Agrochemicals Export: भारत के कृषि रसायन निर्यात में नई उम्मीदें, एग्रोकेमिकल को मिलेगी रफ्तार

Agrochemicals Export: भारत के कृषि रसायन निर्यात में नई उम्मीदें, एग्रोकेमिकल को मिलेगी रफ्तार

FY2025 में भारत के कृषि रसायन निर्यात में दिखेगा सुधार. हर्बीसाइड्स की बढ़ती मांग, लागत प्रभावी उत्पादन और वैश्विक इन्वेंट्री नॉर्मलाइजेशन से मिलेगा निर्यात को बल.

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प्राची वत्स
  • Noida,
  • Jun 22, 2025,
  • Updated Jun 22, 2025, 12:45 PM IST

पिछले साल की गिरावट भले ही भारत के कृषि रसायन (एग्रोकेमिकल) उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण रही हो, लेकिन अब तस्वीर बदलने लगी है. FY2024 में करीब 22% की तेज गिरावट के बाद, FY2025 में निर्यात में सुधार की उम्मीद जग रही है. इंडस्ट्री रिसर्च फर्म Rubix की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर मांग में सुधार और इन्वेंट्री की स्थिति सामान्य होने से भारत के एग्रोकेमिकल एक्सपोर्ट्स को फिर से गति मिलने की संभावना है.

FY2024 में निर्यात में गिरावट का मुख्य कारण रहा दुनिया भर के वितरकों द्वारा स्टॉक घटाना, साथ ही चीन से सस्ती कीमतों में प्रतिस्पर्धा और कुछ देशों में खराब मौसम के कारण कमजोर मांग. लेकिन अब परिस्थितियाँ बदल रही हैं. कंपनियाँ लागत घटाकर और पोर्टफोलियो में विविधता लाकर वैश्विक बाज़ारों में फिर से पकड़ बना रही हैं.

इस बदलाव की सबसे बड़ी कहानी है हर्बीसाइड्स का उभार – जो 20% की वार्षिक वृद्धि दर से भारत के एग्रोकेमिकल एक्सपोर्ट में सबसे तेज़ी से बढ़ते सेगमेंट के रूप में उभरे हैं. FY2025 भारत के कृषि रसायन उद्योग के लिए एक नई शुरुआत और उम्मीदों से भरा साल साबित हो सकता है.

FY2024 में भारी गिरावट

FY2024 में भारत के कृषि रसायन निर्यात में करीब 22% की गिरावट दर्ज की गई. इसके पीछे कई कारण रहे:

  • दुनिया भर में गिरती कीमतों के कारण वितरकों ने नई खरीद को टाल दिया.
  • चीन की कंपनियों ने कम कीमतों पर उत्पाद उपलब्ध कराए, जिससे भारत की प्रतिस्पर्धा कमजोर हुई.
  • कई देशों में असमान मौसम के चलते खेती प्रभावित हुई, जिससे मांग में गिरावट आई.

FY2025 में धीरे-धीरे सुधार की संभावना

रिपोर्ट के मुताबिक, FY2025 और आगे के वर्षों में निर्यात में सुधार की उम्मीद है. इसके पीछे तीन प्रमुख कारण हैं:

  1. वैश्विक स्टॉक सामान्य हो रहे हैं
  2. खेती का चक्र बेहतर हो रहा है, जिससे मांग बढ़ेगी
  3. भारतीय कंपनियां लागत को कम करने और उत्पाद विविधता लाने पर काम कर रही हैं

व्यापार अधिशेष में भी गिरावट

FY2023 में भारत का कृषि रसायन व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) 3.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. FY2024 में यह घटकर 2.8 बिलियन डॉलर और FY2025 (अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक) में 2.3 बिलियन डॉलर रह गया.

हर्बीसाइड्स बने प्रमुख निर्यात उत्पाद

रिपोर्ट के अनुसार, हर्बीसाइड्स (घास व खरपतवार नियंत्रक रसायन) का निर्यात सबसे तेज़ी से बढ़ा है.

  • FY2020 से FY2025 के बीच हर्बीसाइड्स का निर्यात 20% की वार्षिक दर से बढ़ा.
  • कुल निर्यात में हर्बीसाइड्स की हिस्सेदारी 31% से बढ़कर 37% हो गई है.

क्या है इसके पीछे की वजह?

  • भारत की सस्ती उत्पादन क्षमता
  • दुनिया भर में किफायती हर्बीसाइड्स की मांग
  • खेती में मजदूरों की कमी और लागत बढ़ने से रासायनिक नियंत्रण अधिक सुविधाजनक बन गया है.

मुख्य निर्यात बाजार

भारत के कृषि रसायन निर्यात में कुछ देशों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है:

  • कीटनाशकों और फफूंदनाशकों (Insecticides & Fungicides) के निर्यात का 50% से ज्यादा हिस्सा सिर्फ 5 देशों को जाता है.
  • हर्बीसाइड्स के मामले में यह आंकड़ा करीब 71% है.

संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और ब्राज़ील पिछले 5 वर्षों से प्रमुख बाजार रहे हैं. लेकिन FY2025 में जापान ने ब्राज़ील को पीछे छोड़कर हर्बीसाइड्स के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है.

भारत के कृषि रसायन निर्यात में FY2024 की गिरावट के बाद अब FY2025 में धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद की जा रही है. कंपनियों द्वारा लागत में कमी, उत्पादों में विविधता और वैश्विक मांग में सुधार इस बदलाव में सहायक होंगे. खासकर हर्बीसाइड्स के क्षेत्र में भारत की स्थिति और मजबूत होती नजर आ रही है.

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