
सरकार ने कालाबाजारी, जमाखोरी और घटिया गुणवत्ता की खाद का वितरण करने के मामलों में 5,371 फर्टिलाइजर कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं. केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने मंगलवार को राज्यसभा में यह जानकारी दी. नड्डा ने यह जानकारी बीजेपी की राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की तरफ से पूछे गए सवाल के जवाब के तौर पर कही. नड्डा ने कहा राज्य सरकारों के पास पूरा अधिकार है कि वह जमाखोरी या अनियमितताओं पर कार्रवाई करे. उन्होंने सदन को जानकारी दी कि केंद्र सरकार आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत खाद के डायवर्जन, जमाखोरी और ज्यादा कीमत वसूलने जैसी गड़बड़ियों पर कार्रवाई करती है.
उर्वरक मंत्री नड्डा ने कहा कि घटिया गुणवत्ता की खाद के मामलों में उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत कार्रवाई की जाती है. नड्डा ने कहा, 'जैसा कि आपने पूछा, 1 अप्रैल से 28 नवंबर के बीच कालाबाजारी के मामलों में 5,058 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए, 442 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई और 3,732 लाइसेंस रद्द किए गए.' इसी तरह जमाखोरी के मामलों में 687 कारण बताओ नोटिस जारी हुए, 202 लाइसेंस रद्द किए गए और 446 एफआईआर दर्ज की गईं.
घटिया गुणवत्ता की खाद के वितरण के मामलों में 3,811 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस भेजे गए, 1,437 लाइसेंस रद्द किए गए और 65 एफआईआर दर्ज की गईं. मंत्री ने यह भी बताया कि डायवर्जन के मामलों में 3,058 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए, 464 लाइसेंस रद्द किए गए और 96 एफआईआर दर्ज की गईं. नड्डा ने कहा, 'अगर मैं पिछले सात महीनों में जारी किए गए कारण बताओ नोटिस की बात करूं, तो इनकी संख्या 12,814 है, जबकि 5,835 लाइसेंस रद्द किए गए और 649 एफआईआर दर्ज की गईं. इनमें से 442 एफआईआर कालाबाजारी के मामलों में दर्ज की गई हैं.'
मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को उर्वरकों की सप्लाई की है और इनकी निगरानी इंटीग्रेटेड फर्टिलाइजर मॉनिटरिंग सिस्टम के जरिए रियल टाइम में की जा रही है. नड्डा ने कहा, 'हालांकि हमें यह भी पता है कि खाद का डायवर्जन हो रहा है, लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि डीलर जमाखोरी कर रहे हैं, जिस पर कार्रवाई करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. लेकिन जहां तक सामग्री, यानी उर्वरक की बात है, वह हर जगह समय पर पहुंचा है.' उन्होंने कहा कि कोई किसान यदि 10 बोरी खाद इस्तेमाल करने की क्षमता रखता है, लेकिन वह 50 बोरी उठा लेता है, तो इस पर नियंत्रण किए जाने की जरूरत है और इस मामले को संभालने में राज्य सरकार को केंद्र का सहयोग करना होगा.
एक और सवाल में बीजेपी की चौधरी ने कहा कि सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि किसानों को खाद के अलावा अतिरिक्त उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे वो आर्थिक संकट में फंस जाते हैं. उन्होंने ऐसी प्रथाओं पर वितरण कंपनियों को सजा देने के लिए एक स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल तय करने की मांग की. इस पर नड्डा ने कहा कि मंत्रालय इस मुद्दे पर डीलरों और कंपनियों से चर्चा करेगा ताकि किसानों को ऐसी किसी भी परंपरा या किसी दूसरी स्वरूप में कोई और परेशानी न हो.
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