Kharif Special: माॅनसून में कम बार‍िश को लेकर हैं परेशान! धान की ये क‍िस्में हैं सूखे का समाधान

Kharif Special: माॅनसून में कम बार‍िश को लेकर हैं परेशान! धान की ये क‍िस्में हैं सूखे का समाधान

Kharif Special: पूर्वी भारत में सुखे की परिस्थिति को ध्यान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना  ने अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, मनीला, फिलीपींस के सहयोग द्वारा उच्च उपज वाली सुखा सहने वाली  धान की चार धान  एक उन्नत किस्म विकसित है  अगर किसान  सूखा प्रभावित और अनियमित मानसून वाले क्षेत्रों में  इन चारों किस्मों की खेती करें, अच्छी उनको अच्छी पैदावार  मिलेगी .

धान की इन चार किस्में कम बार‍िश में देती हैं अध‍िक उत्पादन- फोटो: ICAR RCER Patna
जेपी स‍िंह
  • Patna ,
  • Jun 01, 2023,
  • Updated Jun 01, 2023, 6:32 PM IST

खरीफनामा: भारत में धान बेहद ही महत्वपूर्ण है. धान अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के साथ ही पोषण सुरक्षा और किसानों की समृद्धि में अहम भू‍म‍िका न‍िभाता है. धान की बात करें तो धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है, ज‍िसकी खेती के ल‍िए अध‍िक पानी स‍िंचाई यानी पानी की जरूरत होती है. मसलन, देश के कई राज्यों में धान की खेती इसी वजह से मॉनसून पर न‍िर्भर है. मॉनसून की बार‍िश क‍िसानों के ल‍िए राहत बन कर आती है, जि‍समें क‍िसान धान की खेती कर सकते हैं, लेक‍िन कई बार मॉनसून में सूखे का संकट बना रहता है. इस बार भी मॉनसून पर सूखे की संभावनाएं बनी हुई हैं. माॅनसून के इस पूर्वानुमान को लेकर क‍िसान च‍िंत‍ित हैं. ऐसे में धान की कुछ क‍िस्में क‍िसानों की इन च‍िंताओं का समाधान हैं. क‍िसान तक की सीरीज खरीफनामा की इस कड़ी में कम बार‍िश में होने वाली धान की सूखा सहन क‍िस्मों पर पूरी र‍िपोर्ट... 

सूखे संकट का सामना करने वाली क‍िस्में  

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी अनुसंधान परिसर (आईसीएआर-आरसीईआर) पटना ने अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, मनीला, फिलीपींस के सहयोग से सूखे की स्थिति में अधिक उपज वाली धान की चार उन्नत किस्में विकसित है. अगर किसान सूखा प्रभावित और अनियमित मानसून वाले क्षेत्रों में इन चारों किस्मों की खेती करें तो अच्छी उनको अच्छी पैदावार  मिलेगी. आइए जानते हैं क‍ि ये क‍िस्में क्या है और इनकी व‍िशेषताएं क्या हैं.

ये हैं धान की चार क‍िस्में

आईसीएआर-आरसीईआर पटना के कृषि वैज्ञानिक डॉ संतोष कुमार ने किसान तक से बातचीत में कहा कि संस्थान द्वारा सूखा सहने वाली धान की चार कि‍स्में विकसित की है. ज‍िनके नाम स्वर्ण उन्नत धान, स्वर्ण श्रेया, स्वर्ण शक्ति धान और स्वर्ण समृद्धि धान है. उन्होंने कहा कि स्वर्ण उन्नत धान, जिसे भारत सरकार ने बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश राज्यों के लिए अधिसूचित किया है.

ये भी पढ़ें- Kharif Special: अरहर, उड़द और मूंग की बुवाई से पहले ऐसे करें इनके बीजों का उपचार

स्वर्ण उन्नत धान किस्म, एक अर्ध बौनी कम अवधि वाली यानी 115 से 120 दिन पकने वाली किस्म है. इसकी उपज क्षमता 50 से 55 क्व‍िंटल प्रति हेक्टेयर है. उन्होंने कहा क‍ि धान की इस क‍िस्म में साबुत चावल की मात्रा 63.3 प्रतिशत है. इस किस्म में पकने पर दाना गिरने की भी समस्या नही है.

माॅनसून में कम बार‍िश में भी अधिक उपज देती है स्वर्ण श्रेया

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ संतोष कुमार ने कहा कि धान की अध‍िक स‍िंच‍ित वाली क‍िस्म की खेती में एक किलो चावल उत्पादन करने के लिए 3000 से 5000 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है, लेक‍िन किसान सिंचाई सुविधा की कमी एवं अनियमित माॅनसून के कारण इतना पानी नहीं दे सकते. वहीं नहरों में समुचित पानी न होने एवं समय पर पानी उपलब्ध न होने के कारण सिंचित क्षेत्रों में भी सूखाड़ की स्थिति पैदा हो जाती है. पानी की कमी की समस्या से निपटने के लिए आईसीएआर- आरसीईआर पटना ने सूखा सहिष्णु एरोबिक धान स्वर्ण श्रेया को विकसित किया है, जो सीधी बुवाई के लिए उपयुक्त है. उन्होंने कहा कि धान की इस किस्म में सूखा सहने के साथ-साथ अत्यधिक उपज देने की भी क्षमता है. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं बिहार के पानी की कमी वाले क्षेत्रों में एरोबिक परिस्थिति में खेती के लिए इसका विमोचन किया गया है.

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ संतोष कुमार ने कहा कि धान की यह किस्म 115 से 120 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है, जिसकी उपज क्षमता 40 से 50 क्व‍िंटल प्रति हैक्टयर है.इस किस्म की खेती मध्यम ऊपरी भूमियों एवं वर्षा आश्रित सूखा, उथली नीची जमीन में सीधी बुवाई द्वारा बिना कादो एवं बिना जल-जमाव वाली मिट्टी में करते हैं. इसकी खेती सिंचित अथवा वर्षा आधारित स्थिति में कर सकते हैं, लेकिन दोनों स्थिति में मिट्टी में नमी हमेशा बनी रहनी चाहिए. 

7 राज्यों के ल‍िए उपयुक्त स्वर्ण शक्ति धान

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ संतोष कुमार ने कहा कि धान की उन्नत किस्म स्वर्ण शक्ति धान को भारत सरकार ने देश के सात राज्यों यानी बिहार, झारखंड, ओड़िशा, हरियाणा, छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र में खेती के लिए अधिसूचित किया है. इस किस्म की खेती माध्यम उपरी भूमियों एवं वर्षा आश्रित सूखा वाले क्षेत्रों में की जा सकती है. धान की यह किस्म 115 से 120 दिनों में पकने वाली है और एक अर्ध-बौनी किस्म है. इसकी उपज क्षमता 45 से 50 क्व‍िंटल हैक्टेयर है.  इस किस्म में सूखा सहने की क्षमता काफी ज्यादा है. यह वर्षा में होने वाले में बदलावों को झेलने में भी सक्षम है. 

स्वर्ण शक्ति धान की यह क‍िस्म की खेती से सूखे से होने वाले नुकसान में कमी की जा सकती है. स्वर्ण शक्ति धान फसल के प्रमुख रोगों जैसे पर्णच्छद अंगमारी, आभासी कंड, झोंका, जीवाणु पर्ण झुलसा, ब्लास्ट, टुंगरू रोग, भूरी चित्ती एवं पर्णच्छद गलन के साथ-साथ प्रमुख कीटों जैसे तना छेदक, माहू और पत्ती लपेटक के लिए भी सहिष्णु है. मतलब, इस क‍िस्में में ये बीमार‍ियां नहीं लगती हैं.

मध्यम अवधि वाली किस्म स्वर्ण समृद्धि

क‍िसान तक से बातचीत में डॉ संतोष कुमार ने कहा कि बदलती जलवायु परिस्थितियों में अनियमित माॅनसून की समस्या से निपटने के लिए संस्था ने अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, मनीला, फिलीपींस के सहयोग से धान की एक उन्नत किस्म स्वर्ण समृद्धि धान विकसित की है, जिसे भारत सरकार ने बिहार राज्य के लिए अधिसूचित किया है. यह किस्म बिहार की सिंचित और असिंचित उथली तराई पारिस्थितिकी में, खेती के लिए उपयुक्त है. स्वर्ण समृद्धि 135-140 दिन में पककर तैयार होने वाली किस्म है. इसकी उपज क्षमता 55 से लेकर 60 क्व‍िंटल तक है. यह किस्म सूखा औऱ बाढ़ दोनों स्थिति में बेहतर पैदावार देती है. धान की यह किस्म अनियमित वर्षा को झेलने में भी सक्षम है. सूखा सहिष्णु होने के साथ-साथ यह किस्म 10-12 दिनों तक बाढ़ जैसी स्थिति को भी सहन कर सकती है.

MORE NEWS

Read more!