करें तो अगर एक साल तक भी उर्वरकों की सप्लाई में रुकावट आई तो FAO फूड प्राइस इंडेक्स में 6 फीसदी तक का इजाफा होगा. अगर यह स्थिति दो साल रही तो बड़ा झटका लगेगा और कीमतों में 13 फीसदी तक की वृद्धि हो सकती है. इससे लाखों लोगों, खासतौर पर लो इनकम वाले देशों में, बुनियादी खाद्य पदार्थ पहुंच से बाहर हो जाएंगे.
इस आउटलुक में भारत में उर्वरकों पर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म करने के प्रभावों को भी देखा गया. भारत एक ऐसा देश है जहां पर सब्सिडी फसल अर्थशास्त्र की रीढ़ हैं. सब्सिडी खत्म होने से घरेलू उत्पादन में कमी आ सकती है, आयात बढ़ जाएगा और उर्वरक उपयोग में भी कमी आएगी. लेकिन अगर भारतीय किसानों की बात करें तो इस समय वो डीएपी का प्रयोग ज्यादा है जिसे एक बेहतरीन शुरुआती उर्वरक माना जाता है. यह उर्वरक जो गेहूं, मक्का और चावल जैसी फसलों के लिए अच्छा है. साथ ही पौधों के लिए भी अच्छा माना गया है. वहीं एनपीके सब्जियों, फलों और फूलों वाले पौधों के लिए सबसे अच्छा है. एनपीके पौधे के पूरे जीवनचक्र में पोषण प्रदान करता है. देश में इस समय एनपीके की जगह डीएपी का प्रयोग हो रहा है.
कई राज्यों, खासकर हरियाणा में यूरिया और डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की खपत में तेज बढ़ोतरी ने कृषि मंत्रालय में चिंता बढ़ा दी है. 2025 के रबी सीजन में हरियाणा में यूरिया का प्रयोग 18 फीसदी तक बढ़ा है, जबकि कुछ जिलों में डीएपी की खपत में 184 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई. यह रुझान किसानों की तरफ से यूरिया के बहुत ज्यादा प्रयोग और सब्सिडी वाले उर्वरकों के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग, दोनों की तरफ इशारा करता है.