बरसात आते ही किसान अरहर की खेती में जुट गए हैं. अरहर (तुअर) खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख दलहनी फसल है. वहीं, अरहर की खेती हमेशा से किसानों के लिए फायदे का सौदा रही है. लेकिन कई किसान अभी इस समस्या में हैं कि वो किन किस्मों की खेती करें जिससे अधिक उपज मिल सके. ऐसे में किसानों के लिए वैज्ञानिकों ने अरहर की कुछ ऐसी भी किस्में विकसित की हैं, जो न केवल कम समय में तैयार होती हैं, बल्कि उत्पादन भी अच्छा देती हैं. ऐसे में आज हम उन किसानों को अरहर की एक ऐसी किस्म के बारे में बताएंगे जो अपने बेहतर उत्पादन के लिए जानी जाती है. आइए जानते हैं उस उन्नत किस्म के कहां से ले सकते हैं बीज और क्या है खासियत.
देश के अब किसान पारंपरिक फसलों को छोड़कर दलहनी फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. इससे किसानों की बंपर कमाई भी हो रही है. साथ ही देश में दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को सरकार भी प्रोत्साहित कर रही है. इसलिए किसान बड़े स्तर पर इसकी खेती कर रहे हैं. ऐसे में किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन अरहर की TS-3R किस्म का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप एनएससी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद कर बंपर कमाई कर सकते हैं. साथ ही इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर भी मंगवा सकते हैं.
TS-3R अरहर की एक पछेती किस्म है जिसकी खेती मॉनसून आने पर की जाती है. इस किस्म में फसल की लंबाई छोटी और दाना मोटा होता है. वहीं, ये किस्म समान रूप से परिपक्व होती है और विल्ट और बांझपन मोज़ेक जैसे प्रमुख कीटों के प्रति प्रतिरोधी है. यह किस्म 150-170 दिनों में पक जाती है और कटाई के लिए तैयार हो जाती है. वहीं, इसकी औसत उपज 1 टन प्रति हेक्टेयर तक है. इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित किया गया है.
अगर आप भी अरहर की TS-3R किस्म की खेती करना चाहते हैं तो इस किस्म की बीज का पांच किलो का पैकेट फिलहाल 17 फीसदी की छूट के साथ 844 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगी. इसे खरीद कर आप आसानी से अरहर की खेती कर सकते हैं. साथ ही इस बीच को खरीदने पर एक जैकेट फ्री में मिलेगा. बता दें कि ये ऑफर मात्र 2 जुलाई तक ही है. ऐसे में इस बीज को खरीद कर आप अरहर की खेती कर सकते हैं.
अरहर की खेती करने के लिए, सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करना होगा, जिसमें गहरी जुताई और मिट्टी को भुरभुरा करें. वहीं, खेत की गहरी जुताई डिस्क हैरो से करें और फिर रोटावेटर से मिट्टी को भुरभुरा कर लें. इसके बाद पंक्तिबद्ध तरीके से बुवाई करें. उसके लिए लाइन से लाइन की दूरी 55 से 65 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखें. इसके बाद, मेड बनाकर, मेड के ऊपर अरहर के बीज लगाने चाहिए. बीज को 3 से 5 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं. इससे बीज दर भी कम लगता है और उपज भी अधिक होती है.