धान, मक्का, कपास के लिए नई खरपतवारनाशी और फफूंदनाशी दवा लॉन्च, कई खासियतों से लैस

धान, मक्का, कपास के लिए नई खरपतवारनाशी और फफूंदनाशी दवा लॉन्च, कई खासियतों से लैस

Herbicide: भारत में खेती-किसानी के लिए एग्रोकेमिकल उद्योग नई-नई दवाएं लॉन्च कर रहा है. दरअसल, अलग-अलग कंपनियां  किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उन्नत खरपतवारनाशी (हर्बीसाइड) और फफूंदनाशी (फंगीसाइड) उत्पाद तैयार कर रही हैं.

खरपतवारनाशी और फफूंदनाशी दवा लॉन्चखरपतवारनाशी और फफूंदनाशी दवा लॉन्च
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 28, 2025,
  • Updated May 28, 2025, 5:56 PM IST

भारत का एग्रोकेमिकल उद्योग खेती से जुड़ी नई-नई दवाएं तैयार कर रहा है. इससे जुड़ी कई कंपनियां भारतीय किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उन्नत खरपतवारनाशी (हर्बीसाइड) और फफूंदनाशी उत्पाद लॉन्च कर रही हैं. ये नए उत्पाद धान, मक्का, सोयाबीन, कपास और प्याज जैसी फसलों में खरपतवार और रोगों को नष्ट करने के लिए बनाया गया है. इससे किसानों को अधिक उत्पादन, कम नुकसान और खेती को किफायती और टिकाऊ बनाने में मदद मिलेगी. आइए जानते हैं कौन सी हैं ये दवाएं.

धान के लिए उन्नत खरपतवारनाशी

IIL ने ‘अल्टेयर’ नामक एक किफायती और नया खरपतवारनाशी लॉन्च किया है, जो विशेष रूप से धान की फसल के लिए विकसित किया गया है. यह हर्बीसाइड धान की खेती में पाए जाने वाले घास यानी खरपतवारों को नियंत्रित करता है. इसकी सिस्टेमिक क्रिया पौधे की गहराई तक जाती है और लंबे समय तक पौधे को सुरक्षित रखती है. ‘अल्टेयर’ को फसल और खरपतवार के उगने के बाद भी उपयोग किया जा सकता है. बता दें कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ती लागत के दौर में यह उत्पाद किसानों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहा है.

अंगूर और टमाटर के लिए फफूंदनाशी

धानुका एग्रीटेक ने अपने प्रमुख उत्पाद टार्गा सुपर की 25वीं वर्षगांठ मनाई. यह उत्पाद सोयाबीन, मूंगफली और कपास में पाए जाने वाले संकीर्ण पत्तियों वाले खरपतवारों को नष्ट करता है. इसके साथ ही कंपनी ने मेलोडी डुओ नामक फफूंदनाशी भी लॉन्च किया है, जिसमें दो सक्रिय तत्व पाए जाते हैं, जो अंगूर, टमाटर, मिर्च और आलू जैसी फसलों में फफूंद जनित रोगों से छुटकारा दिलाते हैं. साथ ही फसल की क्वालिटी और कीमत भी बढ़ाते हैं.

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धान को खरपतवार से बचाएगी ये दवा

बायोस्टैड इंडिया लिमिटेड ने धान में पाए जाने वाली घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए ‘प्यांकोर’ नामक पोस्ट-एमेर्जेंस खरपतवारनाशी लॉन्च किया है. यह विशेष रूप से घास की उन प्रजातियों पर प्रभावी है जो हमेशा खेतों में उग जाते हैं. यह धान की फसल को सुरक्षित रखते हुए खरपतवारों को तेजी से नष्ट करता है. कंपनी इसे उत्तर भारत के धान क्षेत्रों में एक आधुनिक और किसान-हितैषी समाधान के रूप में पेश कर रही है.

धानुका ने तैयार किया खरपतवारनाशी

धानुका एग्रीटेक ने दिंकर नामक एक खास खरपतवारनाशी तैयार किया है, जो रोपाई किए गए धान में पाए जाने वाले खरपतवार को नियंत्रित करता है. यह घास, चौड़ी पत्ती और सेज जैसे खरपतवारों पर तेजी से काम करता है, जिससे किसानों का समय और मेहनत दोनों बचता है. कंपनी इसे धान उत्पादक राज्यों में बड़े स्तर पर जागरूकता अभियानों के माध्यम से प्रचार कर रही है.

सोयाबीन और कपास के लिए खरपतवारनाशी

वैश्विक एग्रोकेमिकल कंपनी UPL ने सेंचुरियन EZ नामक खरपतवारनाशी लॉन्च किया है, जो सोयाबीन, कपास और प्याज में पाए जाने वाले घास को नष्ट करता है. यह हर्बीसाइड फसलों में डालने पर तेजी से सूख जाता है और लंबे समय तक प्रभावी रहता है. साथ ही ये भारतीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है. UPL ने इसके अलग-अलग जलवायु और मिट्टी वाली स्थितियों में परीक्षण किए हैं, जिससे यह किसानों के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बन गया है.

एग्रोकेमिकल क्षेत्र में हो रहा तेजी से बदलाव

हाल ही में हुए इन उत्पाद लॉन्च से यह स्पष्ट है कि भारत का एग्रोकेमिकल क्षेत्र तेजी से बदल रहा है और तरक्की कर रहा है. दरअसल, बदलते मौसम, खेती में लागत को कम करने और बढ़ते उत्पादन लक्ष्यों को देखते हुए, किसानों को अब अधिक टिकाऊ, कुशल और सटीक समाधानों की आवश्यकता है. कंपनियां न केवल नए उत्पाद ला रही हैं, बल्कि किसानों को प्रशिक्षित करने, डिजिटल सलाह देने और खेतों में परीक्षण करके यह तय कर रही हैं कि उत्पाद का सही उपयोग हो.

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