Natural Seeding में नई इबारत लिख रहे रायबरेली के किसान सत्य प्रकाश, मिलेट्स से बदली तकदीर

Natural Seeding में नई इबारत लिख रहे रायबरेली के किसान सत्य प्रकाश, मिलेट्स से बदली तकदीर

किसान सत्य प्रकाश बताते हैं कि आज उनके पास धान की 70 से ज्यादा वैरायटी मौजूद है. जिसमें 13 से 14 प्रजातियां खुशबूदार चावल की है. वहीं काला चावल और लाल चावल की प्रजातियों के बीज मौजूद है. हम सीड का एक बड़ा बैंक तैयार कर रहे है.

रायबरेली के राजामऊ गांव के प्रगतिशील किसान सत्य प्रकाश मिश्रा (Photo-Kisan Tak)रायबरेली के राजामऊ गांव के प्रगतिशील किसान सत्य प्रकाश मिश्रा (Photo-Kisan Tak)
नवीन लाल सूरी
  • Lucknow,
  • Jun 22, 2024,
  • Updated Jun 22, 2024, 3:54 PM IST

Desi Seeds Bank: देशभर में किसान सबसे ज्यादा हाइब्रिड बीजों का इस्तेमाल करते हैं. इससे कम खर्च में ज्यादा मुनाफा तो होता है. लेकिन यह सेहत के लिए फायदेमंद नहीं होता है. इसी कड़ी में रायबरेली जनपद के बछरावां क्षेत्र के राजामऊ गांव के प्रगतिशील किसान सत्य प्रकाश मिश्रा देसी बीजों के संरक्षण का काम कर रहे हैं, जिससे किसानों की आमदनी डबल हो सके. आपको बता दें कि सत्य प्रकाश मिश्रा पहले किसान नहीं थे. वो एक फार्मा कंपनी में नौकरी करते थे. 16 साल बाद उन्होंने जॉब छोड़ दिया और फिर खेती किसानी की तरफ रुख किया. आज सत्य प्रकाश मिश्रा के पास धान की 70 से ज्यादा वैरायटी मौजूद है. जिसमें 13 से 14 प्रजातियां खुशबूदार चावल की है. वहीं काला चावल और लाल चावल की प्रजातियों के बीज मौजूद है. वर्ष 2016 से प्राकृतिक खेती करने वाले सत्य प्रकाश एक साल में 12 से 13 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं.

धान की 70 अलग-अलग वैरायटी की खेती

किसान तक से बातचीत में प्रगतिशील किसान सत्य प्रकाश मिश्रा ने बताया कि मैं एक फार्मा कंपनी से नौकरी कर रहा था. आमदनी का जरिया बढ़ाने के लिए हमने सबसे पहले औषधीय पौधों की खेती शुरू की, ताकि मेरी कमाई में बढ़ोतरी हो सके. लेकिन यह प्रयोग ज्यादा सफल नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में  30 एकड़ जमीन लीज पर लेकर धान की प्रकृतिक खेती करने लगे. आज हम धान की 70 अलग-अलग वैरायटी की खेती कर रहे है. समय के साथ देसी बीजों की मांग किसानों की तरफ से आने लगी. हम देश के अलग-अलग प्रांतों में जाकर देसी बीजों के संरक्षण और पूर्ती का काम करने लगे. पंजाब और हरियाणा खेती की गढ़ माना जाता है, वह से भी देसी बीज लेकर उसको संरक्षण करने का काम करने लगे.

देसी बीजों का संरक्षण कर रहे किसान सत्य प्रकाश

दरअसल, उत्तर प्रदेश में देसी बीजों का बहुत आभाव हैं, इसलिए हमने उड़ीसा, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों की तरफ रुख किया. वहां से हम बीजों को लाकर संरक्षित करते है. किसान सत्य प्रकाश बताते हैं कि आज उनके पास धान की 70 से ज्यादा वैरायटी मौजूद है. जिसमें 13 से 14 प्रजातियां खुशबूदार चावल की है. वहीं काला चावल और लाल चावल की प्रजातियों के बीज मौजूद है. हम सीड का एक बड़ा बैंक तैयार कर रहे है. जिससे आने वाले वक्त में किसान हाइब्रिड बीजों को छोड़कर देसी बीजों को खेती करने के लिए अपनाएं.

मिलेट्स पर तेलंगाना से लिया प्रशिक्षण

रायबरेली जनपद के बछरावां क्षेत्र के राजामऊ गांव के प्रगतिशील किसान सत्य प्रकाश मिश्र ने आगे बताया कि वो बीते 5 वर्षों से मिलेट्स की खेती कर पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. इससे उनको कम लागत में अच्छा मुनाफा हो रहा हैं. उन्होंने बताया कि वह बीते वर्ष इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मिलेट रिसर्च सेंटर तेलंगाना में 6 दिवसीय तकनीकी प्रशिक्षण के लिए भी गए थे. वहां से उन्होंने इस खेती के बारे में तकनीकी जानकारी भी हासिल की है.

मिलेट्स की 9 वैरायटी की कर रहे खेती

किसान सत्य प्रकाश मिश्रा ने बताया कि वो तीन एकड़ जमीन में देश में मिलने वाले सभी नौ प्रकार के मिलेट्स रागी, कोदो, काकुन, कंगनी (सवई) हरी कंगनी, चेना, बाजरी, बाजरा कांटे वाला, बाजार सिट्टेवाला की खेती कर रहे हैं. जिससे वह कम लागत 20 से 25 हजार रुपए की लागत में सालाना 1 लाख से डेढ़ लाख रुपए तक की कमाई भी कर लेते हैं. सत्य प्रकाश ने किसानों को बड़ा संदेश देते हुए कहा कि देसी बीजों से खेती करने से लागत कम और पैदावर अच्छी होगी, वहीं आमदनी भी बढ़ेगी.

 

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